बोले सहारनपुर : साबरी बाग में कोताही, लोग नरक झेलने को है मजबूर
Saharanpur News - वार्ड 63, साबरी बाग में वुडकार्विंग कारोबार के कारीगर रहते हैं, लेकिन यहां की सड़कें टूटी हुई हैं और पानी निकासी की समस्या गंभीर है। कॉलोनीवासियों ने निगम अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई है, लेकिन कोई...
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वार्ड 63, साबरी बाग मंडी समिति रोड पर है। शहर को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने वाले वुडकार्विंग कारोबार के हस्त कारीगर इसी वार्ड में रहते हैं। इस वार्ड में सबसे ज्यादा समस्या हाकमशाह और राजपूत कॉलानी में है। कॉलोनी में टूटी सड़कों से लेकर पानी की निकासी की सबसे बड़ी समस्या है। जिससे कॉलोनीवासियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। निगम अधिकारियों के चक्कर भी लगाए गए, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। वार्ड 63, साबरी बाग मंडी समिति रोड पर है। वार्ड में गोटेशाह, साबरी बाग, धोबीवाला, 62 फुटा रोड, हाकमशाह कॉलोनी, राजपूत कॉलोनी, इंदिरा चौक, मंसूर कॉलोनी, आली की चुंगी, जिकरियाबाद आदि कई कालोनी हैं। शहर की सबसे बड़ी फूल मंडी इसी वार्ड में है। शहर को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने वाले वुडकार्विंग कारोबार के हस्त कारीगर इसी वार्ड में रहते हैं। लोहे के करीब 40 से 50 कारखाने हैं और एक राइस मिल भी है। सबसे ज्यादा समस्या हाकमशाह और राजपूत कॉलानी में है। आठ महीने पहले राजपूत कॉलोनी को अप्रूव्ड कॉलोनी की श्रेणी से बाहर कर दिया है। निगम विकास प्राधिकरण को और प्राधिकरण नगर निगम को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। कॉलोनी में टूटी सड़कों से लेकर पानी की निकासी की बड़ी समस्या है जिसके लिए निगम अधिकारियों के चक्कर लगाए जा रहे हैं लेकिन समस्या को कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। क्षेत्रवासी काफी परेशान हैं। हताश लोगों ने हिन्दुस्तान अखबार को अपनी समस्याओं से रुबरु कराया और समाधान के लिए गुहार लगाई है।
वार्ड 63 की गिनती पुराने शहरों में होती है। इस वार्ड में स्मार्ट सिटी की कोई सुविधा दिखाई नहीं देती है। मूलभूत सुविधाओं के लिए क्षेत्रवासी पिछले काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं। सड़के टूटी हुई हैं। नालियां जर्जर हालत में है। पानी की निकासी का कोई रास्ता नहीं है। जलभराव की समस्या बनी है। एंगल तो लगे हैं लेकिन स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है। जो लगी भी हैं वो भी कभी जलती हैं और कभी बंद रहती हैं। करीब 14 हजार मतदाता है और आबादी करीब 50 हजार बताई जा रही है। इतनी आबादी पर मात्र 22 सफाईकर्मी हैं। जहां देखो वहीं समस्या ही समस्या नजर आती है। वार्ड में मात्र एक पार्क है जिसका निर्माण चल रहा है। जरा सी आंधी या बारिश आते ही बिजली गुल हो जाती है। आबादी तो लगातार बढ़ रही है लेकिन ट्रास्फार्मर पुराने हैं। गर्मियों में लो-वोल्टेज और पीने के पानी की समस्या बनी रहती है। कुल मिलाकर वार्ड को समस्याओं का वार्ड कहा जा सकता है, जिसे नगर निगम की विशेष मदद की सबसे ज्यादा दरकार है।
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वार्ड 63 की विस्तृत जानकारी
घनी आबादी वाले वार्ड साबरी का बाग में लोहे से लेकर लकड़ी का बड़े स्तर पर कारोबार होता है। वुडकार्विंग के करीब 60 से 70 प्रतिशत कारीगर इसी वार्ड में रहते हैं। यहां के कारीगरों द्वारा बनाए गए सामान की मांग अंरतर्राष्ट्रीय स्तर पर है। गौरतलब है कि सहारनपुर को काष्ठ नगरी के नाम से भी जाना जाता है। शहर की सबसे बड़ी फूल मंडी इसी वार्ड में है। जहां से दूसरे शहरों और राज्यों को फूल सप्लाई किए जाते हैं।
समस्याएं एवं सुझाव
-पानी की निकासी की समस्या।
- टूटी सड़कों की समस्या।
-कुत्तों की समस्या।
-लो-वोल्टेज की समस्या।
-पथ प्रकाश की समस्या।
-सफाई की समस्या।
-नालियों की समस्या।
-गर्मियों में पीने के पानी की समस्या।
सुझाव
-स्ट्रीट लाईटों की व्यवस्था की जाए।
-सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए।
