संभल की जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा, कोर्ट के आदेश पर 2 घंटे सर्वे; इलाका छावनी में तब्दील
- संभल की सदर शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे के बाद शहर का माहौल अचानक गरमा गया। कोर्ट के आदेश पर जैसे ही कोर्ट कमिश्नर की टीम मस्जिद में सर्वे करने पहुंची तो खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते बाजार बंद हो गए।
संभल की सदर शाही जामा मस्जिद पर एक बार फिर हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया है। कैला देवी के महंत ऋषि राज गिरि ने सिविल न्यायालय में वाद दायर कर सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की थी। न्यायालय ने इसे स्वीकार करते हुए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर उनसे 29 नवंबर तक रिपोर्ट मांग ली। उधर, शाम होते-होते सर्वे के लिए टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। इसकी जानकारी होते ही मुस्लिम पक्ष में नाराजगी फैल गई। लोग मस्जिद के इर्द-गिर्द और छतों पर जमा हो गए। प्रशासन ने वादी महंत ऋषिराज को मस्जिद के पास से हटा दिया। टीम करीब दो घंटे की फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी के बाद लौट गई। इस दौरान मस्जिद के आसपास का इलाका छावनी बना रहा।
कैला देवी मंदिर के महंत त्रषिराज गिरि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के चर्चित अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के साथ जिला न्यायालय पहुंचे। उन्होंने जिला न्यायालय स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत में जामा मस्जिद की जगह पर पूर्व में हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किया। याचिका में उन्होंने केंद्र, राज्य सरकार, एएसआई के अलावा जामा मस्जिद की कमेटी को पक्षकार बनाया है।
दावे से माहौल गरमाया, देखते ही देखते बाजार बंद
सदर शाही जामा मस्जिद को लेकर चर्चाओं में रहे पुराने विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया। मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे के बाद शहर का माहौल अचानक गरमा गया। कोर्ट के आदेश पर जैसे ही कोर्ट कमिश्नर की टीम मस्जिद में सर्वे करने पहुंची तो खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते बाजार बंद हो गए।
करीब चार महीने पहले एएसआई की टीम ने किया था सर्वे
जामा मस्जिद के बाहर कुछ ही देर में सैकड़ों की संख्या में भीड़ एकत्र हो गई। पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में सर्दी में पसीने छूट गए। करीब चार माह पूर्व एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम ने मस्जिद का बारीकी से सर्वे किया था। मगर तब यह स्थिति नहीं बनी थी, लेकिन कोर्ट कमिश्नर की तैनाती और 29 नवंबर तक रिपोर्ट देने के आदेश के बाद जब सर्वे को टीम पहुंची तो माहौल बिल्कुल अलग था। अधिकतर मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और जामा मस्जिद पहुंच गए तो दूसरे पक्ष के लोग भी धड़ाधड़ दुकानें बंद करके घर चले गए। प्रशासन ने नागरिकों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। प्रशासन ने सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और भड़काऊ पोस्ट्स को रोकने के लिए सख्ती दिखाई है। साथ ही लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की गई है। पुलिस प्रशासन ने अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
मस्जिद से कराई कई अपील
सर्वे के दौरान भीड़ के उग्र होते देख जामा मस्जिद से प्रशासन की ओर से भीड़ से शांति रखने की अपील की गई। कुछ देर शांत रहने के बाद नमाज के समय लोग फिर उग्र हो गए तो एसपी ने नमाज के लिए अंदर आने की अनुमति दी।
भीड़ को काबू करने को एसपी ने लगाई छह थानों की फोर्स
स्थिति बिगड़ने के बाद पुलिस प्रशासन ने मोर्चा संभाला। सर्वे से पूर्व ही एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने संभल कोतवाली के साथ नखासा, हयातनगर, कैलादेवी, हजरत नगर गढ़ी, असमोली थानों की पुलिस को बुला लिया।
पुलिस बल ने संभाली स्थिति कोर्ट कमिश्नर ने किया सर्वे
