किसानों ने बदला तरीका, बढ़ा ग्रुप खेती का चलन
परंपरागत खेती में कम लाभ मिलने पर किसानों ने अब खेती करने के तरीके बदल लिए हैं। इसके लिए फार्मर प्रोडयूसर ऑरगनाइजेशन (एफपीओ) यानि कृषक उत्पादक संगठन...
परंपरागत खेती में कम लाभ मिलने पर किसानों ने अब खेती करने के तरीके बदल लिए हैं। इसके लिए फार्मर प्रोडयूसर ऑरगनाइजेशन (एफपीओ) यानि कृषक उत्पादक संगठन बनाए जा रहे हैं, जिससे किसानों की आय को बढ़ाने का नया रास्ता मिल गया है। संगठन में छोटे-छोटे किसानों को जोड़कर उन्हें उन्नत खेती करने का मौका मिल रहा है। खास बात यह है कि सरकार भी प्रोत्साहित करने के लिए इन संगठनों को समय-समय पर अनुदान दे रही है।
प्रदेश और केंद्र सरकार लगातार किसानों की आय को बढ़ाने का दावा कर रही है। इसके तहत सरकार ने एक नई योजना तैयार की, जिसके तहत जिले में अधिक से अधिक संख्या में कृषक उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य रखा है। जिससे किसानों के समूह को संगठन के रूम में रजिस्टर्ड कराया जाता है। इसके बाद कम जोत वाले किसानों को जोड़ा जाता है। जब करीब 20 या 25 एकड़ जमीन सभी किसानों की हो जाती है तो फिर कौन सी फसल फायदेमंद रहेगी, इसको फाइनल किया जाता है। उसके बाद किसनों से वैज्ञानिक तरीके से खेती कराई जाती है। फसल जब तैयार हो जाती है तो कृषि विभाग द्वारा किसानों को उनकी फसल के उचित दाम दिलाने के लिए मार्केटिंग की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती है। मंडी परिषद में भी ऐसे संगठनों के लिए अलग से स्टॉल लगाए जाते हैं।
अब तक नौ एफपीओ हो चुके स्थापित
सहारनपुर जिले में अब तक नौ एफपीओ स्थापित हो चुके हैं। मुजफ्फराबाद में दो, नकुड़ एवं गंगोह में तीन और पुंवारका, नानौता, सढ़ौली कदीम, रामपुर मनिहारान विकास खंड में एक-एक एफपीओ कार्य कर रहे हैं। जिसमें पांच हजार से अधिक किसान एफपीओ से जुड़ चुके हैं।
-किसान बोले-डेढ़ गुना बढ़ी आमदनी, 30 फीसदी लागत हुई कम
-अनाग्राम डवलपमेंट एंड फार्मर प्रोडयूसर कंपनी बांदूखेड़ी के सीईओ किसान प्रदीप कुमार के मुताबिक उनके संगठन में 1500 से अधिक किसान हैं। किसानों को जैविक तरीके से खेती कराई जा रही है। इसके लिए वैज्ञानिक मदद भी किसानों को उपलब्ध कराई जाती है। इसके बाद फसलों को बाजार के दाम से अधिक मूल्य पर खरीदकर अपने कंपनी के नाम से बेचा जाता है। जिससे किसानों को पहले की अपेक्षा डेढ़ गुणा अधिक मुनाफा होता है। उधर एक साथ खेती करने से लागत भी खासी कम आती है। करीब 30 फीसदी लागत कम लगानी पड़ती है।
-प्राकृतिक जैव ऊर्जा प्रोडयूसर कंपनी के सीईओ किसान मनोज कुमार का कहना है कि उन्होंने अक्टूबर 2019 में एफपीओ बनाया था। जिसमें अब 250 से अधिक किसान जुड़ चुके हैं। संगठन द्वारा वैज्ञानिक तरीके से खेती कराई जाती है। जिसमें फल, सब्जी, औषधिय पौधों की खेती होती है। जिसे बाजार में बेचने के लिए एक प्लेटफार्म भी दिया जाता है। जिससे किसानों को खासा लाभ हो रहा है। साथ ही सरकार से भी समय समय पर अनुदान और अन्य योजनाओं का लाभ मिलता रहता है। एफपीओ बनाकर खेती करने से लागत भी करीब 30 फीसदी कम आ रही है।
मंडी में कर रहे उत्पादों की बिक्री
सीनियर एग्रीकल्चर मार्केटिंग इंस्पेकटर सुशील सोम ने बताया कि एफपीओ से जुड़े किसानों को जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए मंडी परिसर में स्टॉल उपलब्ध कराए जाते हैं। जिसमें फल, सब्जियां, शक्कर, खांड, गुड़, लैमन ग्रास ऑयल, आंवला मुरब्बा, सिरका, अश्वगंधा, सरसों का तेल, मोरंगा, साबुत उड़द आदि की बक्रिी की जाती हैं।
-वर्जन
एफपीओ के साथ बड़ी संख्या में लघु एवं सीमांत किसान जुड़े हैं। संगठन बनाकर खेती करने से किसान उन्नत खेती की ओर बढ़ रहे हैं। जिससे किसानों की आमदनी में भी वृद्धि हो रही है।
- रामजतन मिश्र, उप निदेशक कृषि
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