Notification Icon
Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़संभलHistoric Chakki Pat Collapses in Sambhal After Rain Cultural Heritage at Risk

फोटो-- चक्की का पाट गिरने के बाद प्रशासन की खुली आंख, अब किया जाएगा संरक्षित

संभल शहर में ऐतिहासिक चक्की का पाट बारिश में गिर गया, जिससे यह धरोहर मलबे में बदल गई। प्रशासन ने मलबा हटवाने के बाद इसे संरक्षित करने का आश्वासन दिया। स्थानीय लोग लंबे समय से इसके संरक्षण के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, संभलThu, 19 Sep 2024 07:39 PM
share Share

संभल शहर की शान ऐतिहासिक चक्की का पाट बुधवार रात्रि में बारिश में भरभराकर कर जमींजोद हो गया। उपेक्षाओं की बारिश में आल्हा-ऊदल का चक्की पाट भरभराकर गिर गया। यह विरासत मलबे में तब्दील हो गई। इसके बाद चक्की के पाट को प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है। गुरुवार सुबह पालिका के ईओ ने मौके पर पहुंचकर मलबे को हटवाया और कहा कि मलबे में निकली ईंट से ही धरोहर को संरक्षित किया जाएगा। ऐतिहासिक धरोहर प्राचीन चक्की का पाट जो करीब 60 फिट की ऊंचाई पर टंगा था। जो बदहाली के आंसू रो रहा था। धीरे-धीरे कर वह गिर रहा था। इसको संरक्षित करने के लिए स्थानीय लोग लंबे समय से प्रयासरत थे। वह कई बार जिला प्रशासन के साथ पर्यटन व पुरातत्व विभाग को पत्र लिख चुके थे। लेकिन किसी अधिकारी की नींद नहीं टूटी। बुधवार रात हुई बारिश में यह ऐतिहासिक धरोहर भरभराकर नीचे गिर गया। मुख्य बाजार में विरासत के गिरने से मलबा फैल गया। इससे मार्ग भी अवरुद्ध हो गया। देर रात्रि एसडीएम विनय कुमार मिश्रा व ईओ डा. मणिभूषण तिवारी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। करीब तीन माह पूर्व पुरातत्व विभाग की टीम ने भी प्राचीन चक्की के पाट देखकर संरक्षित करने की बात कही थी।

देश-विदेश से लोग आते थे चक्की का पाट देखने

संभल शहर का एक दर्शनीय और कुतूहल का विषय रहे इस चक्की के पाट को देखने के लिए हर दिन दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में लोग बाहर से आते थे। जिस ऐतिहासिक इमारत पर इस पाट को लटकाया गया था, वह किसी अजूबे से काम नहीं था। इस पाट को वही व्यक्ति नीचे उतर सकता था जो उतनी कला का पारंगत हो जितनी उसे समय पाट को टांगने वालों में थी।

यह है संभल में चक्की के पाट का इतिहास

संभल पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी। उनके दिल्ली जाने के बाद यह उनके राज्य का आउट पोस्ट बन गया। राजा पृथ्वीराज कन्नौज के नरेश जयचंद की पुत्री संयोगिता का हरण कर ले आए थे। उस समय जयचंद की सेना के वीर योद्धा आल्हा, ऊदल व मलखान सिंह अपना रूप बदलकर नट की वेष-भूषा में संयोगिता का पता लगाने संभल आए थे। जहां वर्तमान में चक्की का पाट है, वहां पहले एक किला था, जिसमें एक खिड़की थी। नट की वेषभूषा वाले आल्हा ने खिड़की से झांकने के लिए कला का प्रदर्शन करते हुए पहले वहां एक छलांग लगाकर कील ठोंकी और फिर दूसरी छलांग में चक्की का पाट टांग दिया।

बताते हैं कि उस समय इसकी ऊंचाई लगभग 60 फीट थी। मुख्य उद्देश्य खिड़की से यह देखना था कि संयोगिता किले में है अथवा नहीं। यह तथ्य भी बताया जाता है कि संयोगिता का पता चल जाने के बाद पृथ्वीराज चौहान से युद्ध हुआ था। इसी समय से यह शाही उद्घोषणा की गई कि अब कोई नट (कलाबाज) संभल नगर में कला का प्रदर्शन नहीं करेगा, यदि करेगा तो उसे पहले एक ही छलांग में इस चक्की के पाट को उतारना होगा। परम्परानुसार वर्तमान में भी कोई नट (कलाबाज) संभल में अपनी कला का प्रदर्शन नहीं करता। उसी समय से यह एक ऐतिहासिक महत्व का स्थल बना हुआ है, जिससे आम जनमानस की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।

चक्की का पाट गिरने की सूचना मंडलायुक्त को दे दी गई है। इकाना स्टेडियम को बनाने वाले विजय सिन्हा से बात हुई है। वह कल उसका निरीक्षण करने आएंगे। उसके बाद बेकार हुई विरासत को फिर से संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। यह धरोहर पुरातत्व विभाग के अंदर नहीं है। जिस कारण उन्होंने इसे संरक्षित नहीं किया।

-डा.राजेंद्र पैंसिया, जिलाधिकारी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें