आजम ने आरोप नकारे, चार्ज फ्रेम होते ही चेहरे पर छाई मायूसी
आजम खां ने गवाह को धमकाने के आरोपों में कोर्ट में खुद को बेगुनाह बताया। हालांकि चार्ज सुनने के बाद उनके चेहरे पर मायूसी छा गई। उन्हें सीतापुर जेल से कड़ी सुरक्षा में रामपुर लाया गया। यह उनका पहला मौका...
गवाह को धमकाने के आरोपों में फंसे आजम खां ने कोर्ट में खुद को बेगुनाह बताया। उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोप नकार दिए। बावजूद, इसके चार्ज फ्रेम होते ही आजम के चेहरे पर मायूसी छा गई। 17 अगस्त 2022 में शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बेरियान निवासी नन्हे चर्चित डूंगरपुर प्रकरण में वादी है, उसने आजम खां के खिलाफ धमकाने का केस दर्ज कराया था। जिसमें शनिवार को आरोप तय किए जाने के लिए एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने आजम खां को तलब किया था, जिस पर आजम कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किए गए। जहां आजम खां को उन पर लगाए गए आरोप सुनाए गए, जिन्हें आजम खां ने नकार दिया।
बाहर मुस्कराकर हाथ हिलाया, अंदर मायूसी
रामपुर। आजम खां को सीतापुर जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच रामपुर लाया गया। कोर्ट से बाहर आजम खां ने कार का शीशा आधा उतारकर मुस्कुराकर मीडिया वालों से हाथ हिलाया। लेकिन, जब कोर्ट में पेश हुए तो चेहरे के आवभाव अलग थे। जब उन पर आरोप तय किए गए तो चेहरे की रंगत उड़ गई। आजम खां ने स्वास्थ्य खराब होने का हवाला दिया।
सालभर बाद रामपुर आए आजम
मालूम हो कि बेटे के जन्म प्रमाणपत्र मामले में बीते वर्ष 18 अक्तूबर को कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई थी। तभी से वह सीतापुर जेल में बंद हैं। तब से यह पहला मौका था, जब वह रामपुर आए।
जानें किस आरोप में कितनी सजा
147 आईपीसी: संज्ञेय अपराध, जो समझौता करने योग्य नहीं। दो साल की जेल का प्रावधान।
195 आईपीसी: सात साल तक की जेल या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान।
506 आईपीसी: धमकाने में दो वर्ष तक का कारावास का प्रावधान।
120बी आईपीसी: किसी अपराध को करने के लिए आपराधिक षड्यंत्र, मृत्युदंड, आजीवन कारावास या 2 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए कठोर कारावास से दंडनीय।
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