धुंधकारी को श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मिली प्रेतयोनि से मुक्ति
Sambhal News - श्रीमद्भागवत कथा सुनने से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली। कथा व्यास रजनीश शास्त्री ने बताया कि कैसे गोकर्ण ने अपने दुष्ट भाई धुंधकारी को भागवत कथा सुनाकर उसके पापों का प्रायश्चित कराया। कथा ने...
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श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मनुष्य को शांति मिलती है और वह इस भवसागर से आसानी से पर हो जाता है। धुंधकारी को भी भागवत कथा सुनने से प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई थी। यह सद्विचार कथा व्यास रजनीश शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए। गांव आटा में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास ने धुंधकारी की कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि गोकर्ण व धुंधकारी दो भाई थे। गोकर्ण बड़ा होकर विद्वान पंडित और ज्ञानी निकलता है जबकि धुंधकारी दुष्ट, नशेड़ी, क्रोधी, चोर, व्याभिचारी, अस्त्र-शस्त्र धारण करने वाला, माता-पिता को सताने वाला निकलता है। वह माता-पिता की सारी संपत्ति नष्ट कर देता है। मरने के बाद धुंधकारी प्रेत बन जाता है। जबकि गोकर्ण भागवत कथा का ज्ञान बांटते है। वह धुंधकारी को भागवत कथा सुनाकर प्रेत योनि से मुक्त दिलाते हैं। कथा व्यास ने कहा कि इस तरह से सभी को समझने होगा कि अपने माता-पिता को कष्ट देने वाला, शराब पीने वाला, वेश्यागामी आदि पुरुष प्रेतयोनि प्राप्त कर अनंतकाल तक भटकते रहते हैं। अब न तो गोकर्ण की तरह कथा सुनाने वाले हैं और न सुनने वाले। धुंधकारी को उसके पापों की सजा तो मिली ही, साथ ही उसने प्रेतयोनि में रहकर भी सजा भुगती। बाद में जब उसे पछतावा हुआ तो भागवत कथा सुनकर मन निर्मल हो गया। निर्मल मन होने से उसके सारे संताप जाते रहे। कथा में बनवारी पाल, हेमराज पाल, कमल पाल, राहुल पाल, पप्पू पाल आदि मौजूद रहे।
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