रामपुर में किसानों का 103 करोड़ दबाए बैठी हैं चीनी मिलें
गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में चीनी मिलें मनमानी से बाज नहीं आ रही हैं। शासन और कोर्ट की सख्ती के बावजूद 14 दिनों के अंदर भुगतान नहीं किया जा रहा है। हालत यह है कि नया पेराई सत्र शुरू हो चुका है।...
गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में चीनी मिलें मनमानी से बाज नहीं आ रही हैं। शासन और कोर्ट की सख्ती के बावजूद 14 दिनों के अंदर भुगतान नहीं किया जा रहा है। हालत यह है कि नया पेराई सत्र शुरू हो चुका है। लेकिन, अभी पिछले सत्र का ही 103 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को नहीं मिल पाया है। ऐसे में अन्नदाताओं के आगे मुश्किल खड़ी हो गई है।
बढ़ती लागत और घटती उपज के सामने गन्ना किसानों का हौंसला टूटने लगा है। चीनी मिलें भी किसानों को परेशान करती हैं। गन्ना पेरने के बाद भी लंबे समय तक मिल प्रबंधन उन्हें भुगतान के नाम पर कुछ नहीं देता। उसके बाद अपने ही रुपयों के लिए वे मिलों के चक्कर पर चक्कर लगाते रहते हैं। शासन-प्रशासन हो या न्यायालय किसी के भी निर्देश मिल अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रखते। भुगतान को लेकर कई बार आंदोलन भी किए जा चुके हैं, उसके बाद भी हालात जस के तस हैं। रिकार्ड के अनुसार राणा चीनी मिल पर इस समय पिछले सत्र का 50.60 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं त्रिवेणी मिल को 47.59 करोड़ का भुगतान किसानों को करना बाकी है। इसके अलावा रुद्र बिलास चीनी मिल पर भी पांच करोड़ 23 लाख रुपयों की देनदारी बकाया है। इस प्रकार तीनों मिलों पर किसानों का कुल 103.42 करोड़ रुपये बकाया है।
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