सलाखों में कैद के बावजूद आजम चढ़ाते रहे सियासी पारा
Rampur News - सजायाफ्ता आजम खां सीतापुर की जेल में हैं लेकिन जेल से ही रामपुर में सियासी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। उन्होंने चुनावी टिकटों के मामले में अपनी इच्छाएं व्यक्त कीं, लेकिन उनकी मर्जी के खिलाफ टिकट...
धोखाधड़ी के केस में सजायाफ्ता आजम खां सीतापुर की जेल में बंद हैं। लेकिन, सियासत के मझे खिलाड़ी हैं लिहाजा, जेले से ही रामपुर का जब-तब सियासी पारा चढ़ाते रहते हैं। फिर चाहें लोकसभा चुनाव में टिकट बांटने का मामला हो या फिर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर से मुलाकात की बात। दरअसल, रामपुर ही नहीं आसपास के जनपदों की तमाम सीटों पर आजम खां ही प्रत्याशी का फैसला लेते थे। रामपुर में कौन प्रत्याशी होगा, इसका तो ऐलान भी लखनऊ के बजाय आजम खां के रामपुर कार्यालय से होता था। अब चूंकि वह जेल में बंद हैं, लिहाजा इस साल मार्च माह में हुए लोकसभा चुनाव में वह मैदान में नहीं रहे। पर जेल से ही सियासी तानाबाना बुनते रहे। सूत्रों के मुताबिक आजम खां रुचि वीरा को बिजनौर, यूसुफ मलिक को मुरादाबाद का टिकट चाहते थे और रामपुर में उनकी मर्जी थी कि अखिलेश उनकी परंपरागत सीट पर चुनाव लड़ें। इस बीच जब बिजनौर से रुचि वीरा का टिकट नहीं हुआ तो आजम खिन्न हो गए। जिसे पैचअप करने के लिए जेल में आजम से मिलने गए अखिलेश के समक्ष यह सब बातें खुलकर हुईं। अखिलेश ने रामपुर से चुनाव लड़ने का मन भी बनाया। रामपुर के सपा नेताओं को लखनऊ बुलाया और मन टटोला लेकिन, टिकट का ऐलान नहीं किया। मुरादाबाद में एसटी हसन का सपा ने टिकट कर दिया। साथ ही रामपुर से अपने परिवार के तेज प्रताप यादव का नाम चला दिया। यानी न रामपुर में आजम की दाल गली और न ही मुरादाबाद में, जिस पर आजम ने जेल से इशारा दिया और यहां उनके कारिंदों ने बहिष्कार का ऐलान कर दिया।
जिसके बाद अखिलेश यादव ने मुरादाबाद में तो आजम की इच्छापूर्ति करते हुए ऐन वक्त पर एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को सपा प्रत्याशी बना दिया लेकिन, रामपुर में आजम के विरोध के बावजूद मोहिब्बुल्ला नदवी को टिकट दे दिया। जिससे आजम और खिन्न हो गए। अब उन्होंने ऐसा तानाबाना बुना कि चंद्रशेखर से नजदीकियां बढ़ा लीं, जिस पर अखिलेश यादव को आनन फानन में रामपुर आना पड़ा और आजम की पत्नी से मिले। यह बात अलग है कि चंद्रशेखर से अभी भी आजम और उनके परिवार की नजदीकियां बरकरार हैं।
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...जब एक इशारे पर सपाइयों ने किया था चुनाव बहिष्कार
आजम की इच्छा के खिलाफ जाकर मोहिब्बुल्ला का टिकट होने पर आजम समर्थक सपाइयों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर जिलाध्यक्ष अजय सागर और निवर्तमान नगर अध्यक्ष आसिम राजा ने अफसरानों पर चुनाव में सपा कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया था लेकिन, अगले ही दिन आजम के खास आसिम राजा स्वयं नामांकन पत्र लेने पहुंचे और पर्चा दाखिल किया था।
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कानूनी जंग लड़ने में बीता आजम परिवार का साल
वर्ष 2019 से कानूनी शिकंजे में फंसे आजम और उनके परिवार की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं। सजायाफ्ता आजम खां सीतापुर की जेल में बंद हैं जबकि, अब्दुल्ला आजम हरदोई जेल में बंद हैं। आजम की पत्नी तजीन फात्मा को तो जेल से रिहाई मिली लेकिन, आजम और अब्दुल्ला सलाखों से रिहा नहीं हो सके। पूरा साल ही आजम परिवार का एसडीएम कोर्ट तो कभी एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट, एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी जंग लड़ने में ही यह साल बीत गया।
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