हिन्दुस्तान खास : भाजपा ने लगाई कांग्रेस और बसपा के गढ़ में सेंध
किसान आंदोलन और तमाम अंतविर्रोध के बाद भी भाजपा ने जिला पंचायत चुनाव में अब तक की रिकार्ड सफलता प्राप्त की है। खास बात यह है कि कांग्रेस के गढ़ कहे...
सहारनपुर। सीपी सिंह
किसान आंदोलन और तमाम अंतविर्रोध के बाद भी भाजपा ने जिला पंचायत चुनाव में अब तक की रिकार्ड सफलता प्राप्त की है। खास बात यह है कि कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले बेहट और देहात के साथ ही बसपा के प्रभाव वाले इलाकों में भी भाजपा सेंध लगाने में कामयाब रही है। इन इलाकों से भी भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
यूपी का प्रवेश द्वार कहे जाना वाले सहारनपुर में जिला पंचायत चुनावों में बसपा का ही दबदबा रहा है। बीते 25 सालों का इतिहास उठाकर देखा जाए तो बसपा ही जिला पंचायत पर हावी रही है, लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा खासे फायदे में हैं। बेहट कांग्रेस के प्रभाव क्षेत्र वाला है। यहां पर कांग्रेस के विधायक भी हैं, लेकिन उसके बाद भी भाजपा ने जिला पंचायत में परचम फहरा डाला। बेहट क्षेत्र से भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विजेन्द्र कश्यप समेत चार जिला पंचायत चुने गए हैं। इसी तरह देहात विधान सभा में फिलहाल कांग्रेस के विधायक हैं। जबकि इससे पहले बसपा प्रभावी रही है। कभी यह क्षेत्र बसपा सुप्रीमो मायावती का खासा प्रिय क्षेत्र हुआ करता था। यही कारण रहा है कि भाजपा का कोई भी व्यक्ति कमल निशान के साथ यहां से चुनाव लड़ने की आसानी से हिम्मत नहीं कर पाता, लेकिन इस क्षेत्र के वार्ड 43 से भाजपा के मुकेश चौधरी ने पांच हजार से भी अधिक मतों से भी जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया है।
इसी तरह भाजपा ने बसपा के प्रभाव वाले अन्य इलाकों में भी केसरिया फहरा दिया है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वर्ष 2016 की जिला पंचायत में बसपा के 25 सदस्य थे। लेकिन इस बार 16 ही रह गए हैं। साफ है कि भाजपा ने सीटें झटकी हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि विपक्ष में रहने के बाद भी बसपा ने 16 सीटें अपने दम पर लेकर सभी को चौंका जरूर दिया है। सियासी दलों को जता दिया है कि बसपा की अभी जमीन खिसकी नहीं हैं।
-कांग्रेस, भाजपा फायदे में, बसपा को नुकसान में
जिला पंचायत के चुनाव में भाजपा साफ तौर पर फायदे में दिखाई दे रही है। बसपा के जहां पहले 25 सदस्य थे, जोकि इस बार 16 रह गए हैं। साफ है कि नौ सदस्यों का नुकसान हुआ है। वहीं भाजपा के जहां वर्ष 2016 में महज छह सदस्य थे। इस बार बढ़कर आंकड़ा 14 तक जा पहुंचा है। इस बार कांग्रेस भी फायदे में रही है। बीते जिला पंचायत में कांग्रेस के तीन सदस्य थे, लेकिन इस बार बढ़कर आठ हो गए हैं।
-आसपा और भाकियू ने खोला खाता
पहली बार जिला पंचायत के चुनाव मैदान में उतरी आजाद समाज पार्टी और भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने भी इस बार खाता खोल लिया है। आसपा ने दो और भाकियू ने एक सीट पर जीत दर्ज की है। भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय चौधरी के बेटे अभिषेक चौधरी वार्ड 36 जीते हैं।
-आसपा ने पहुंचाया बसपा को नुकसान
जिला पंचायत चुनाव में आजाद समाज पार्टी भले ही कोई बड़ा धमाका नहीं कर पाई हो, लेकिन उसे बहुजन समाज पार्टी को खासा नुकसान पहुंचाया है। मोटे तौर पर दोनों पाटिर्यों का वोट बैंक एक होने से बसपा के वोट बैंक में आसपा सेंध लगाने में सफल रही।
-बसपा से अध्यक्ष रहीं इस बार भाजपा से
इस चुनाव में एक और बदलाव देखा गया। भाजपा की जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं गायत्री देवी पूर्व में बसपा से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं, लेकिन इस बार वह भाजपा से चुनाव मैदान में उतरीं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।