चिकित्सा प्रतिपूर्ति के दो लाख हड़पने में रिटायर्ड लेखाकार पर केस दर्ज
Rampur News - शाहबाद ब्लॉक के एक रिटायर्ड लेखाकार सुरेश सिंह पर अपनी पत्नी के इलाज के फर्जी बिल बनाकर दो लाख रुपये हड़पने का आरोप लगा है। जांच के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। सुरेश ने बताया कि उन्हें...
पत्नी के इलाज के फर्जी बिल लगाकर चिकित्सा प्रतिपूर्ति के दो लाख रुपये हड़पने में शाहबाद ब्लॉक के रिटायर्ड लेखाकार फंस गए हैं। तीन सदस्यीय कमेटी की जांच के आधार पर बीडीओ ने शाहबाद कोतवाली में आरोपी रिटायर्ड एकाउंटेंट पर केस दर्ज कराया है। पुलिस ने तफ्तीश शुरू कर दी है। रामपुर के मोहल्ला चादरवाला बाग निवासी सुरेश सिंह शाहबाद ब्लॉक में लेखाकार रहे है। 31 जनवरी 2023 को वह रिटायर हो गए थे। बीडीओ नरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार सुरेश सिंह ने 12 अप्रैल 2024 को अपनी पत्नी के इलाज के खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए 2,01,605 रुपये का दावा पेश किया था। जिसके सापेक्ष उन्हें 1,97,418 रुपये भुगतान कर दिया गया। उनकी शिकायत की गई कि उन्होंने फर्जी व कूटरचित बिल अथवा दस्तावेज पेश करके सरकार को चूना लगाया है। जिस पर सीडीओ ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच कराई थी। टीम की जांच के अनुसार सुरेश ने अपनी पत्नी का इलाज बरेली के मिनी बाईपास स्थित हॉस्पिटल से दर्शाया था। लेकिन जांच के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि सुरेश की पत्नी का इलाज उनके यहां नहीं कराया गया। इसके बाद टीम ने जांच आख्या सीडीओ को सौंप दी। जिसके स्पष्ट किया गया कि सुरेश ने फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर सरकार से धन लेकर अनुचित लाभ लिया गया।
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रिपोर्ट के बाद ट्रेजरी में जमा कराई रकम:
शाहबाद। मुकदमे में फंसे रिटायर्ड एकाउंटेंट सुरेश सिंह ने बताया कि उन्हें फर्जी बिलों के बारे में जानकारी नहीं थी। रिटायरमेंट के बाद जनवरी 2024 में वह सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। उसी दौरान उनकी पत्नी बीमार हो गईं। एक व्यक्ति ने उन्हें झांसे में लेकर यह सब करा दिया। उन्होंने बताया कि गुरुवार को उन्होंने ट्रेजरी में चिकित्सा प्रतिपूर्ति के तहत ली गई पूरी रकम जमा करा दी है।
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क्या है चिकित्सा प्रतिपूर्ति:
शाहबाद। सरकारी सेवकों अथवा उनके आश्रितों के चिकित्सा पर हुए व्यय का भुगतान सरकार करती है, इसे चिकित्सा प्रतिपूर्ति कहा जाता है। पति-पत्नी, माता-पिता, बच्चे, अविवाहित अथवा तलाकशुदा पुत्री, बहन, अव्यस्क भाई इत्यादि आश्रित जो सरकारी सेवक पर ही आश्रित हों और उन्हें के साथ निवास करते हों, उन्हें ही इसका लाभ दिया जा सकता है।
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