-कुत्तों को पकड़ने की व्यवस्था की जाए।
-नालियों और नालों की सफाई कराई जाए।
-पानी की समस्या दूर की जाए।
-बिजली की तारों को बदला जाए
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वर्जन
वार्ड में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कहने का सहारनपुर स्मार्ट सिटी में शामिल है। लेकिन इस वार्ड में किसी भी कॉलोनी में स्मार्ट सिटी की सुविधा नहीं है। मेराजुल हसन,
कालोनी में पानी की निकासी की कोई सुविधा नहीं है। नाले गंदगी से अटे पड़े हैं। कालोनी का ऐसा हाल देखकर निराशा होती है। निगम ध्यान नहीं दे रहा है। , गुलनवाज, कॉलानी निवासी
सपा सरकार में सड़क बनी थी उसके बाद सड़कों का बुरा हाल हो गया है। गलियां भी टूटी हुई हैं। नगर निगम ध्यान नही दे रहा है। वार्ड की अनदेखी की जा रही है। रईस मंसूरी, कॉलोनी निवासी
कालोनी में सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है। सड़कों की बजरी निकलकर बाहर आ गई है। आए दिन दुर्घटना होती रहती है। बुर्जुगों का पैदल चलना भी भारी हो गया है। मोहम्मद फारुख, कॉलोनी निवासी
इतनी बड़ी कालोनी में मात्र एक पार्क हैं। उसका निर्माण कार्य चल रहा है। वार्ड में जगह की तलाश कर पार्कोँ का निर्माण कराया जाए। जिससे वार्ड की गिनती भी स्मार्ट वार्डों में हो सके। अनीस, कॉलोनी निवासी
वार्ड में फूल मंडी भी है। जहां से आसपास के शहरों में फूल की सप्लाई की जाती है। पड़ोसी राज्यों के लोग भी कारोबार के लिए आते हैं। निगम को विशेष ध्यान देना चाहिए। शहजादा, कॉलोनी निवासी
2017 में सड़कों का निर्माण कराया गया था। आज करीब आठ साल बीत गए हैं। सड़कों की हालत काफी खराब हो गई है। पैदल चलना भी भारी हो गया है। परवेज, कॉलोनी निवासी
कालोनी में बिजली की तारें जर्जर हो गई हैं। ट्रांस्फार्मर भी खराब रहते हैं। थोड़ी सी बारिश आते ही बिजली गुल हो जाती है। वोल्टेज की समस्या भी बनी रहती है। मोहम्मद आमिर, कॉलोनी निवासी
कालोनी में कुत्तों की समस्या ने गंभीर रुप धारण कर लिया है। आए दिन कुत्तों के काटने की घटनाएं होती रहती हैं। इस संबंध में नगर निगम में शिकायत की गई है। कोई समाधान नहीं मिला है। रेहान अहमद, कॉलोनी निवासी
कालोनी में पथ प्रकाश के लिए स्ट्रीट लाईट की समुचित व्यवस्था नहीं है। करीब 400 एंगल लगाए गए थे। लेकिन आज तक स्ट्रीट लाइटे नहीं लगी है। सड़कों पर अंधेरा रहता है। अमीर अहमद, कॉलोनी निवासी
सबसे बड़ी समस्या सड़कों की पानी की निकासी की है। नगर निगम कर तो पूरा वसूलता है लेकिन सुविधाओं के मामले में जीरो है। कर तो दोगुने कर दिए गए हैं। लेकिन सुविधाए आधी भी नहीं हैं। हाफिज महबूब, कॉलोनी निवासी
थोड़ी सी बारिश होने की देर है। बिजली गुल हो जाती है। गर्मी के मौसम में बुरा हाल हो जाता है। लो-वोल्टेज के चलते पंखा चलाना भी भारी हो जाता है। आजम, कॉलोनी निवासी
वार्ड की राजपूत कॉलोनी को अप्रूव्ड कॉलोनी की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। नगर निगम विकास प्राधिकरण के पाले में गेंद डाल रहा है और विकास प्राधिकरण नगर निगम को जिम्मेदार ठहरा रहा है। मोहम्म्द अनवार, कॉलोनी निवासी
वार्ड की कई कॉलोनियों की हालत गांव से भी बदतर बनी हुई है। निगम कर तो पूरा वसूल रहा है लेकिन सुविधाएं शहर के दूसरे वार्डों में दे रहा है। वार्ड के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। सुहेब आलम, कॉलोनी निवासी
वार्ड 63 के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। वार्ड की सबसे बड़ी समस्या पानी निकासी और सफाई की है। इस बारे में कई बार स्थानीय पार्षद से लेकर निगम अधिकारियों को शिकायत की गई है। हाजी इजहार, कॉलोनी निवासी
साबरी बाग घनी आबादी वाला वार्ड है। सहारनपुर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वुडकार्विंग बाजार के करीब 60 से 70 प्रतिशत कारीगर इसी वार्ड में रहते हैं। लोहे के छोटे-बड़े करीब 40 से 50 कारखाने हैं। फूलों की मंडी भी इस वार्ड में ही है। इस वार्ड पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। गुलजेब खान पार्षद प्रतिनिधि
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