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बोले रामपुर : बेकाबू न हों लकड़ी की कीमतें, बढ़े दिहाड़ी, पेंशन का हो इंतजाम

Rampur News - महंगाई और शादी के सीजन में कमी के कारण फर्नीचर कारोबार धीमा हो गया है। कारीगरों की मजदूरी कम है और काम न मिलने से आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। फर्नीचर व्यवसायियों ने सरकार से लकड़ी की महंगाई कम करने...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरThu, 20 Feb 2025 09:02 PM
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बोले रामपुर : बेकाबू न हों लकड़ी की कीमतें, बढ़े दिहाड़ी, पेंशन का हो इंतजाम

महंगाई के दौर में इस बार शादियों का सीजन कम होने से फर्नीचर कारोबार धीमा होने पर कारीगरों के सामने रोजगार का संकट आ गया है। फर्नीचर कारोबारी बताते हैं कि पिछले साल की तरह इस सीजन में भी लकड़ी महंगी होने से काम कम है। एक तरफ कमाई कम हुई तो दूसरी ओर बिजली बिल, दुकान का किराया बढ़ने से परेशानी बढ़ रही है। तैयार माल नहीं बिकने से कमाई रुकी हुई है। हालांकि, कुछ दिन बाद काम में तेजी आने की आस है। फिलहाल काम नहीं होने से कारीगर और कारोबारी खाली बैठे हैं। कारोबारियों और कारीगरों ने हिन्दुस्तान से अपनी परेशानी बयां कर लकड़ी पर महंगाई करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को उनके लिए पेंशन का प्रावधान करना चाहिए। इससे उन्हें काम नहीं होने के समय संजीवनी मिलेगी।

फर्नीचर लगवाने का चलन दिल्ली, मुंबई समेत अन्य बड़े शहरों में आलीशान इमारतों में बढ़ रहा है, लेकिन अभी छोटे शहरों में फर्नीचर का काम विंडो-चौखट, बेड, सौफा तक ज्यादा सीमित है। लकड़ी के इन आइटम की मांग शादियों में अधिक रहती है। इस समय सर्दी के बीच शादियों का सीजन रुका हुआ है। इसके चलते शहर में लकड़ी फर्नीचर का कारोबार धीमा हो गया है। फर्नीचर कारोबारी बताते हैं कि जिले में 300 से अधिक फर्नीचर की दुकानें और कारखानें हैं। शिक्षण संस्थानों, घरों की सजावट और खिड़की-दरवाजों के लिए भी लकड़ी की मांग बढ़ रही है। जिले में 2000 फर्नीचर कारीगर हैं। इनमें 500 कारीगर दुकानों और कारखानों में काम करते हैं, जबकि 300 लोग साइट पर फर्नीचर तैयार करते हैं। कुछ कारीगर काम न मिलने पर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। रेडीमेड फर्नीचर और स्टील दरवाजों की बढ़ती लोकप्रियता से लकड़ी फर्नीचर का काम कम हुआ है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के 1000 से भी अधिक कारीगरों की स्थिति चिंताजनक है, उन्हें काम के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है। ऐसे कारीगरों ने जनप्रतिनिधियों और सरकार से मदद की अपील की है। उनका कहना है कि किसी भी योजना के तहत उचित वित्तीय सहायता नहीं मिल पा रही है, इससे इन लोगों को अपना कारोबार बढ़ाने में दिक्कतें हो रही हैं। इनका कहना है कि सरकार को कारीगरों की कला को पहचान कर उनके लिए विशेष योजना शुरू करनी चाहिए। इससे न केवल कारीगरों की स्थिति सुधरेगी, बल्कि यह परंपरागत कला भी जीवित रहेगी। लकड़ी के कारोबार से शहर की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। वे बताते हैं कि जिले में बहुत कारीगर ऐसे भी हैं, जिन के परिवार कई पीढ़ियों से लकड़ी के काम से जुड़े है, लेकिन महंगाई के इस दौर में उन्हें स्थानीय बाजार में अच्छी गुणवत्ता की लकड़ी नहीं मिल पाती है। इसके कारण उन्हें अन्य जनपदों से लकड़ी लानी पड़ती है,इससे उनका खर्च बढ़ जाता है।

कारीगर लकड़ी से सामान तैयार करते हैं, इससे ही उनका गुजारा होता है। इसी आमदनी से उनके बच्चे भी पढ़ाई होती है। यहां कुर्सी, मेज, बेलन, सौफा समेत विभिन्न प्रकार के आइटम मिल जाते हैं। फर्नीचर कारोबारी बताते हैं कि लकड़ी महंगी मिलती है और मुनाफा भी कम होता है। कमाई की बात करें तो एक कारीगर को 300 से 400 रुपये मजदूरी मिलती है। इस कमाई से उन्हें परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। भवनों में लोहे और एल्मूनियम के फर्नीचर का चलन बढ़ने से लकड़ी के फर्नीचर के काम पर असर पड़ा है। फर्नीचर कारोबारी और इसका काम करने वाले मदद की आस लगा रहे हैं।

सुझाव

1. प्रत्येक फर्नीचर कारीगर का जिले में पंजीकृत होना चाहिए। इससे कारीगरों को सहूलियत होगी।

2. फर्नीचर कारीगरों की मजदूरी बढ़कर 700 रुपये होनी चाहिए। इससे उनकी आर्थिक हालात में सुधार हो सकेगा।

3. कारीगरों को शहर में ही मांग के मुताबिक काम मिलना चाहिए। फिर वे बाहर जाने से बचेंगे।

