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उम्मीदों की चाक : मिट्टी के दीपक खुशियां लाएंगे अपार, बढ़ी चाकों की रफ्तार

दीपावली नजदीक है और कुम्हार मिट्टी के दीपक बनाने में जुट गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक सामानों के कारण कारोबार प्रभावित हुआ था, लेकिन इस बार स्थानीय दीयों की डिमांड बढ़ी है। लोग डिजाइनर दीये पसंद कर रहे हैं,...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरFri, 25 Oct 2024 01:15 AM
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दीप पर्व दीपावली नजदीक आ चुकी है। ऐसे में दूसरों के घरों को रोशन करने के साथ ही अपने घर भी खुशियां लाने की उम्मीदों के साथ ही जनपद के कुम्हारों ने चाक घूमना शुरू कर दी है। इसके साथ ही दीयों के बाजार भी सज चुके हैं। मिट्टी के बर्तन व दीपक तैयार करने वालों की मानें तो अरसे से इलेक्ट्रानिक उपकरणों के बाजार में सस्ते दाम में उपलब्ध होने से उनके कारोबार पर बुरा असर पड़ा था। करीब पांच दशक से इस कारोबार के जरिये गुजर-बसर करने वाले इन लोगों में से अधिकांश इस कारोबार से भी तौबा कर गए थे। मिट्टी के दीपक तैयार करने में मेहनत और लागत अधिक होने से बाजार में उनकी बिक्री पूरी तरह ठप हो गई थी। हालांकि विदेश में बने उत्पाद पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचा रहे थे, लेकिन लोगों का ऐसी वस्तुओं के प्रति क्रेज था। यहां तक कि दीवाली और अन्य त्योहारों पर घरों में बच्चे जेब खर्च से बचत के लिए गुल्लक खरीदते थे, लेकिन गुल्लक भी डिजिटल बाजार में पहुंचने से मिट्टी के गुल्लक का काम पूरी तरह बंद हो गया था। लेकिन, इस बार लोगों में स्थानीय स्तर पर बने मिट्टी के बर्तन व दीपक की अच्छी डिमांड होने से फिर से आस बंधी है।

डिजाइनर दीये बढ़ा रहे रौनक

रामपुर। मिट्टी के दीयों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं। इसी कारण कुम्हार दीये की अलग-अलग वैरायटी बनाने लगे हैं। इनकी डिमांड हर बार रहती है। मिट्टी के झालर, मिट्टी के लालटेन, लटकते दीये, पेड़ के आकार के दीये आदि कई तरह के दीये बाजर में आने को तैयार हैं।

लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए जलाए जाते मिट्टी के दीये

रामपुर। दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं। मिट्टी से निर्मित चार, छह, बारह व चौबीस दीपों वाली ग्वालिन की पूजा होती है। मिट्टी की छोटी मटकियों में धान की खीलें भरकर उनकी पूजा होती है।

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