राणा शुगर मिल इस साल भी नहीं तोड़ पाई अपना रिकार्ड
राणा शुगर मिल ने अपना पेराई सत्र 18 अप्रैल को खत्म कर दिया है। शुगर मिल गन्ना पेराई में इस साल भी अपने रिकार्ड सत्र से पीछे रही है। गन्ना पेराई हो या चीनी उत्पादन दोनों में मिल पीछे रही है। हालांकि...
राणा शुगर मिल ने अपना पेराई सत्र 18 अप्रैल को खत्म कर दिया है। शुगर मिल गन्ना पेराई में इस साल भी अपने रिकार्ड सत्र से पीछे रही है। गन्ना पेराई हो या चीनी उत्पादन दोनों में मिल पीछे रही है। हालांकि पिछले साल को पीछे छोड़ दिया है। चीनी परता प्रतिशत के पुराने रिकार्ड तोड़ दिए हैं। राणा शुगर मिल करीमगंज यूनिट 2007 में शुरू हुई थी। इसके बाद से क्षेत्र में गन्ने की खेती में इजाफा हुआ। किसानों का रुझान खासा बढ़ गया। 2017-18 में राणा मिल ने पिछले सारे रिकार्ड ताेड़ते हुए 84.84 लाख कुंतल पेराई की। जबकि इससे पहले साल 2016-17 में 30.20 लाख कुंतल थी। लेकिन 2017-18 के बाद मिल बढ़ोत्तरी कायम नहीं कर सकी। 2018-19 में 66.61 लाख कुंतल रह गई। इस साल 2019-20 में पिछले साल से थोड़ा इजाफा हुआ और 68.06 पर आकर थम गई। इसी तरह चीनी उत्पादन 2016-17 में 2.75 लाख कुंतल, 2017-18 में 8.44 लाख कुंतल, 2018-19 में 7.48 लाख कुंतल और 2019-20 में 8.10 लाख कुंतल रहा है। जो 2017-18 में सबसे अधिक था। हालांकि इन सबसे अलग चीनी परता प्रतिशत इस साल सर्वाधिक 11.97 रहा।
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क्षेत्र में गन्ने की खेती बढ़ रही है। लेकिन मिल कितने दिन चल पाती है, यह मायने रखता है। 2017-18 में सबसे अधिक दिनों तक मिल चली थी। उतने दिन किसी और साल में नहीं चली।
- केपी सिंह, गन्ना प्रबंधक राणा शुगर मिल
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