4. सरकार से पेंशन की सुविधा मिले तो सहूलियत होगी। काम न मिलने पर आसानी होगी।

5. फर्नीचर कारोबारियों को ब्याज मुक्त लोन मिले तो काम बढ़ाने में मदद मिलेगी।

6. लकड़ी की बढ़ती कीमतों पर रोक लगानी चाहिए।

शिकायतें

1. फर्नीचर कारीगरों को काम के एवज में उचित मेहनताना नहीं मिल रहा है।

2. रुपये कम और मेहनत ज्यादा होने से युवा कारीगर इस काम को छोड़ रहे हैं।

3. बड़े शहरों में मेहनताना अधिक मिलने के कारण युवा दूसरे राज्यों में जा रहे हैं।

4. महंगी लकड़ी और अधिक जीएसटी की वजह से फर्नीचर के दाम बढ़े हैं। इसलिए ग्राहक दाम पूछकर चले जाते हैं।

5. लोहे और स्टील से बना जा रहे फर्नीचर से लकड़ी के फर्नीचर की मांग कम हुई है।

6. लकड़ी महंगी होने से कारोबार करने में दिक्कत आ रही है।

अब सिर्फ दो दुकानें ही बचीं

रामपुर। फर्नीचर मार्केट के नाम से मशहूर शहर के पान दरीपा मोहल्ले ने अपनी पहचान खो दी है। यहां 20 वर्ष पहले फर्नीचर की 40 दुकानें करती थीं, लेकिन अब इस मोहल्ले में सिर्फ दो दुकानें ही हैं। बताया कि एक दौर था जब जिलेभर के लोग यहां से फर्नीचर खरीदने और बनवाने आते थे। प्रत्येक दिन लाखों रुपये का कारोबार होता था। दुकानदारों ने बताया कि महंगी लकड़ी की वजह से फर्नीचर की कीमत भी बढ़ी है, लेकिन ग्राहक कम दाम पर फर्नीचर मांगते हैं। अब कारीगरों की मजदूरी भी नहीं निकल पा रही थी, इसलिए ज्यादातर दुकानदारों ने यह काम छोड़कर दूसरा काम कर लिया।

फर्नीचर के आइटम पर 18 प्रतिशत जीएसटी: फर्नीचर के आइटम पर जीएसटी अधिक होने से फर्नीचर के काम पर असर पड़ रहा है। टेबल वेयर, बर्तन, लकड़ी के सजावटी सामान पर जीएसटी लगाया जा रहा है। बताया गया कि लकड़ी की वस्तुओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी कर लगाया जा रहा है। लकड़ी महंगी होने से फर्नीचर के दाम भी अधिक रखने पड़ते हैं।

कारखानों व दुकानों में ग्रहक आते हैं, लेकिन फर्नीचर के दाम अधिक होने पर वे कीमत पूछकर चले जाते हैं। रामपुर में मेहनताना कम, बड़े शहरों में ज्यादा: फर्नीचर के काम से जुड़े युवा कारीगर दूसरे राज्यों में काम तलाश रहे हैं।

रामपुर शहर में इस काम में कारीगर 300 से 400 रुपये कमा पाता है,तो वहीं केरल, बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में 800 से 900 रुपये तक मजदूरी कर लेते हैं।

टेक्नोलॉजी से कमजोर हुआ लकड़ी का कारोबार

रामपुर। आए दिन नई-नई टेक्नोलॉजी ईजाद हो रही हैं। पहले किसी भी मकान के निर्माण में चौखट, दरवाजे से लेकर अन्य फर्नीचर भी साल, सागौन समेत कीमती लकड़ी का बना होता था जिससे कारीगरों को अच्छा काम मिलता था, लेकिन बदलते दौर में नई टेक्नोलॉजी आ गई, जिसमें अब भवन निर्माण के दौरान लोहे, एल्मीनियम के गेट और विंडो बनने लगे हैं। पीवीसी के लेमिनेटिड दरवाजे आ रहे हैं, जिन्हें आनलाइन कस्टुमाइज आर्डर पर मंगाया जा रहा है। इससे लकड़ी का परंपरागत कारोबार भी प्रभावित हो रहा है।

लकड़ी पर महंगाई भी एक बड़ी वजह: लकड़ी की चौखट-दरवाजे, फर्नीचर से दूर भागने के पीछे एक वजह यह भी कि लकड़ी महंगी होती जा रही है।

बोले कारीगर

फर्नीचर के काम में मेहनत ज्यादा है और अपने जिले में मजदूरी कम है। इसकी वजह से नौजवान दूसरे शहरों में काम करने जा रहे हैं। - फराज, फर्नीचर कारीगर

सरकार को फर्नीचर कारीगरों के लिए विशेष योजना चलाकर लाभ देना चाहिए। इससे कारीगरों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। -हाफिज सरदार

कई वर्षों से काम कर रहे हैं। इस काम में मेहनत बहुत अधिक है। पूरा दिन काम करने पर 400 रुपये कमा पाते हैं।े परिवार का पालन मुश्किल है। - काशिफ

सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार से हमें मदद मिले तो सहूलियत होगी। कारीगर फर्नीचर का काम करने में रुचि लेंगे। - मोहम्मद सलीम

जनप्रतिनिधि आकर बड़े बड़े वादे करते हैं और चले जाते हैं, लेकिन वे फिर हमारा हालचाल पूछने कोई नहीं आता। हमारी स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। - मुबारक हुसैन

महंगाई के हिसाब से हम लोगों की आमदनी नहीं बढ़ रही है। परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल होता जा रहा है। हमारी मदद मिलनी चाहिए। - मुन्ना

परिवार के पालन पोषण के लिए फर्नीचर का काम करते हैं। इस समय काम कम हो गया है। इससे परेशानी बढ़ गई है। काम जल्द शुरू होने की आस है। - नौशाद

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