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बोले रायबरेली-गेहूं क्रय केन्द्र

Raebareli News - रायबरेली में सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर किसानों की संख्या कम हो गई है। किसानों को जल्द पैसे की जरूरत होती है, लेकिन केंद्रों पर भुगतान में देरी और अव्यवस्थाएं किसानों को व्यापारियों को गेहूं बेचने...

Newswrap हिन्दुस्तान, रायबरेलीMon, 12 May 2025 04:35 PM
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बोले रायबरेली-गेहूं क्रय केन्द्र

खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने से कतरा रहे किसान रायबरेली, संवाददाता। जिले में 114 सरकारी गेहूं क्रय केंद्र खुले हुए हैं, लेकिन वहां का पसरा सन्नाटा बताता है कि किसानों का केंद्रों से मोह भंग हो गया है। छोटे किसानों ने तो बिल्कुल ही इन सरकारी खरीद केंद्रों पर जाना छोड़ दिया है। दरअसल गेहूं कटने के बाद तत्काल इन किसानों को धान की फसल के लिए पैसा चाहिए। खरीद केंद्रों में एक तो पैसा देर से मिलता जा दूसरा वहां जाने के लिए टैक्टर का भाड़ा, पल्लेदारी, झन्ना लगने से नुकसान आदि का आंकलन करके किसान इन केंद्रों से तौबा कर रहा है।

इसी कारण इन केंद्रों की ओर कम रुझान कर रहे हैं। इसके बजाय वह व्यापारियों को अपना गेहूं बेचकर तुरंत पैसा ले लेते हैं। बाजार भाव और केंद्र के भाव में बहुत अंतर नहीं है। इससे सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों से किसान कट रहे हैं। इसके अलावा जिन केंद्रों पर गेहूं खरीदा गया है, वहां रखने के इंतजाम भी नाकाफी हैं। गेहूं खरीद शुरू हुए लगभग एक माह पूरा होने वाला है, लेकिन अभी लक्ष्य के सापेक्ष एक चौथाई खरीद नहीं हो पाई है। इन केंद्रों पर लगभग सन्नाटा पसरा हुआ है। किसानों की जरूरतों व अव्यवस्थाओं ने किसानों को सरकारी खरीद केंद्रों से लगभग दूर ही कर दिया है। जहां पर गेहूं खरीदा गया है, वहां भंडारण के भी बेहतर इंतजाम नहीं हैं। जिले में 41 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य मिला हुआ है। 6 मई तक 1944 किसानों ने ही 7861.25 मीट्रिक टन गेहूं जिले के 114 केंद्रों पर बेचा है। जिले में करीब 5.50 लाख किसान हैं। अभी तक 7500 के करीब किसानों ने गेहूं खरीद के लिए अपना पंजीकरण कराया है। जबकि अभी तक दो हजार के अंदर ही किसानों ने अपना गेहूं सरकारी खरीद केंद्रों पर दिया है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले का किसान इन खरीद केंद्रों में रुचि नहीं ले रहा है। गेहूं किसानों से खरीद केंद्रों और उनकी समस्याओं को लेकर आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार ने इन किसानों से बात की तो उनका दर्द उभर आया। किसानों ने बताया कि मार्च-अप्रैल के महीने में सभी किसान अपनी गेहूं की फसल को लेकर संजीदा रहते हैं। यह समय गेहूं की फसल की कटाई और मंडाई का होता है ऐसे में यदि मौसम का रुख बदल जाए तो किसानों का चिंतित होना लाजिमी है। आंधी और बारिश किसानों को झटका दे