सुग्रीम की रक्षा के प्रसंग के साथ श्रीराम कथा का पारायण
अयोध्या में श्रीराम कथा के आखिरी दिन व्यास राधे श्याम ने बालि के बध और सुग्रीव की रक्षा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि भक्ति के नौ प्रकारों में से एक भी जीवन में जोड़ने से भव से पार किया जा सकता...
अयोध्या धाम गोंडा अवध से पधारे व्यास राधे श्याम रामायणी ने श्रीराम कथा के आखिरी दिन बालि का बध और सुग्रीव की रक्षा का प्रसंग सुनाया। कहा कि भक्ति में यदि एक प्रकार की भक्ति भी जीवन से जुड़ जाए तो भव से बेड़ा पार हो जाएगा। श्री रामकथा प्रसार समिति के तत्वावधान में एकता विहार कालोनी में चल रही श्री राम कथा के आखिरी दिन कथा वाचक कहा कि भगवान अपनी लीलाओं के माध्यम से राक्षकों को भ्रमित और भक्तों को आनंद प्रदान करते हैं। प्रभु श्री राम जानकी जी की खोज करते हुए भक्तिमति शबरी के यहां पहुंचते हैं। वहां नवधा भक्ति का उपदेश देते हैं। प्रभु कहते हैं की नौ प्रकार की भक्ति में यदि एक प्रकार की भक्ति भी जीवन से जुड़ जाए तो भव से बेड़ा पार हो जाएगा। कथा में बालि का बध और सुग्रीव की रक्षा का प्रसंग सुनाया।
आगे बताते हैं कि सुग्रीव की मदद से सीता की खोज करवाते हैं। हनुमान जी लंका जाकर सीता जी के सकुशल होने की सूचना श्री राम को देते हैं। प्रभु बानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करते समय समुद्र तट पर भगवान शिवा की स्थापना और सेतु निर्माण करवाते हैं। लंका में राक्षकों का बध करके माता जानकी के साथ अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजते हैं और राम राज्य की स्थापना होती है।
दीप प्रज्वलन पीके चावला एडवोकेट ने किया। कथा में मुख्य यजमान सुनील वैश्य और नीलम वैश्य ने बेदी पूजन और व्यास पूजन किया। कथा में दीपक गुप्ता, सीताराम शर्मा, डा. गौरव वाष्र्णेय, प्रवीण भांडा, प्रदीप राजपूत, विनोद कुमार शर्मा, करुणा शर्मा, सलोनी राजपूत, अशोक कुमार, सुनील कौशिक, गोविंद शर्मा, कमलेश अग्रवाल, गंगा शरण, राजीव शर्मा, अजय सक्सेना, शोभित, रूप कुमार, प्रदीप, बसंत, जीके श्रीवास्तव, अशोक शर्मा, उमा श्वेता, सुमन, रेखा, स्मिता, ज्योति भी उपस्थित रहीं।
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