हिंसा ने छोड़े कई सवाल, सोशल मीडिया पर दिनभर गूंजा संभल बवाल
संभल शहर, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, एक बार फिर हिंसा का शिकार बना। शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान अफवाहों के चलते तनाव बढ़ गया। पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाओं ने शहर...
अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के कारण संभल हमेशा चर्चा में रहता है लेकिन, कई मौकों पर इस ऐतिहासिक शहर में ऐसी हिंसा और आगजनी कई सवाल छोड़ जाती है। कलयुग में भगवान विष्णु के होने वाले दसवें अवतार के लिए विश्व प्रसिद्ध कल्कि नगरी को क्यों हर बार किसी की नजर लग जाती है। वह चाहे 1976 का दंगा हो या फिर एनआरसी पर बवाल। ऐसा ही हिंसा शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान देखने को मिली। दिनभर सोशल मीडिया पर हिंसा की आग में जलता संभल छाया रहा। ईंट-पत्थरों से पटी सड़कें और कारतूस के बिखरे खोखे के वायरल हो रहे फोटो उपद्रव की भयावहता बता रहे थे। घटनाक्रम की शुरूआत तब हुई जब स्थानीय प्रशासन द्वारा शाही जामा मस्जिद का सर्वे कराया जा रहा था। यह सर्वे न्यायालय के आदेश के तहत हो रहा था, लेकिन इससे पहले ही अफवाहों ने माहौल को गरमा दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), और यूट्यूब पर इससे संबंधित कई भ्रामक संदेश वायरल हो गए। इन संदेशों ने स्थानीय लोगों के बीच तनाव को और बढ़ावा दिया। सर्वे के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते गलियां और बाजार अराजकता के अड्डे में बदल गए। पत्थरबाजी, तोड़फोड़, और आगजनी की घटनाओं ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मशक्कत की लेकिन, तब तक माहौल बिगड़ चुका था। घटना के दौरान शहर के लोग अपने घरों में कैद हो गए। हर कोई सोशल मीडिया पर ताजा अपडेट पाने की कोशिश में जुटा रहा। गलियों में सन्नाटा था, और लोग अपने घरों के भीतर दुबके हुए थे। यह तनावपूर्ण माहौल 1976 के दंगों और एनआरसी विवाद के दौरान हुई हिंसा की याद दिला रहा है। सोशल मीडिया पर तेजी से फैली खबरों ने आग में घी का काम किया। कई वीडियो और फर्जी खबरें वायरल हो गईं, जिनमें से अधिकतर का उद्देश्य जनता को भड़काना था। अफवाहों ने प्रशासन के लिए स्थिति को संभालना और भी कठिन बना दिया। इस हिंसा में प्रशासन तो सिर्फ तीन लोगों की मौत की पुष्टि कर रहा है लेकिन सोशल मीडिया पर आ रही खबरों में चार से पांच लोगों की मौत का दावा किया जा रहा है। बवाल पर लोग सोशल मीडिया पर अपने-अपने बयान दे रहे हैं। जिस कारण पूरे दिन सोशल मीडिया पर संभल-संभल गूंजता रहा।
संभल क्यों बार-बार विवादों में घिरता है
संभल की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता इसे खास बनाती है, लेकिन यह भी सच है कि यही पहचान इसे बार-बार विवादों में घसीटती है। चाहे 1976 का दंगा हो, एनआरसी के विरोध प्रदर्शन हों, या अब शाही जामा मस्जिद का सर्वे। हर बार यह शहर विभाजनकारी विचारधाराओं का केंद्र बन जाता है। इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि अफवाहों और अराजकता को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है। साथ ही, प्रशासन को स्थानीय समुदायों के साथ संवाद बढ़ाने और उनकी चिंताओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
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