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तनाव मुक्त कीजिए खाकी, थम जाएगा सुसाइड का सिलसिला

Rampur News - पुलिसकर्मियों में डिप्रेशन और काम के बोझ के कारण आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। परिवारिक कलह, नौकरी का तनाव और अनुचित दबाव इसके प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिसवालों के लिए बेहतर...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरFri, 25 April 2025 06:10 AM
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तनाव मुक्त कीजिए खाकी, थम जाएगा सुसाइड का सिलसिला

खाकीधारी डिप्रेशन में हैं..., काम के बोझ के बीच अपनों से मन-मुटाव और कलह आत्महत्या की वजह बन रही है। एक्सपर्ट की मानें तो पुलिस वालों के लिए बेहतर माहौल देने की जरूरत है। हैप्पीनेस कार्यशालाएं आयोजित कर तनाव मुक्त किया जा सकता है। इससे जहां एक ओर उनका काम में मन लगेगा, वहीं आत्मघाती कदम नहीं उठाएंगे। आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्थिति यहां तक बदहाल हो चुकी है कि दूसरों की जिंदगी बचाने वाले खाकी वर्दीधारी भी जीवन से मायूस होकर मौत को गले लगा रहे हैं। इसके पीछे किसी की पारिवारिक कलह रही है तो किसी की नौकरी में बढ़ता तनाव, साथियों के आरोप-प्रत्यारोप तो किसी पर अनुचित दवाब...। बीते कुछ समय में मंडल भर में एक के बाद इस तरह की घटनाएं सामने आयी हैं। गुरुवार को गंज कोतवाली में एक सिपाही ने दरोगा की पिस्टल से खुद को गोली मार ली, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि वह डिप्रेशन में था, लेकिन डिप्रेशन की वजह क्या था, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

केस-1

23 मार्च को रामपुर के टांडा थाने में तैनात सिपाही अंकित ने खुद को गोली मार ली, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई। परिजनों की मानें तो मानसिक तनाव के चलते सिपाही अंकित ने आत्महत्या की। हालांकि, वह तनाव क्या था, उसकी जांच पुलिस अधिकारी करा रहे हैं। जिसमें कई तथ्य सामने आ रहे हैं।

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केस-2

16 मार्च को कटघर थाना क्षेत्र में डायल 112 पीआरवी गाड़ी के चालक सिपाही अमित कुमार मझोला थाना क्षेत्र में लाइनपार प्रकाशनगर गली नंबर एक में किराये के कमरे में रहते थे। उन्होंने बकायदा सुसाइड नोट लिखकर खुद को फांसी के फंदे पर लटकाकर जान दे दी थी।

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केस-3

पांच मार्च को रामपुर की स्वार कोतवाली में तैनात उप निरीक्षक नायब खान ने सरकारी आवास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उनका रोजा था और सुबह सहरी खाकर वह ड्यूटी पर आए थे। लेकिन, बाद में कमरे में उनका शव फंदे पर लटका पाया गया था।

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केस-4

दो मार्च को मुरादाबाद में आईजी पीएसी के आवास पर शाम करीब साढ़े पांच बजे सिपाही शुभम कुमार ने इंसास राइफल से गर्दन के नीचे गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं हुआ लेकिन, पुलिस अधिकारियों ने तनाव को ही आत्महत्या का कारण माना।

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एक वर्कशॉप ने थाम दी थीं सुसाइड की घटनाएं

बात 2019 की है, उस समय भी मुरादाबाद मंडल में दो-तीन पुलिस वालों ने सुसाइड किया था, जिस पर तत्कालीन आईजी ने पुलिस कर्मियों को अवसाद से उबारने के लिए तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में हैप्पीनेस कार्यशाला का आयोजन कराया था, जिसमेंं अंतरराष्ट्रीय व मशहूर विशेषज्ञ शामिल हुए थे। मुरादाबाद परिक्षेत्र के करीब दो सौ पुलिस कर्मियों को तनाव की पहचान कराने के साथ निजात पाने का तरीका भी बताया था। उसके बाद लंबे समय तक इस तरह की घटनाएं नहीं हुईं।

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आत्महत्या करने से पहले आने वाले लक्षण

-अचानक गुमसुम रहना, निष्क्रिय रहना।

-बार-बार बोलता है कि मरने का मन करता है।

-जीने की इच्छा छोड़ देना।

-किसी भी बात पर खुश नहीं होना।

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आत्महत्या के प्रमुख कारण

-मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं।

-अल्कोहल या नशीली दवाओं का सेवन।

-पारिवारिक कलह के चलते तनाव।

-आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां।

-जीवन में अनसुलझे आघात।

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इस तरह रोकने का करें प्रयास

-मजबूत पारिवारिक और सामाजिक समर्थन।

-समय पर चिकित्सा और काउंसलिंग।

-समस्या-समाधान के कौशल विकसित करना।

-सकारात्मक सोच और उम्मीद बनाए रखना।

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ऐसे बेहतर रखें अपने विचार

-सही दिनचर्या अपनाएं

-अच्छा खाएं, शारीरिक व्यायाम को जिंदगी का हिस्सा बनाएं।

-अपने शौक को जिंदगी का हिस्सा बनाएं।

-खुलकर हंसे, मुस्कुराएं और अपनी बात्तों को अपनों से साझा करें।

-अपनी क्षमता के हिसाब से कॅरियर और रिश्तों का चुनाव करें।

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इनकी सुनिए-

सभी जनपदों के पुलिस कप्तानों को आदेश दिए गए हैं कि थानों में सम्मेलन कराकर समस्याएं सुनीं जाएं। व्यक्तिगत समस्या किसी को है तो उसकी काउंसलिंग करायी जाए। ताकि, इस तरह की घटनाओं को कम किया जा सके।

-मुनीराज जी, डीआईजी

मुरादाबाद, रेंज

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जब समस्याओं का कोई समाधान नजर नहीं आता है तो आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने को व्यक्ति मजबूर हो जाता है। यदि समय रहते उसकी काउंसलिंग हो तो इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकती है।

-डा. आयुष कुमार

असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान

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जीवन में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। इन सभी चुनौतियों से सामंजस्य ना बना पाने के कारण व्यक्ति मानसिक पीड़ा से गुजरने लगता है, एवं अलग थलग पड़ जाता है और अंतत: आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है।

-डॉ. आकांक्षा देवी

असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान

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पुलिस में ड्यूटी का कोई शेड्यूल नहीं रहता, नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे तनाव और बढ़ जाता है। छोटी-छोटी बातों को लेकर घुटन होने लगती है। ऐसे में समय-समय पर काउंसलिंग हो जाए तो काफी हद तक समाधान हो सकता है।

-डा. कुलदीप चौहान

मनो चिकित्सक

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