सर्वे के दौरान एसपी ने पुलिस बल को मस्जिद के चारों ओर तैनात कर दिया। जो भीड़ को नियंत्रित किया। शोर शराबे के दौरान सीओ की कई बार नोकझोंक भी हुई। पुलिस के कड़े इंतजाम के बावजूद बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। भीड़ को शांत कराने में अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। करीब तीन घंटे तक शहर का माहौल तनावपूर्ण रहा। उधर, कोर्ट कमिश्नर रमेश चंद्र राघव जिला पुलिस प्रशासन के साथ करीब दो घंटे सर्वे करने के बाद जब शाही जामा मस्जिद से बाहर निकले, तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली।
प्रत्यावेदन मिलने पर फिर भेजी जाएगी टीम
संभल। डीएम डा. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि कोर्ट कमिश्नर नियुक्त होने के बाद इंतजामिया कमेटी के छह सदस्यों, वादी महंत ऋषि राज गिरी महाराज, उनके अधिवक्ता के साथ पुलिस प्रशासन ने बैठक की। जिसके बाद सभी की सहमति के बाद ही टीम सदस्य निर्धारित कर मस्जिद में सर्वे के लिए भेजी गई। जिसमें मेरे साथ एसपी, एसडीएम, सीओ व ईओ भी साथ में गए। टीम को प्रारंभिक सर्वे करा दिया गया है। टीम को एक सप्ताह के अंदर 29 नवंबर तक रिपोर्ट सौंपनी है। अगर कोर्ट कमीशन फिर से सर्वे के लिए प्रत्यावेदन देते हैं तो फिर से टीम भेजकर सर्वे करा दिया जाएगा।
न्यायालय ने 29 नवंबर तक मांगी सर्वे रिपोर्ट
संभल की सदर शाही जामा मस्जिद पर एक बार फिर हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया है कि जिस जगह जामा मस्जिद है, उस स्थान पर हरिहर मंदिर था। जिसे वर्ष 1529 में ध्वस्त कर मस्जिद का रूप दे दिया गया। मान्यता के अनुसार इसी स्थान पर भगवान के दशम अवतार भगवान कल्कि का अवतार होना है। यह स्थान एएसआई संरक्षित है। इसके बाद भी एएसआई को अंदर जाने नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में न्यायालय से एडवोकेट कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाना जरूरी है। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रमेश चंद्र राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर दिया। वह सर्वे करके एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
वादी महंत ऋषिराज गिरि को मस्जिद में जाने से रोका
सदर शाही जामा मस्जिद में सिविल कोर्ट के आदेश पर आनन-फानन में सर्वे कराने को लेकर मुस्लिम पक्ष के लोगों में नाराजगी है। देर शाम जब लोगों को पता चला कि मस्जिद पर दावा करने वाले महंत ऋषिराज गिरि भी सर्वे टीम के साथ पहुंचे हैं तो लोग और भड़क गए। हालांकि लोगों की भावनाओं को समझते हुए प्रशासन ने उन्हें मस्जिद में जाने से रोक दिया और उन्हें वहां से हटा दिया। मस्जिद में सर्वे के लिए पहुंचे कोर्ट कमिश्नर रमेश चंद्र राघव के साथ डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया, एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई, एसडीएम वंदना मिश्रा समेत कई अधिकारी और अधिवक्ता मौजूद रहे। सूचना पर सांसद जियाउर रहमान बर्क, पालिका अध्यक्ष आशिया मुशीर के पति चौधरी मुशीर खां और सदर विधायक नवाब इकबाल के पुत्र सुहैल इकबाल भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने विरोध जता रहे लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। इस दौरान नमाज का वक्त हो जाने पर इसकी अनुमति भी दी गई और आधा घंटा का समय भी बढ़ा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के वकील बोले
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सदर शाही जामा मस्जिद के पूर्व में मंदिर होने के हमारे पास पुख्ता प्रमाण हैं। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। कमिश्नर एक सप्ताह में मस्जिद की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करा कर रिपोर्ट न्यायालय को सौंपेंगे।
मस्जिद के वकील की बात
सदर शाही जामा मस्जिद के अधिवक्ता जफर अली एडवोकेट ने कहा कि कोर्ट ने एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने आनन-फानन में सर्वे कराया है। कोर्ट का पूरा सम्मान करते हैं। हमने पूरा सहयोग किया है। कमेटी से वार्ता के बाद जरूरत होने पर उच्च न्यायालय जाएंगे।