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आजम खान को बचाने के आरोप में फंसे रामपुर के पूर्व एसपी को बड़ी राहत, शासन ने जांच पर लगाई रोक

  • रामपुर के तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला और उनके अधीनस्थों के खिलाफ जांच के आदेश पर शासन ने रोक लगा दी है। शासन ने सितम्बर-2024 में पूर्व एसपी और एएसपी की भूमिका की जांच अलीगढ़ मंडलायुक्त चैत्रा बी. और विजिलेंस आईजी मंजिल सैनी को सौंपी थी।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, विधि सिंह, लखनऊFri, 10 Jan 2025 05:56 AM
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Azam Khan Case: जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को बचाने के आरोपों में फंसे तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला (अब डीआईजी, सीबीसीआईडी) और उनके अधीनस्थों के खिलाफ जांच के आदेश पर शासन ने रोक लगा दी है। शासन ने सितम्बर-2024 में पूर्व एसपी व एएसपी की भूमिका की जांच अलीगढ़ मंडलायुक्त चैत्रा बी. और विजिलेंस आईजी मंजिल सैनी को सौंपी थी। कुछ दिन बाद ही दोनों अफसरों को जांच शुरू करने से रोक दिया गया था। अब शासन ने इस जांच पर रोक लगाने के आदेश भी जारी कर दिए हैं।

यह था मामला

रामपुर में जौहर यूनिवर्सिटी परिसर के तहत आने वाली इमामुद्दीन कुरैशी की जमीन वर्ष 2006 में शत्रु सम्पत्ति में दर्ज हो गई थी। जांच में आया कि राजस्व विभाग के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर शत्रु सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिए आफाक अहमद का नाम गलत तरीके से रिकार्ड में दर्ज कराया गया। वर्ष 2020 में इस संबंध में एफआइआर सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई गई।

वर्ष 2023 में विवेचना तत्कालीन इंस्पेक्टर गजेन्द्र त्यागी ने की थी। गजेन्द्र ने लेखपाल के बयान पर आजम का नाम बढ़ा दिया था। इस पर तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला ने विवेचना अपराध शाखा को दे दी थी। यहां नए विवेचक इंस्पेक्टर श्रीकांत द्विवेदी ने कुछ समय में ही आजम का नाम एफआईआर से निकाल दिया।

आईपीएस के साथ ही आजम को भी राहत

गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक 13 सितम्बर, 2024 को हुए जांच आदेश पर मौखिक रूप से कुछ समय बाद ही रोक लगा दी गई थी। जांच अफसरों से कहा था कि अभी किसी के बयान नहीं लेने हैं। पूर्व एसपी एक दिन खुद विजिलेंस दफ्तर पहुंच गए थे जहां पता चला कि अभी बयान नहीं होने हैं।

ये थे आरोपः

आजम को बचाने के लिए ऐसे हुआ था खेल

-एफआईआर से आजम का नाम निकालने के लिए एसपी ने 17 मई 2023 को विवेचना क्राइम ब्रांच को दे दी

-नए विवेचक श्रीकांत ने दस्तावेजों की बिना जांच-बयान के गम्भीर धाराओं को हटा दिया।

-पहले लगी धारा (467/471) में आजीवन कारावास की सजा थी। जो विवेचना वर्ष 2020 से चल रही थी उसे विवेचक श्रीकांत ने कुछ समय में ही पूरा कर आजम का नाम निकाल दिया था।

-श्रीकांत ने उनके ओएसडी आफाक अहमद (मुख्य आरोपी) के लखनऊ स्थित घर पर नोटिस तामील कराया जबकि वह तब सीबीआई के एक मुकदमे में फरार होकर विदेश में छिपा था।

-विवेचक ने तर्क दिया था कि नोटिस व्हाट्सऐप पर तामील की गई। नियम है कि सम्बन्धित आरोपी किसी दूसरे मामले में फरार है तो उसे व्हाटसऐप पर नोटिस नहीं तामील हो सकती।

-विवेचक ने अपनी उपस्थिति आफाक के घर दिखाने को एक फोटो भी खिंचवाई। यह फोटो भी गलत कार्रवाई का सुबूत बनी। फोटो में आफाक के घर सीबीआई की चस्पा नोटिस भी दिखी, जिसमें उसे फरार दिखाया गया है।

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