रही है। किसानों का कहना है कि हर दिन मौसम बदल रहा है। मोबाइल में मौसम देखने से कुछ नहीं होता, आसमान ही धोखा दे रहा है। ऐसे में किसान जैसे तैसे अपनी फसल को समेटने में लगे हुए हैं। किसान को इस समय पैसे की सख्त जरूरत होती है। इसीलिए वह अपनी फसल जल्दी से जल्दी और नकद बेचना चाहता है। जिले में गेहूं खरीद केंद्रों से किसानों का मोहभंग होने लगा है। इसके पीछे वहां की व्यवस्थाएं जिम्मेदार है। किसानों के घर से गेहूं खरीदने की सुविधा दी गई है। इसके बावजूद गेहूं खरीद केंद्रों पर न किसानों की भीड़ जुट रही है न ही किसान इन केंद्रों को गेहूं बेचने में दिलचस्पी दिखा रहा है। खेती-किसानी पर निर्भर इन गांवों में ज्यादातर किसानों की साल भर की आमदनी गेहूं की फसल से ही होती है। इसलिए वह जल्द से जल्द अपनी फसल को बेचकर आगे की व्यवस्था ठीक करना चाहता है। नंबर गेम -- 114 गेहूं खरीद केंद्र जिले में खुले हैं 41 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है 7861.75 मीट्रिक टन गेहूं खरीद 6 मई तक हुई है 1944 किसानों ने इन केंद्रों में अब तक गेहूं बेचा है 70 हजार मीट्रिक टन की एफसीआई में भंडारण क्षमता है ---- शिकायत -सरकारी गेहूं की खरीद के होने के बाद किसानों को समय से भुगतान नहीं मिलता है। -सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर गेहूं ले जाने के लिए किसानों को स्वयं अपने वाहन से जाने की व्यवस्था करनी पड़ती है। -सरकारी गेहूं खरीद केंद्र पर पल्लेदारी गेहूं के किसान को देनी पड़ती है। -गेहूं क्रय केंद्रों में झन्ना आदि लगने से किसान का कई कुंतल गेहूं बेकार हो जाता है। -गेहूं खरीद केंद्र में ले जा कर गेहूं बेचने से किसानों को घाटा होता है। ---- सुझाव --- -सरकारी गेहूं की खरीद के होने के बाद किसानों को समय से भुगतान करने की व्यवस्था निश्चित हो। -सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर गेहूं ले जाने के लिए किसानों को सरकारी वाहन की व्यवस्था की जाए। -सरकारी गेहूं खरीद केंद्र पर पल्लेदारी गेहूं के किसान न देनी पड़े इसकी सरकारी व्यवस्था की जानी चाहिए । -गेहूं क्रय केंद्रों में झन्ना आदि न लगाए जाए यदि लगाए तो पतला गेहूं भी उसी रेट में लिया जाए। -गेहूं का सरकारी मूल्य 30 रुपए प्रतिकिलो से कम नहीं होना चाहिए। इससे किसानों को राहत होगी। --------- भुगतान प्रक्रिया में देरी के चलते नहीं ले रहे रुचि रायबरेली। सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर गेंहू खरीद की रफ्तार बढ़ नहीं पा रही है। गेंहू का सरकारी रेट 2425 रुपए कुंतल है, जबकि बाजार में 24 सौ रुपए प्रति कुंतल दाम में गेहूं बिक रहा है। जिससे किसान बाहर ही बेंच कर तुरंत पैसा प्राप्त कर रहे। वे सरकारी केंद्र में बैंक खाता देकर फिर बैंक जाकर पैसा निकालने से बच रहे। प्राइवेट व्यापारी खेत व घर जाकर नगद पैसा देकर गेंहू खरीद रहे यही वजह है कि सरकारी खरीद की रफ्तार नहीं बढ़ रही है। किसान हरिकेश,गुरुप्रसाद आदि कहते है कि सरकारी केंद्रो पर राज्य