आज के समय भरत जैसा भाई मिलना मुश्किल
Sambhal News - गांव अकरोली में हो रही श्री रामकथा के छठे दिन, कथा व्यास अशोक दीक्षित ने भरत के बलिदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भरत ने सभी सुखों को त्यागकर वनवास को स्वीकार किया, जिससे भाई के प्रेम का महत्व...
थाना बनियाठेर क्षेत्र के गांव अकरोली में हो रही श्री रामकथा के छठे दिन कथा व्यास अशोक दीक्षित ने कहा कि आज भरत जैसा भाई मिलना मुश्किल है। भरत ने सब कुछ होते हुए भी वनवासी जीवन बिताया। यह उनका भाई के प्रेम ही था। कथा व्यास ने भरत मिलाप प्रसंग वर्णन करते हुए कहा कि राम लक्ष्मण और सीता वन चले गए। उनके वियोग मे दशरथ की मृत्यु हो गई। उधर केवट राम उसके बाद भरत को बुलाया गया और उन्हें सब प्रसंग सुनाया गया। तब भरत ने कहा कि मैं राम को वापस लाऊंगा। वह अपने परिवार सहित वन में चल दिए और जाकर प्रभु श्री राम से कहने लगे कि आप सभी घर चलें। मैं बन में रहूंगा, तब राम ने कहा वनवास उन्हें हुआ है। अगर ऐसा करते है तो मेरी मर्यादा जाएगा और पिता का वचन भी पूरा नहीं हो पाएगा। इसके बाद भरत के कहने पर प्रभु श्री राम ने अपने चरण खड़ाऊ दे दिए। उसके बाद भरत वापस आकर चरण पादुका रखकर राज्य करने लगे।
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