किराएदार का बोर्ड हटवाकर अपना नाम लिखवा रहे आवंटी
Rampur News - शाहबाद में पंचायत ने दुकानों के आवंटन में घपले के आरोपों की जांच शुरू की है। आवंटियों ने दुकानों को किराए पर उठाकर अपने नाम के बोर्ड लगाना शुरू कर दिया है। कई आवंटियों की मौत हो चुकी है और नामांतरण की...
घपले में रडार पर आए आवंटियों को पंचायत की दुकान छिनने का डर सताने लगा है। बचाव के नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। नामांतरण की सुगबुगाहट के बाद किराए पर उठा चुके दुकानों पर अपनी प्रोपराइटर शिप का बोर्ड लगा रहे हैं, जिससे पंचायत को गुमराह किया जा सके। हालांकि नगर पंचायत फिर भी बख्शने के मूड में नहीं है। शाहबाद में नगर पंचायत की ओर से सालों पहले से समय-समय पर 293 दुकानें बनवाई गई थीं। इन्हें मामूली पगड़ी और महज तीन सौ रुपये मासिक किराए पर आवंटित किया गया था। आरोप लग रहे हैं कि आवंटन के समय पात्रता का ध्यान नहीं रखा गया। अपात्रों को दुकानें आवंटित की गईं। उन अपात्रों को दुकानों का आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने दुकान में कारोबार के बजाए दुकानों का ही कारोबार कर दिया। आवंटन कराने के बाद या तो दुकानें लाखों की कीमत में बेच दीं या उन्हें मोटे किराए पर उठा दिया। कुछ रोज पहले ईओ पुष्पेंद्र सिंह राठौर के संज्ञान में यह मामला आया तो उन्होंने घपले की जड़ें खोदनी शुरू कर दीं। ईओ ने पड़ताल की तो पता चला कि 83 दुकानों में आवंटियों की जगह दूसरे लोग काम कर रहे हैं। तेरह आवंटियों की मौत हो चुकी है। इसके बाद दुकानों के नामांतरण पर विचार हो रहा है। जिससे जिन आवंटियों ने दुकानें किराए पर उठा रखी हैं, उन्हें दुकान छिनने का डर सता रहा है कि कहीं दुकान किराएदार के नाम न हो जाए। लिहाजा, उन्होंने दुकानों के बाहर किराएदार के बोर्ड हटवाकर अपने नाम के बोर्ड लगाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि दुकान में बैठा किराएदार ही है।
नामांतरण की बात से खरीद-फरोख्त वालों में खुशी
शाहबाद। आवंटियों ने हजारों में लेकर लाखों में दुकानें बेच दीं। पंचायत को इस बारे में पता चला तो पहले तो खरीद-फरोख्त करने वालों के पसीने छूट रहे थे, लेकिन जब से नामांतरण की सुगबुगाहट उठी है उनमें खुशी है। असल में इससे बेचने वाले को लाखों की रकम वापस नहीं करनी पड़ेगी और खरीदने वाले के हाथ से दुकान नहीं जाएगी। हालांकि इससे पंचायत को सीधा नुकसान होगा।
आवंटन में घपले को हल्के में नहीं लिया जाएगा। दुकानों का धंधा नहीं करने देंगे। बोर्ड लगाकर आवंटी कितनी भी गुमराह करने की कोशिश कर लें। नगर पंचायत के पास सत्यापन के कई रास्ते हैं।
- पुष्पेंद्र सिंह राठौर, ईओ हबाद
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