अंतर्राष्ट्रीय कानूनी पेंचीदगियों के चलते बच गया था सैफुल्लाह
Rampur News - लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू सैफुल्लाह को पाकिस्तान में उसके द्वारा प्रशिक्षित आतंकियों द्वारा सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हुए हमले के बाद मार गिराया गया। सैफुल्लाह ने पीओके में आतंकियों को प्रशिक्षित किया...

सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हमले का साजिशकर्ता लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर सैफुल्लाह अंतर्राष्ट्रीय कानूनी पेंचीदगियों के चलते उस वक्त बच गया था। हालांकि, उसके द्वारा पीओके में ट्रेंड किए गए आतंकियों ने यह बात उस वक्त अफसरानों को साफ-साफ बता दी थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्ताना के सिंध प्रांत में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी रजाउल्ला निजामनी उर्फ अबू सैफुल्लाह को अज्ञात हमलावरों ने रविवार को मार गिराया। सैफुल्लाह खालिद का 17 साल पहले 31 दिसंबर, 2007 में रामपुर स्थित सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हुए आतंकी हमले में हाथ रहा था। इस वारदात की एफआईआर एक जनवरी 2008 को सिविल लाइंस कोतवाली में हुई थी, जिसकी विवेचना के दौरान पुलिस ने यह तथ्य प्रकाश में आया था कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह ने पीओके में कैंप में इस हमले के लिए आतंकी प्रशिक्षित किए थे।
सैफुल्लाह भारत के मोस्ट वांटेड हाफिज सईद का खास बताया गया था। सूत्रों के मुताबिक उसने पाक अधिकृत कश्मीर निवासी मोहम्मद फारूख और इमरान शहजाद उर्फ अब्बू जर्रार को पीओके लश्कर-ए-तैयबा के शिविर में ट्रेंड कर इस हमले के लिए आतंकी रामपुर भेजा था। स्थानीय स्लीपर माड्यूल्स से कराई थी रेकी सैफुल्लाह द्वारा प्रशिक्षित कर रामपुर भेजे गए आतंकी मोहम्मद फारूख, मधुबनी बिहार निवासी सबाउद्दीन उर्फ सबा, पाक अधिकृत कश्मीर निवासी इमरान शहजाद उर्फ अब्बू जर्रार ने स्थानीय स्लीपर सेल का यूज किया था। स्लीपर माड्यूल्स के जरिए ग्रुप सेंटर के आसपास रेकी कराई गई थी। विवेचना में यह तथ्य प्रकाश में आया था। जिस पर मूंढापांडे, मुरादाबाद निवासी जंग बहादुर और रामपुर के खजुरिया थाना क्षेत्र निवासी मोहम्मद शरीफ, बहेड़ी निवासी गुलाब खां और प्रतापगढ़ के कुंडा निवासी कौसर खां को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, साक्ष्यों के अभाव में बरेली के बहेड़ी निवासी गुलाब खां और प्रतापगढ़ के कुंडा निवासी कौसर खां को कोर्ट ने बरी कर दिया था। फुल प्रूफ प्लान के तहत किया था हमला सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले के मास्टर माइंड अबू सैफुल्लाह को आखिर पाकिस्तान में ही अपने कर्मों की सजा मिल गई। लेकिन, उसके द्वारा ट्रेंड आतंकियों ने बड़े ही फुल प्रूफ प्लान के तहत सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हमला किया था। जिसमें सात जवानों को शहीद करते हुए और एक रिक्शा पोलर को मारकर वे यहां से फरार होने में कामयाब रहे थे। यह बात अलग है कि बाद में अलग-अलग स्थानों से उनकी गिरफ्तारी हुई। हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी जनहित याचिका रामपुर। सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले का केस सपा सरकार वापस लेना चाहती थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री का पत्र मीडिया में लीक होने के बाद इस मामले में जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर न सिर्फ यूपी सरकार को माफी मांगनी पड़ी थी, बल्कि केस वापसी का इरादा भी छोड़ना पड़ा था।
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