लापरवाही:पंचायत चुनाव की मतगणना में अव्यवस्थाओं का रच गया इतिहास
पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान जिले के मतगणना केंद्रों पर अव्यवस्थाएं हावी रहीं। जीतने के बाद प्रत्याशियों को न केवल घंटों इंतजार करना पड़ा बल्कि...
संभल। हिन्दुस्तान संवाद
पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान जिले के मतगणना केंद्रों पर अव्यवस्थाएं हावी रहीं। जीतने के बाद प्रत्याशियों को न केवल घंटों इंतजार करना पड़ा बल्कि एआरओ व अन्य अधिकारियों द्वारा उल्टा-सीधा भी सुनन पड़ा। मतगणना संपन्न होने के बाद बुधवार को दोपहर बाद तक भी पंवासा समेत कई ब्लाक में विजेता प्रत्याशियों को प्रमाण पत्र नहीं दिए गए। स्टेट इलेक्शन की वेबसाइट पर बुधवार दोपहर तक जीते प्रत्याशियों का डाटा फीड नहीं किया जा सका।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का जिले में 29 अप्रैल को मतदान संपन्न हुआ था। छिटपुट घटनाओं के बीच मतदान संपन्न होने से अफसर गदगद रहे। दो-चार स्थानों पर पथराव-फायरिंग के मामले सामने आए। जहां पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामलों काबू कर लिया। दो मई की सुबह आठ बजे से सभी आठ केंद्रों पर मतगणना शुरू होनी थी। मतगणना किसी भी केंद्र पर नौ बजे से पहले शुरू नहीं हो पाई। यह विभागीय जानकारी है, जबकि एजेंटों की मानें तो नौ बजे तक जिले में पंवासा, जुनावई समेत कई केंद्रों पर बने काउंटरों पर पर्याप्त कर्मचारी नहीं पहुंचे थे। पंवासा में साढ़े नौ बजे तो रजपुरा में दस बजे मतगणना शुरू हुई। यही हाल अन्य केंद्रों का भी रहा। बारह बजे के बाद पहले राउंड के वोटों की छंटनी हुई। पहले राउंड में ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और प्रधान पद का फाइनल होना था लेकिन दोपहर बाद प्रधान पद के परिणाम आने शुरू हुए। दोपहर बाद जीते प्रत्याशी देर रात जीत का प्रमाण पत्र लेकर निकले। अधिकांश मतगणना केंद्रों पर अव्यवस्थाएं हावी रहीं। एजेंट हलकान थे। जिला पंचायत सदस्यों का भी बुरा हाल था। सोमवार बीत गया लेकिन धीमी रफ्तार के कारण रिजल्ट फाइनल नहीं हो पाया।
एआरओ नहीं सुन रहे थे किसी की बात
संभल। चुनाव जीतने की घोषणा होने के बाद विजयी प्रत्याशी प्रमाण पत्र पाने के लिए एआरओ दफ्तर के चक्कर काट रहे थे। लेकिन पंवासा, जुनावई व रजपुरा व गुन्नौर समेत कई मतगणना केंद्रों पर एआरओ किसी की बात नहीं सुन रहे थे। अधिकारियों के बीच कोई तालमेल नहीं था। कर्मचारी घड़ी देखकर काम कर रहे थे। रिजर्व कर्मचारियों को बुलाने में अफसर पूरी तरह से नाकाम रहे। मतगणना केंद्रों की यही असली तस्वीर रही। जो राजनीति व राज्य निर्वाचन आयोग के मानकों के विपरीत रही। स्टेट इलेक्शन आयोग की वेबसाइट भी पूरी तरह से फेल रही। जुनावई ब्लाक को छोड़कर अन्य ब्लाकों का डाटा बुधवार दोपहर तक पूरी तरह से फीड़ नहीं हो पाया। सबकुछ तमाशा था। कई बार सीडीओ और जिलाधिकारी एआरओ व अन्य कर्मचारियों को फटकार लगा चुके थे लेकिन उसके बाद भी कार्य शैली में सुधार नहीं हुआ।
रिजल्ट जारी कराने की नहीं थी प्लानिंग
संभल। मतगणना कराने के बाद अधिकारियों के पास रिजल्ट जारी कराने की कोई प्लानिंग नहीं थी। अधिकारी सिर्फ, पुलिस के भरोसे थे कि लोग शांत रहे। पंवासा में तो हद ही हो गई, मंगलवार दोपहर बाद जीते प्रत्याशियों को प्रमाण पत्र नहीं दिए गए। सभी को यह कहकर घर भेज दिया कि बुधवार सुबह ब्लाक से आकर प्रमाण पत्र ले जाना लेकिन बुधवार को जब विजेता प्रत्याशी प्रमाण पत्र लेने पहुंचे तो वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। घंटों इंतजार करने के बाद विजेता प्रत्याशी निराश होकर वापस लौट गए।
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