मेहनत और रणनीति का परिणाम, मध्यम स्कूलों ने टॉप टेन में बनाई जगह
Sambhal News - यूपी बोर्ड परीक्षा के परिणाम ने कई मध्यम श्रेणी के स्कूलों के मेधावियों की मेहनत को उजागर किया है। छोटे स्कूलों ने अपने छात्रों की सफलता के लिए अनुशासन, नियमित संपर्क और अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित कीं।...

यूपी बोर्ड परीक्षा के परिणाम ने इस बार कई स्कूलों के नामों को रोशन किया है, खासकर उन मध्यम श्रेणी के स्कूलों के मेधावियों ने जिनके पास संसाधन कम होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण से सफलता की नई मिसाल कायम की है। जहां एक ओर नामी स्कूलों का दबदबा टूटता दिखाई दिया, वहीं दूसरी ओर छोटे और सामर्थ्यवान स्कूलों ने अपनी कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन के जरिए टॉप टेन की सूची में अपनी जगह बनाई। इन स्कूलों के प्रधानाचार्य और शिक्षकों का कहना है कि विद्यार्थियों की सफलता के पीछे उनके निरंतर प्रयास, अनुशासन, और अभिभावकों के साथ मिलकर की गई योजनाओं का बड़ा हाथ है। क्या बोले प्रधानाचार्य
जगदीश शरण सर्राफ सरस्वती मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य वीरपाल सिंह ने बताया कि छात्रों ने इस बार हाई स्कूल की परीक्षा में विशेष उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आराध्या ने जनपद में टॉप किया, तो अनुराधा वर्मा ने टॉप टेन में पांचवे स्थान पर जगह बनाई। वहीं इंटरमीडिएट के छात्र रूद्राक्ष शर्मा ने छठा स्थान प्राप्त किया। प्रधानाचार्य ने बताया कि विद्यार्थियों पर निरंतर निगाह रखी जाती थी, उनकी उपस्थिति पर जोर दिया गया, और यदि जरूरत पड़ी तो अतिरिक्त कक्षाएं भी लगाई गईं। स्कूल में पढ़ाई को लेकर लगातार अभिभावकों से संपर्क बनाए रखा गया और विद्यार्थियों की प्रगति के अनुसार टेस्ट और परीक्षण होते रहे।
राजेश कुमार सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य भूपाल शरण शास्त्री ने बताया कि छात्र हिमांशु पाल ने जनपद की टॉप टेन सूची में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। प्रधानाचार्य ने बताया कि लगातार विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ संपर्क बनाए रखा गया, और छात्रों के घर जाकर कार्य योजना तैयार की गई। साथ ही, अगर कोई बच्चा स्कूल नहीं आया तो अध्यापक घर जाकर उसकी समस्याओं का समाधान करते थे। उनका मानना है कि शिक्षकों की मेहनत और विद्यार्थियों की अनुशासन ने इस सफलता को संभव बनाया।
एमएस शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज कुढ़फतेहगढ़ के प्रधानाचार्य योगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि दूर दराज के इस स्कूल के सतेंद्र ने जनपद की टॉप टेन सूची में चौथा स्थान प्राप्त किया है। प्रधानाचार्य ने बताया कि विद्यार्थियों को प्रार्थना के समय ही विभिन्न विषयों से संबंधित प्रश्न पूछे जाते थे, और उन्हें हर सही जवाब देने पर पुरस्कार मिलते थे। वे विद्यार्थियों को समय की कीमत और माता-पिता की मेहनत से अवगत कराते थे। अतिरिक्त कक्षाओं और पूर्व छात्रों से बातचीत के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रेरित किया जाता था।
लिटिल फ्लॉवर्स एकेडमी इंटर कॉलेज भवालपुर के प्रधानाचार्य जितेंद्र सिंह ने बताया कि विद्यालय ने भी आठ विद्यार्थियों को जिला टॉप 10 लिस्ट में स्थान दिलवाया। प्रधानाचार्य ने बताया कि विद्यालय में कड़े अनुशासन और कुशल अध्यापकों की मेहनत के साथ-साथ शिक्षा की नई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया। उनका उद्देश्य अब प्रदेश स्तरीय टॉप 10 में स्थान प्राप्त करना है, और इसके लिए वे छात्रों को सरल और सराहनीय तरीकों से शिक्षा देने की कोशिश कर रहे हैं।
राज रानी देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज हजरत नगर गढ़ी के प्रधानाचार्य अविनाश चौहान ने बताया कि विद्यार्थियों को सोशल मीडिया और मोबाइल से दूरी बनाने के लिए सख्त निर्देश दिए गए थे। इसके अलावा, कॉलेज में अतिरिक्त कक्षाएं भी लगाई गईं और छात्रों को पेपर के समय अधिक से अधिक पढ़ाई करने की हिदायत दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह परिणाम सिर्फ अंक नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की मेहनत, अनुशासन और सीखने के जुनून का प्रमाण है।
सिपाही लाल स्मारक किसान इंटर कॉलेज रजपुरा प्रधानाचार्य ने बताया कि विद्यालय में स्मार्ट क्लास से पढ़ाई कराई जाती है। जिससे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती रहे। महीने में दो बार 10 और 12 के बच्चों की रविवार के दिन परीक्षा करते थे। जिससे बच्चों की बेहतर परीक्षा की तैयारी हुई। जिसका परीक्षाफल परिणाम में देखने को मिला।
कृष्ण मुरारी मनोरमा अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज बहजोई के प्रधानाचार्य नरेंद्र मोहन ने बताया कि छात्र छात्राओं में अनुशासन, संस्कार, विद्यालय के प्रति नियमितता, मासिक परीक्षाएं, दो प्री बोर्ड परीक्षाएं, प्रत्येक परीक्षा के बाद पीटीएम तथा सभी आचार्यों के साथ मिलकर टीमवर्क की भावना के साथ काम करना हमारा मुख्य उद्देश्य रहता है। जिससे विद्यार्थियों का अध्ययन के प्रति मनोबल बढ़ता है और अच्छा परिणाम भी मिलता है।
सफलता के टिप्स
निरंतर निगरानी और मार्गदर्शन : छात्रों की पढ़ाई और उपस्थिति पर लगातार निगरानी रखी गई।
अतिरिक्त कक्षाएं और टेस्ट : विद्यार्थियों की समस्याओं को समझते हुए अतिरिक्त कक्षाएं और टेस्ट लगाए गए।
अभिभावकों का सहयोग : विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के साथ निरंतर संपर्क और मार्गदर्शन किया गया।
मोटिवेशन और प्रोत्साहन : विद्यार्थियों को लगातार मोटिवेट किया गया, और उन्हें सिखाया गया कि सफलता मेहनत से आती है, न कि केवल अंक से।
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