सरकार बोनस बढ़ा दे और रेट बाजार भाव से कुछ ज्यादा हो जाए तभी खरीद बढ़ेगी अन्यथा सरकारी खरीद प्रभावित होनी ही है। कोई किसान अपना आर्थिक नुकसान क्यो करेगा। हालाकि बोनस बढ़ेगा ऐसा होने की उम्मीद कम ही दिख रही। जिले में समिति व अन्य केंद्रो पर भी खरीद धीमी है। किसान बाजार मे बेंच कर अच्छा दाम पा रहे हैं। -- पैदावार घटी, क्रय केंद्रों से कतरा रहे किसान रायबरेली। जिले में इस बार औसतन 15 से 20 प्रतिशत तक पैदावार में कमी आई है। कई क्षेत्रों में यह गिरावट 30 प्रतिशत तक भी देखी गई है। जिन किसानों की फसल बच गई, वे भी गुणवत्ता खराब होने के कारण समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने में असमर्थ हो रहे हैं। किसानों ने बताया कि बारिश से न केवल उत्पादन घटा बल्कि गेहूं का रंग और दाना भी प्रभावित हुआ है, जिससे बाजार में भी उचित दाम नहीं मिल पा रहे। जिले के सरकारी गेहूं क्रय केन्द्रों पर इस बार आवक बेहद कम रही है। केन्द्र प्रभारी भी मानते हैं कि किसानों की दिलचस्पी कम हुई है। जिन किसानों ने गेहूं लाकर बेचना चाहा भी, उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। कई केंद्रों पर तौल मशीनें खराब पड़ी हैं या स्टाफ की कमी के कारण तौल प्रक्रिया धीमी है। कई किसानों ने शिकायत की है कि गेहूं देने के बाद उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है। इनकी भी सुनें ------- सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर एमएसपी 2425 रुपए है,लेकिन गेहूं बेचने के बाद पैसा भी आसानी से नहीं मिल रहा। जबकि बाहरी व्यापारियों के द्वारा भी उतने ही मूल्य पर गेहूं की खरीदारी की जा रही है, और पैसा सीधे किसानों को नगद दिया जा रहा है। देवीशरण यादव ----- सरकार द्वारा मोबाइल परचेजिंग योजना से गेहूं बेचने में दिक्कत नहीं है। अब हम लोगों का एक रुपया भी खर्चा नहीं हो रहा है। इस बार केंद्रों पर कोई वेटिंग न होने से भी काफी खुश है। कुछ दिक्कतें हैं वह भी दूर हो जाएं तो राहत मिल जाए। रमेश कुमार --- सरकार के एमएसपी रेट 2425 से अधिक रेट पर मार्केट में गेहूं बिक रहा है। किसानों ने कहा गेहूं के सीजन में उन्हें गेहूं बेचने में कभी कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन गेहूं की बिक्री के समय उनके चेहरे पर पसीना आता है। सतीश कुमार --- पहले गेहूं की बिक्री के समय तो कुछ ट्रालियां क्रय केंद्र पर ही खड़ी रहती थी, लेकिन सरकार गेहूं के एमएसपी के बराबर मार्केट में गेहूं का रेट होने की वजह से क्रय केंद्रों पर मारामारी कम रहती है। क्योंकि अव्यवस्थाओं के कारण होगा केंद्रों का रुख कम कर रहे हैं। अनिल यादव ----- गेहूं के समय सरकार की एमएसपी के ऊपर मार्केट में गेहूं होता है। इसलिए किसान गेहूं बेचने केंद्र तक नहीं पहुंचता है। क्योंकि क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने में घाटा हो जाता है। जबकि बाजार से उसे नकद ही पैसे मिल जाते हैं। इसलिए अधिकतर गेहूं बाजार में ही बेंच लिया जाता है। अमरेन्द्र --- गुणवत्ता खराब होने के कारण समर्थन मूल्य से कम पर गेहूं बेचने में असमर्थ हो रहे हैं। बारिश से न केवल उत्पादन घटा बल्कि गेहूं का रंग और दाना भी प्रभावित हुआ है, जिससे बाजार में भी उचित दाम नहीं मिल पा रहे। इसलिए सरकारी गेहूं क्रय केन्द्रों पर इस बार आवक बेहद कम रही है। राजेन्द्र कुमार ---- अब गेहूं खरीद केंद्रों से मोह भंग सा हो गया है। जिन किसानों ने गेहूं लाकर बेचना चाहा भी, उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। कई केंद्रों पर तौल मशीनें खराब पड़ी हैं या स्टाफ की कमी के कारण तौल प्रक्रिया धीमी है। इससे भी दिक्कत होती है। चंद्रकांत उपाध्याय ------- सरकार की ओर से भंडारण की पुख्ता व्यवस्था के दावे है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। कई केंद्रों पर टीनशेड या प्लास्टिक की अस्थाई व्यवस्था ही नजर आ रही है। बारिश के दौरान खुले में रखा गेहूं भीगने का खतरा बना रहता है, जिससे नुकसान और बढ़ जाता है। कैलाश शंकर ---- मुख्य समस्या इस बार खराब गेहूं की तौल और उसे समर्थन मूल्य पर खरीदने को लेकर है। खराब गेहूं के लिए भी कोई विशेष मूल्य निर्धारण किया जाए ताकि कुछ राहत मिल सके। साथ ही भुगतान में तेजी लाई जाए और भंडारण व्यवस्था में भी सुधार किया जाना चाहिए । ज्योति प्रकाश ---- गेहूं की तौल में आ रही कमियों को देखते हुए प्रशासन ने किसानों की सुविधा के लिए नई पहल शुरू की है। अब क्रय केंद्र प्रभारी व कर्मचारियों की विशेष टीमें गांव-गांव जाकर किसानों के घरों से ही गेहूं की तौल और खरीद कर रहे हैं। इस व्यवस्था से कुछ सुधार हुआ है। रामनरेश मौर्या -------- इस अभियान का उद्देश्य किसानों को लंबी कतारों, बार-बार चक्कर लगाने और केंद्रों पर हो रही असुविधाओं से निजात मिल रही है। फिर भी वहां की अव्यवस्था से हम किसान परेशान रहते हैं। इस लिए वहां जाने में डर लगता है। देवेन्द्र दीक्षित ---- भुगतान प्रक्रिया में देरी के चलते वहां जाने में फायदा नहीं है।इसीलिए गेंहू खरीद की रफ्तार बढ़ नहीं पा रही है। गेंहू का सरकारी रेट 2425 रुपए कुंतल है, जबकि बाजार में 24 सौ में आसानी से गेहूं बिक रहा है। बिना झंझट के भुगतान मिल जा रहा है। कुलदीप मिश्रा -------- बाहर गेहूं बेंच कर तुरंत पैसा मिल रहा है। सरकारी केंद्र में बैंक खाता देकर फिर बैंक जाकर पैसा निकालने से परेशानी से छुटकारा मिल जाता है। प्राइवेट व्यापारी खेत व घर जाकर नगद पैसा देकर गेंहू खरीद रहे यही वजह है कि सरकारी खरीद की रफ्तार नहीं बढ़ रही है। शिवबालक पाल -------- रेट बाजार भाव से कुछ ज्यादा हो जाए तभी खरीद बढ़ेगी अन्यथा सरकारी खरीद प्रभावित होनी ही है। कोई किसान अपना आर्थिक नुकसान क्यो करेगा। हालाकि बोनस बढ़ेगा ऐसा होने की उम्मीद कम ही दिख रही। जिले में समिति व अन्य केंद्रो पर भी खरीद धीमी है। किसान बाजार मे बेंच कर अच्छा दाम पा रहे हैं। रामसजीवन किसानों के घर जा कर कराई जा रही खरीदारी महाराजगंज। मंडी परिषद विपणन शाखा के छह क्रय केंद्र