असत्य पर सत्य की जीत के साथ रावण का दहन
असत्य पर सत्य की जात का प्रतीक लंकापति रावण का दहन रविवार को हुआ। शहर में 25 से अधिक स्थानों रावण मेघनाथ और कुंभकरण का दहन किया गया। कोरोना कॉल के...
सहारनपुर। संवाददाता
असत्य पर सत्य की जात का प्रतीक लंकापति रावण का दहन रविवार को हुआ। शहर में 25 से अधिक स्थानों रावण मेघनाथ और कुंभकरण का दहन किया गया। कोरोना कॉल के चलते इस रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले दस से 15 फुट के ही रहे। वहीं रावण दहन पर मेले का आयोजन नहीं किया गया था। भीड एकत्र न हो इसके लिए पुलिस के खास इंतजाम रहे। हिन्दुस्तान ने दस स्थानों पर रावण दहन का जायजा लिया।
असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा जिले में धूमधाम से मनाया गया। शाम को श्रीराम भगवान ने अहंकारी रावण का वध किया। इसके बाद विभिन्न जगहों पर रावण मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला दहन किया गया। रामलीला भवन, टीटू कॉलोनी, नेहरु कॉलोनी, हकीकत नगर, रेलवे कॉलोनी, जुबलीपार्क, समेत 25 से अधिकत स्थानों पर रावण, मेघनाथ के पुतले का आग के हवालें किया गया। इस बार रावण दहन पर मेले का आयोजन नही किया गया था और पुतलों की लंबाई के साथ आतिशबाजी भी कम थी। भगवान श्रीराम अपनी सेना के साथ रावण का वध करने स्थल पर पहुंचे तो जयश्रीराम के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। भगवान श्रीराम ने रावण का जैसे ही वध किया तो उनका पुतला धू-धू कर जलने लगा। रावण के पतुले से आतिशबाजी निकलने लगी थी।
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