मौसम की मार से आलू की फसल प्रभावित, किसान चिंतित
इस बार आलू की फसल के लिए मौसम चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। बढ़ते तापमान ने अगेती आलू की फसल के अंकुरण को प्रभावित किया है। किसान चिंतित हैं क्योंकि उनका उत्पादन सामान्य से कम हो रहा है। अब बेहतर बीज...
आलू की फसल के लिए इस बार का मौसम भारी पड़ रहा है। बढ़े हुए तापमान ने आलू की अगेती फसल के अंकुरण को बुरी तरह प्रभावित किया है। जनपद में आलू की खेती प्रमुखता से की जाती है, लेकिन इस बार तापमान में वृद्धि के कारण फसल का अंकुरण सामान्य से काफी कम हो गया है। जिसकों लेकर किसान काफी चितिंत हैं। जिलेभर में अभी तक 22.500 हेक्टेयर भूमि पर आलू की फसल की बुआई हुई है। अभी भी जिले में आलू की बुवाई किसान कर रहे हैं। किसानों द्वारा लगाई गई आलू की अगेती फसल के अंकुरण सामान्य से काफी कम हुआ है। अंकुरण कम होने का सीधा असर आलू के उत्पादन पर पड़ेगा। आलू का कम अकुंरण होने का मुख्यकारण किसान तापमान में वृद्धि मान रहे हैं। क्योकि अक्टूबर माह में लगे आलू तापमान अधिक होने की वजह से गल गए। जिससे उनका अंकुरण नहीं हो सका। किसान पहले से ही बढ़ती लागत से लूझ रहे हैं। अब फसल उत्पादन में संभावित कमी ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है। कई किसानों ने बताया कि उन्होंने अच्छी उपज की उम्मीद में बेहतर बीज और खाद का उपयोग किया था, लेकिन मौसम ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
वर्जन
तापमान में वृद्धि फसल की वृद्धि और विकास के लिए हानिकारक है। आलू जैसी फसलों को अंकुरण के लिए ठंडे और अनुकूल तापमान की आवश्यकता होती है। जिस समय किसानों ने आलू की बुआई की थी। उस समय तापमान 30 डिग्री था, लेकिन आलू की फसल के लिए 25 डिग्री तापमान होना चाहिए। तापमान अधिक रहता है, तो अंकुरण धीमा हो जाता है, जिससे पौधों की संख्या कम हो जाती है और उत्पादन प्रभावित होता है।
- अरविंद कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र
कोट-----
अक्टूबर में गर्मी अधिक थी उसी समय किसानों ने आलू की बुआई कर दी। जिससे आलू जमीन में गल गया और उसी वजह से अंकुरण कम हुआ है। अंकुरण कम होने से उत्पादन पर असर पड़ेगा, जिससे किसानों को नुकासन होने की संभावना है।
- जितेन्द्र सिंह, किसान
इस बार आलू की अगेती फसल में अंकुरण सही नहीं हुआ है। खेत में पौधों की संख्या काफी कम दिखाई दे रही है। जिसकों लेकर किसान काफी चिंतित हैं, क्योकि आलू की फसल में और फसलों की अपेक्षा लागत अधिक लगती है। पैदावार सही नहीं हुई तो किसान को नुकसान होगा।
- भगवानदास, किसान
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