महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत रख मांगी मन्नत
गुरुवार को महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत रखा, जिसमें उन्होंने अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद, शाम को माता अहोई की पूजा की गई। महिलाएं तारों...
जिलेभर में गुरुवार को महिलाओं ने अपनी संतान की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखकर मन्नत मांगी। दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद, शाम को महिलाएं एकत्रित हुईं और विधि पूर्वक माता अहोई की पूजा-अर्चना की। पूजा के दौरान उन्होंने माता अहोई की कथा सुनी और परिवार की खुशहाली की कामना की। अहोई अष्टमी का संतान की भलाई के लिए व्रत रखा जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, और इसे पूरे विधि-विधान से करना अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत के बाद महिलाएं तारों के दर्शन करती हैं और फिर अपना व्रत खोलतीं हैं। महिलाओं ने अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए जल भरकर पूजा स्थल पर रखा। तथा अहोई माता से अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की। अहोई माता को भोग लगाया गया। इसके बाद माताओ ने तारों के दर्शन करने के बाद तारों को जलाभिषेक किया गया। तारों को जलाभिषेक करने के बाद व्रत को समाप्त किया गया।
फोटो::: 14 महिलाओं ने विधि-विधान से की पूजा-अर्चना
चन्दौसी, संवाददाता। गुरुवार को महिलाओं ने अपनी संतान के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखा। दिन भर व्रत रखकर शाम को माता अहोई की कथा सुनकर विधि विधान से पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की।
अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। माता अपने बच्चों के लिए अहोई माता की मूर्ति या चित्र के सामने दीया जलाकर धूप-दीप अर्पित करती हैं। इस पूजा में माताएं आकाश में तारे देखकर अहोई माता से प्रार्थना करती हैं और संतान की लंबी उम्र की कामना करती हैं। तारों के सामने दीया जलाने से माता अहोई प्रसन्न होती हैं और संतान को आशीर्वाद देती हैं। यह पूजा संतान के जीवन में खुशहाली और सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक प्रभावी उपाय माना जाता है।
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