Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़संभलDevotional Story of Dhruva A Tale of Faith and Perseverance

ध्रुव की मार्मिक कथा सुन भक्त हुए भावुक

धनारी में चल रही कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने ध्रुव की कथा सुनी। कथावाचक कुमारी ललिता ने ध्रुव की तपस्या और भक्ति का मार्मिक वर्णन किया, जिसमें ध्रुव ने अपनी मां सुनीति की सलाह पर कठिन तप किया।...

Newswrap हिन्दुस्तान, संभलThu, 7 Nov 2024 06:12 PM
share Share

धनारी में चल रही सात दिवसीय कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने ध्रुव की कथा सुनी। कथा वाचक कुमारी ललिता ने अत्यंत मार्मिक ढंग से ध्रुव के प्रसंग को प्रस्तुत किया, जिसने वहां उपस्थित सभी भक्तों को भावुक कर दिया। कथावाचक ने बताया कि ध्रुव राजा उत्तानपाद और उनकी रानी सुनीति के पुत्र थे। राजा की दो रानियां थीं-सुनीति और सुरुचि, और दोनों ने एक-एक पुत्र को जन्म दिया। जबकि राजा अपने दोनों पुत्रों से प्रेम करते थे, सुरुचि ध्रुव से प्रेम नहीं करती थीं। एक दिन जब ध्रुव दरबार में खेलते हुए पहुंचे और राजा ने उन्हें अपने पास बैठा लिया, तो सुरुचि ने उन्हें दूर कर दिया। आहत ध्रुव ने अपनी मां सुनीति से इस बारे में बताया, जिन्होंने उन्हें ईश्वर की शरण में जाने का मार्ग दिखाया। पांच वर्ष की आयु में ही ध्रुव ने अपनी मां की सलाह पर महल छोड़ दिया और तपस्या करने निकल पड़े। मार्ग में देवऋषि नारद मिले, जिन्होंने ध्रुव की अटूट इच्छा को देखकर उन्हें ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करने की सलाह दी। ध्रुव ने छह माह तक एक पैर पर खड़े होकर कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और उनके तप की महानता को अमर बनाने के लिए सबसे चमकीले तारे का नाम ध्रुवतारा रख दिया। ध्रुव की इस भक्ति और तपस्या की कथा सुनकर भक्त भावविभोर हो उठे और पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें