बोले रामपुर : डीजे के शोर में गुम हो गईं खुशियां
Rampur News - बैंड बाजा कर्मियों को शादी समारोहों में डीजे के बढ़ते प्रभाव से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। महंगे वाद्ययंत्रों और कम कमाई के कारण युवा इस पेशे को छोड़ रहे हैं। बैंड संचालकों की मांग है कि...
व्यक्ति के जन्म के शुभ अवसर से लेकर अंतिम यात्रा तक साथ निभाने वाले बैंड बाजा कर्मी अवसाद, शादी समारोह में प्रदर्शन करने की चिंता और मानसिक तनाव का सामना करते हैं। शादी-विवाह में डीजे के शोर में गुम होता बैंड बाजे का चलन उनकी परेशानी बढ़ा रहा है। उनके सामने रोजगार का संकट गहरा रहा है। उन्होंने अपनी समस्याओं को लेकर हिन्दुस्तान के साथ पीड़ा बयां की है। इनकी समस्याओं पर विचार करने की जरूरत है। बैंड बाजे के बिना किसी भी शुभ काम की कल्पना करना मुश्किल है लेकिन, इस पेशे से जुड़े लोगों के सामने कई ासमस्याएं हैं। कोरोना काल में रोजी-रोटी का संकट झेलने वाले बैंड कर्मी अभी भी कई तरह की परेशानियां झेल रहे हैं। कम कमाई, दबाव ज्यादा और तनाव के चलते युवा पीढ़ी इस पेशे से किनारा कर रही है। हालांकि, बैंड बाजा संचालकों का कहना है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करें जिससे इन्हें बुंकिंग की शर्तों के अनुसार छोड़ा जाए और मनमानी करने वालों पर कार्रवाई हो सके। इससे देर रात तक शादियों में बैंड बजाने पर ये लोग जुर्माने से बच सकेंगे।
बैंड बाजा कलाकारों को शादियों के सीजन का इंतजार है। यह शुरू होते ही उनकी कमाई शुरू होगी। बैंड-बाजा, शहनाई की धुन गूंजने का समय करीब है। हालांकि बैंड बाजों की बुकिंग गिनी चुनी ही हो रही है। बीते साल गर्मियों के सहालग में सन्नाटा छाया रहा था। इससे बैंड बाजा कलाकारों की आमदनी घटी थी। इसे बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास किए। लेकिन, ये प्रयास काफी सफल नहीं हुए। अब स्थिति यह है कि बैंड संचालक अपने कलाकारों को रोक पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। इससे उनकी चिंता बढ़ी हुई है। रामपुर शहर में 11 से अधिक बैंड-बाजा संचालक हैं। इनके पास 300 से अधिक कलाकार काम करते हैं। इन सभी की मांग सहालग के दिनों में अधिक रहती है। लेकिन, अब यह कम होती जा रही है। क्योंकि अब बरात में डीजे की धमक ने जगह बना ली है। इससे बैंड बाजे का काम कम हुआ है। बैंड बाजा संचालकों का कहना है कि 20-30 साल पहले बैंड-बाजा के बिना बरात नहीं चढ़ती थी। लेकिन अब सहालग में भी कई बैंड बाजा संचालकों के पास काम नहीं आता है। रामपुर में बैंड बाजा संचालकों की एसोसिएशन भी नहीं है। इससे वे अपनी समस्याएं सरकार तक पहुंचने में सफल नहीं हो पाते हैं। बताते हैं कि शादी समारोह में डीजे का चलन बढ़ने से बैंड बाजे से जुड़े लोगों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। प्रस्तुति-गौरव शर्मा
महंगे वाद्ययंत्र, लेकिन कमाई कम
शहर में कई बैंड संचालक ऐसे भी हैं, जो सहालग के दिनों में कई-कई बुकिंग करा लेते हैं। वे पहली और दूसरी शिफ्ट के हिसाब भी बुकिंग लेते हैं। अधिक बुकिंग होने पर 10 से 15 हजार रुपये में दूसरे शहरों के बैंड बाजे वालों को यहां काम करने के लिए बुला लेते हैं। बैंड बाजा में इस्तेमाल होने वाले वाद्ययंत्र महंगे हो गए है। बैंड संचालक लतीफ ने बताया कि पहले 1200 रुपये में मिलने वाला बाजा अब पांच हजार रुपये में मिल रहा है। 1300 रुपये तक मिलने वाला कैसियो अब 4500 से अधिक रुपये में मिलता है। बताया कि एक समय था, जब बिना बैंड बाजों के बरात और शादियां सूनी मानी जाती थीं। लेकिन, अब शादियों में रंग बिखेरने वाले बैंड वादक और गायकों की जिंदगी बेरंग होती जा रही है।
बैंड के मुकाबले डीजे में कम लोगों की जरूरत
रामपुर। बैंड बाजा संचालक मुमताज ने बताया कि डीजे की बुकिंग बैंड बाजे के मुकाबले कम रुपयों में तय हो जाती है। डीजे का संचालक करने में कम व्यक्तियों की जरूरत होती है जबकि बैंड बजाने में कम से कम 20 से 25 व्यक्तियों की जरूरत होती है। बैंड बजाने वाले कलाकार संगीत के विशेषज्ञ होते हैं। वे अपना हुनर दिखाते हैं, लेकिन इन्हें मेहनताना कम मिलता है। इस वजह से लोग इस काम से किनारा कर रहे हैं। साथ ही बैंड बाजा की बुकिंग के लिए कम ही लोग आते हैं। क्योंकि बैंड बाजा का खर्च अधिक होने से लोग डीजे की बुकिंग कर लेते हैं। इसके अलावा ऑर्केस्ट्रा के चलन से भी बैंड बाजा का काम कम हुआ है। ऑर्केस्ट्रेटर एक प्रशिक्षित संगीत पेशेवर होता है जो किसी संगीतकार द्वारा लिखे गए संगीत के टुकड़े से ऑर्केस्ट्रा या अन्य संगीत समूह को वाद्ययंत्र प्रदान करता है, या जो किसी अन्य माध्यम के लिए रचित संगीत को ऑर्केस्ट्रा के लिए अनुकूलित करता है।
बैंड बाजे की बुकिंग कीमत सुन चले जाते हैं लोग
रामपुर। बैंड बाजे का काम करने बब्लू ने बताया कि जब डीजे का चलन नहीं था। तब शादी की रौनक बैंड बाजा और शहनाई से बढ़ती थी। लेकिन,अब लोग डीजे बुक करा रहे हैं। बैंड-बाजे से किनारा कर रहे हैं। डीजे से साहलग में मिलने वाला काम आधा हो गया है। बैंड बाजे की तय होने वाली कीमतों पर भी इसका असर पड़ा है। बुकिंग के लिए आने वाले लोगों को अब पहले ही कम कीमत बतानी पड़ती है। क्योंकि कई बार ऐसा हुआ है कि बैंड बुक करने आया व्यक्ति कीमत सुनकर दुकान से बाहर निकला और लौटकर नहीं आया। बाद में उसने आधी कीमत में डीजे तय कर लिया। कम रुपयों में बुकिंग करना मुश्किल हो रहा है। कलाकारों का मेहनताना नहीं निकलता है।
कमाई कम होने की वजह से बैंड का काम छोड़ रहे
रामपुर। बैंड बाजा संचालक शाहिद ने बताया कि अब लोग बग्गी या घुड़चढ़ी के लिए ही घोड़ी की बुकिंग कराने के लिए आते हैं। डीजे बजाने पर पाबंदी लगे तो बैंड बाजे का काम नई बुलंदी पर पहुंच सकता है। कई संचालक ऐसे हैं, जो इस काम को छोड़कर दूसरे कारोबार में अपनी किस्मत चमका रहे हैं। लोग रिक्शा चलाने, बीड़ी बनाने,पेंट और अन्य काम कर रहे है। उनका कहना है कि बैंड बाजे का काम करने वालों की रोजगारी के लिए सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। वरना यह काम छोड़ना मजबूरी हो जाएगी। बताते हैं बैंड बाजा कलाकार को 500 से 600 रुपये ही मेहनताना मिल पाता है। जबकि महंगाई के दौर में इस कमाई से खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है।
सुझाव
1.बैंड संचालकों का एसोशिएशन होना चाहिए। ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो।
2. कारोबार बढ़ाने के लिए सरकार योजना या रणनीति बनाए।
3. प्रशासनिक अधिकारी बैंड बाजा संचालकों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं सुने।
4. जिले में बैंड बाजा का रिर्हसल करने के लिए संस्थान खोला जाए। इससे युवा प्रेरित होंगे।
5. ध्वनि प्रदूषण प्रमाण पत्र बनने और समय सीमा के नाम पर बैंड बाजा संचालकों का उत्पीड़न नहीं करना चाहिए।
शिकायतें
1. सरकारी कार्यक्रमों में बैंड बाजा कलाकारों को काम नहीं मिलता है। हमें दूर रखा जाता है।
2. बैंड बाजा ऑनलाइन बुकिंग व्यवस्था को खत्म किया जाए। इसे व्यक्तिगत ही रखा जाए।
3. बैंड बाजा कलाकारों को मजदूर समझा जाता है। इस सोच बदला जाना चाहिए।
4. बराती देर रात तक घुड़चढ़ी करते हैं। लेकिन प्रशासन हमसे जुर्माना वसूलता है।
5. बिना ब्याज लोन दिया जाना चाहिए। इससे हम वाद्ययंत्र खरीद सकेंगे।
हमारी भी सुनें
हम लोगों को नियमित काम नहीं मिल पाता है। इस वजह से काफी दिक्कत होती है। परिवार का खर्च नहीं चला पा रहा है। लगातार काम मिले तो हमें भी भटकना नहीं पड़ेगा
-इशरत सोनी
डीजे का चलन बढ़ने से हम बाजा बजाने वाले कर्मचारियों की अहमियत काम हो गई है। कई बार डीजे के चलते घटनाएं भी होती हैं। तेज आवाज वाले डीजे पर प्रतिबंध लगना चाहिए। -गुड्डू
लगातार काम न होने से हमें घर चलाने के लिए दूसरे काम करने की जरूरत पड़ती है । इस वजह से परिवार को चलाने में भी हमें काफी दिक्कतें होती हैं। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित रहती है। -इस्लाम
बैंड बाजा में काम करने वाले लोग आज संगठित क्षेत्र के हैं। हम लोग दैनिक मजदूरी करते हैं। इस वजह से हमें इलाज की सुविधा भी नहीं मिल पाती है।
-मास्टर फहीम
हम लोग दूसरों के परिवार में शादी की रौनक बढ़ाने जाते हैं। विवाह में शामिल बराती हमसे से नशे में गलत व्यवहार करते हैं। इससे काफी कष्ट होता है।
-मास्टर मजहर
बैंड बाजा के यंत्र महंगे होने से कई लोगों ने काम बंद कर दिया है। कई और बंद होने की कगार पर है। अगर इन यंत्रों को सस्ता नहीं किया गया तो कारोबार पूरी तरह चौपट हो जाएगा। -मास्टर अजहर
हमारा काम भी नौकरी की तरह होना चाहिए। पूरे महीने हमसे काम लिया जाए। बदले में पूरे महीने का मेहनताना दिया जाए। इससे परिवार पालने में दिक्कत नहीं आएगी।
-मुमताज अली
हम लोगों से मजदूरों के रूप में काम लिया जाता है। जिस दिन काम किया उस दिन रुपये मिल गए। जब काम नहीं होता तो घर में चूल्हा जलाना भी काफी मुश्किल हो जाता है।
-पप्पू
बैंड बाजा का काम करने वाले कलाकारों को सरकारी सुविधाएं और योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। फंड और अन्य सुविधा मिले तो हमें भी काफी राहत मिल सकती है।
-कमरूद्वीन
एक दिन में तीन-चार बुकिंग में काम करने का मौका मिले तो कमाई अधिक होगी। लोग बैंड-बाजे में काम करने में रुचि लेंगे। लेकिन अभी ऐसा नहीं है।
-बब्लू
हम गरीब तबके के लोग हैं। हमें सरकार से मदद मिले तो परिवार को पालने में दिक्कत दूर हो सकता है। अब बैंड बाजे में कमाई कम है। इस वजह से कई लोग काम छोड़ गए हैं।
-शाहिद
शादियों से मेरा पुराना नाता रहा है। बैंड बाजे के काम से कभी हमारा परिवार चलता था लेकिन, अब बहुत कम काम मिल रहा है। लोग डीजे को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।
-लतीफ
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