Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़rape victim filed 12 cases and lawyer filed 18 cases court also surprised said cbi should investigate

दुष्कर्म ‘पीड़िता’ ने 12 और वकील ने 18 मुकदमे ठोके, कोर्ट भी हैरत में; कहा-सीबीआई करे जांच

  • कथित रेप पीड़िता ने अलग-अलग लोगों के खिलाफ 12 आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए हैं। उसके वकील ने भी 18 मुकदमे दर्ज कराते हुए, तमाम लोगों को अभियुक्त बना रखा है। तथ्यों को देखकर हाईकोर्ट भी हैरत में पड़ गया। न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों को देखते हुए, उचित होगा कि सीबीआई इन सभी मुकदमों की जांच करे।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, विधि संवाददाता, लखनऊSun, 9 March 2025 05:41 AM
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दुष्कर्म ‘पीड़िता’ ने 12 और वकील ने 18 मुकदमे ठोके, कोर्ट भी हैरत में; कहा-सीबीआई करे जांच

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एक ऐसा मामला आया जिसमें कथित पीड़िता ने अलग-अलग लोगों के खिलाफ 12 आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए हैं तो उसके वकील ने भी 18 मुकदमे दर्ज कराते हुए, तमाम लोगों को अभियुक्त बना रखा है। मामले के तथ्यों को देखकर हाईकोर्ट भी हैरत में पड़ गया। न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों को देखते हुए, उचित होगा कि सीबीआई इन सभी मुकदमों की जांच करे और अपनी रिपोर्ट सौंपे। मामले की अगली सुनवायी 10 अप्रैल को होगी।

धन वसूली के लिए कराती है मुकदमा

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने अरविन्द यादव व एक अन्य की याचिका पर आदेश पारित किया। याचियों ने पीड़िता द्वारा उनके खिलाफ दुराचार, छेड़छाड़ व धमकी जैसे गंभीर अपराधों में थाना विभूति खंड में लिखाई गई एफआईआर को चुनौती दी है। याचियों की ओर से दलील दी गई कि पीड़िता का यही काम है कि वह लोगों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमे लिखाकर धन वसूली करती है। कहा गया कि यही नहीं पीड़िता के अधिवक्ता परमानन्द गुप्ता ने भी 18 आपराधिक मुकदमे अलग-अलग लोगों के खिलाफ दर्ज करा रखे हैं।

दर्ज कराए गए मुकदमों की सूची न्यायालय में पेश

न्यायालय के समक्ष दोनों के द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों की पूरी सूची भी पेश की गई। इस पर न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पीड़िता व उसका वकील मिलकर लोगों के खिलाफ झूठे एफआईआर दर्ज कराते हैं ताकि पैसे की वसूली की जा सके, वर्तमान एफआईआर भी इसी प्रकार की प्रतीत हो रही है। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में उचित होगा कि सीबीआई जांच कर 10 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

न्यायालय ने बिना ठोस सबूत गिरफ्तारी रोकी

अरविंद यादव और अवधेश यादव के खिलाफ विभूतिखंड कोतवाली में गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसके खिलाफ अरविंद और अवधेश यादव ने न्यायालय में अर्जी दायर करते हुए मुकदमा रद्द करने की मांग की थी। याची पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद न्यायामूर्ति विवेक चौधरी और न्यायामूर्ति बृजराज सिंह ने बिना ठोस साक्ष्य के गिरफ्तारी पर रोक लगाई है।

झूठे मुकदमे पर है सजा का प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता की धारा 217 झूठा मुकदमा दर्ज कराने पर कार्रवाई का प्रावधान करती है। इस प्रावधान के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की नियत से लोक सेवक के समक्ष झूठी शिकायत दर्ज कराता है तो उसे एक साल तक के कारावास व दस हजार रुपये जुर्माने तक की सजा हो सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 182 भी यही प्रावधान करती थी। वहीं भारतीय न्याय संहिता की धारा 308(6) किसी व्यक्ति से एक्सटॉर्शन वसूलने के लिए झूठे मुकदमे जिसकी सजा दस साल अथवा अधिक हो, उसमें फंसाने पर दस साल के तक कारावास तक का प्रावधान करती है।

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