ग्राम पंचायतों में सोशल ऑडिट में हो रही खानापूर्ति
Raebareli News - रायबरेली, वरिष्ठ संवाददाता। ग्राम पंचायतों के सोशल ऑडिट खानापूर्ति तक सीमित रह गया है।
रायबरेली, वरिष्ठ संवाददाता। ग्राम पंचायतों के सोशल ऑडिट खानापूर्ति तक सीमित रह गया है। इस ऑडिट को फाइनल करते समय ग्राम पंचायत के निवासियों को बुलाया जाता है, लेकिन यह भी नहीं हो रहा है। जिनकी शिकायतें होती हैं, वह पहुंच नहीं पाते हैं। ऐसे में पीड़ित अपनी बात नहीं पहुंचा पाते हैं। अब मनरेगा लोकपाल कार्रवाई करने की तैयारी में है।
ग्राम पंचायतों का सोशल ऑडिट होता है। यह ऑडिट साल में एक बार होता है। इसके लिए डीडीओ ऑडिट टीम बनाते हैं। यह टीम ग्राम पंचायत में पहुंच कर सोशल ऑडिट करती है। इसमें पंचायत के कार्य, वित्त और मनरेगा के कामों को देखा जाता है। दो दिन ऑडिट के बाद तीसरे दिन पंचायत भवन में बैठक होती है। इस बैठक में ग्राम पंचायत के लोगों को बुलाया जाता है। इसमें वह अपनी शिकायत कर सकते हैं। इसके बाद ऑडिट रिपोर्ट फाइनल होती है।
पंचायत के आम लोगों को नहीं होती जानकारी
मनरेगा लोकपाल ने डीह क्षेत्र की तीन सोशल ऑडिट में शामिल हुईं। इसमें सिर्फ खानापूर्ति की गई। सोशल ऑडिट में पंचायत सचिव को रहना जरूरी होता है। जबकि पंचायत सचिव सोशल आडिट को लेकर गंभीर नहीं रहते हैं। वह इससे नदारद रहते हैं। सोशल आडिट की बैठक में आम जन को बुलाने से बचते हैं। नाममात्र के लोग शामिल होते हैं। इससे पीड़ित अपनी बात नहीं रख पाते हैं। अब मनेरगा लोकपाल कार्रवाई की तैयारी में हैं।
बिना काम के हुआ भुगतान
बछरावां और महराजगंज में मनरेगा मजदूरी को लेकर मामले सामने आए। बिना काम के ही भुगतान करने की शिकायत को गंभीरता से लिया गया। बछरावां में पैसे की रिकवरी करा ली गई। अब महराजगंज मामले में भी कार्रवाई की तैयारी है। एक अन्य मामले में एक महिला को 14 दिन का मेहनताना नहीं मिला। इसकी शिकायत संबंधित अफसरों से की गई। अब पैसा दिलाने की तैयारी है।
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