में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय केंद्र मोबाइल परचेजिंग में लगे हुए हैं। मोबाइल परचेजिंग के तहत क्रय केंद्र प्रभारी सौरभ गुप्ता ने क्षेत्र के अंदूपुर गांव के बुजुर्ग किसान रामकुमार सिंह के घर पर अपनी टीम के साथ जाकर गेहूं की तौल कराई। किसान आपके द्वारा सरकार की यह योजना किसानों को बहुत भा रही है । विपणन शाखा के प्रथम केंद्र पर 24 किसानों से 1138.50 कुंतल ,द्वितीय केंद्र पर 27 किसानों से 1436.50 कुंतल, तृतीय केंद्र पर 23 किसानों से 100 4.50 कुंतल, चतुर्थ केंद्र पर 18 किसानों से 849 कुंतल, पांचवें केंद्र पर 21 किसानों से 1007 कुंतल तथा छठे केंद्र पर 21 किसानों से 913 कुंतल गेहूं की खरीद कराई जा चुकी है। क्रय केंद्र अभी लक्ष्य से काफी पीछे हैं। क्षेत्रीय विपणन अधिकारी रोहित कुमार द्विवेदी, केंद्र प्रभारी सौरभ गुप्ता ,बृजेश प्रताप सिंह किसान आपके द्वारा योजना के तहत मोबाइल परचेजिंग में लगे हुए हैं। क्रय केंद्र प्रभारी सौरभ गुप्ता ने बताया मोबाइल परचेजिंग अब तक जमुरावां अंदूपुर , पाली , पाराकला के किसानों से उनके घर पर जाकर गेंहू की तौल कराई गई है। क्षेत्रीय विपणन अधिकारी रोहित कुमार द्विवेदी ने बताया मोबाइल परचेजिंग के तहत हम लोग पूरी तरीके से प्रयासरत हैं कि सरकार की मंशा के अनुरूप लक्ष्य को नजदीक पहुंचाया जा सके। किसान ज्योति प्रकाश ने बताया कि केंद्र पर उन्हें कोई समस्या नहीं है। 20 प्रतिशत ही हुई खरीद लालगंज। क्षेत्र के सरकारी कृय केन्द्रों में गेहूं खरीद की रफ्तार सुस्त है। कृषि उत्पादन मंडी समिति परिसर के चार कृय केन्द्रों में लक्ष्य के सापेक्ष बीस प्रतिशत भी खरीद नहीं हो सकी है।ऐसे में निर्धारित लक्ष्य तक खरीद गेहूं का होना मुश्किल दिखाई दे रहा है। अभी तक इन चार क्रय केंद्रों में कुल 2668 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है। जबकि लक्ष्य 14500 कुंतल खरीदने का सरकार ने निर्धारित किया है। खरीद की गति धीरे होने का कारण क्रय केंद्र से अधिक दाम किसानों को व्यापारी व आढ़तियों से मिलना बताया जा रहा है। सभी क्रय केन्द्र प्रभारियों का कहना है कि बाजार भाव समर्थन मूल्य से अधिक है। इसलिए क्रय केंद्रों पर कृषकों द्वारा लाए जा रहे गेहूं की आवक बहुत कम है । इसलिए टोकन व्यवस्था नहीं है किसानों से संपर्क करके किसी प्रकार गेहूं खरीद की जा रही है। बोले जिम्मेदार जिले में गेहूं खरीद के लिए 114 गेहूं खरीद केंद्र खुले हैं। सभी किसानों को जो भी सहूलियतें हैं वह दी जा रहीं हैं। सौ कुंतल गेहूं सत्यापन से मुक्त है। 23 मोबाइल क्रय केंद्र काम कर रहे हैं। कोई भी किसान फोन कर केंद्र को अवगत करा सकता है। उसके घर से गेहूं की खरीद की जाएगी उसे केंद्र तक आने की आवश्यकता नहीं है। गेहूं किसानों की जो भी समस्याएं है। उनका निदान कराया जाएगा। गेहूं किसानों की सहूलियत का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सोनी गुप्ता, डिप्टी आरएमओ

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