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बोले रायबरेली-मजबूरी तो कहीं लालच में करा रहे बाल श्रम

Raebareli News - रायबरेली में बच्चों को बाल मजदूरी करते हुए देखा जाता है, जबकि यह अवैध है। अभिभावकों की मजबूरी के कारण बच्चे कम पैसों में काम करने को मजबूर हैं। श्रम विभाग की योजनाएं भी प्रभावी नहीं हैं। एंटी ह्यूमन...

Newswrap हिन्दुस्तान, रायबरेलीSun, 23 Feb 2025 07:46 PM
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बोले रायबरेली-मजबूरी तो कहीं लालच में करा रहे बाल श्रम

रायबरेली,संवाददाता। जिले में स्थित रेस्टोरेंट, ढाबों, दुकानों आदि जगहों पर छोटे -छोटे बच्चों को बाल मजदूरी करते हुए अक्सर देखा जाता है। नाबालिग से काम कराना अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन सब कुछ देखकर भी यह अपराध जारी है। दुकानदार, होटल, कारखाना व अन्य फर्म संचालकों से लेकर दुकानदार कम पैसों में मासूम बच्चों से बालश्रम कराते हैं। कहीं मासूमों के अभिभावकों की मजबूरी के चलते वह मजदूरी करने को मजबूर हैं। खेलने-कूदने व पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों को बालश्रम में पिसते देखा जा सकता है। बावजूद इसके इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होती है। सरकार द्वारा बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने के लिए नई-नई योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन उन पर प्रभावी अमल नहीं हो पाता है। इसको लेकर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बाल श्रम रोकने के लिए काम कर रहे लोगों से बात की तो उन लोगों ने इनकी समस्याओं पर खुल कर अपना पक्ष रखा।

कम मजदूरी में काम करना मजबूरी

बाल मजदूरों की कम पैसों में काम करना मजबूरी है। इनकी मजदूरों के बराबर पैसा नहीं मिलता है इसलिए यह कम पैसे में काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं। जहां मजदूरों को दिहाड़ी 400 रुपये मिलती है, वहीं यह लोग 200-250 रुपये मिलने पर भी काम करने को तैयार हो जाते हैं। इन मजदूरों की दिहाड़ी घटती चली जाती है लेकिन काम डबल करते हैं।

श्रम विभाग की योजनाओं का नहीं मिलता लाभ

बाल श्रमिकों को श्रम विभाग में चल रही सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का कोई नही लाभ मिलता है। ऐसे में इन मजदूरों का न तो विभाग में पंजीकरण हो पाता है और न ही उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल पाता है। विभाग के अधिकारियों को इसके लिए अलग से प्रयास करना चाहिए। ताकि बाल श्रमिकों को राहत मिल सके। काम करना जिनकी मजबूरी है वह बाल श्रमिक अपना पंजीकरण करा सकें और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकें।

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दो माह में दस बाल श्रमिकों को मुक्त करा चुका है एएचटीयू

बाल श्रम से संबंधित सभी अपराध की जिले में बने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) थाने में एफआईआर की जा सकती है। प्रदेश के 40 जिलों में रायबरेली जिला शामिल हैं। जहां पर यह व्यवस्था की गई है।

शहर से लेकर देहात क्षेत्रों के होटलों, ढाबों में नाबालिग बच्चों को काम करते हुए देखा जा सकता है। दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए होटल और ढाबा संचालक मनमाने तरीके से इनसे काम कराते हैं। यहां तक कुछ ऐसे दबंग किस्म के लोग हैं, जो बच्चों से भीख तक मंगवाते हैं।

कई बार नाबालिग बच्चों के उत्पीड़न की शिकायतें भी आती हैं, लेकिन त्वरित कार्रवाई नहीं हो पाती। अब नाबालिग बच्चों पर जुल्म करने वालों पर कार्रवाई के लिए यहां पर थाना बना दिया गया है। यह थाना बंधुआ मजदूर, देह व्यापार और बाल श्रम पर अंकुश लगाने के लिए ही है। एएचटीयू प्रभारी अरविंद सिंह ने बताया अभी एक दिन पहले ही एक चाय की दुकान से बाल मजदूर को मुक्त कराया गया है। पिछले साल 87 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया। इस साल अभी तक दस बाल मजदूर को मुक्त करा कर जुर्माना किया गया है।

शिकायतें

-बाल श्रम कराने वालों के लिए कार्रवाई का डर नहीं है। वह बेधड़क काम कराते हैं।

-जो मजबूरी में बाल श्रम कर रहे हैं, उनके लिए कोई सुविधाएं नहीं हैं।

-बाल श्रम को रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। कागजी कार्रवाई अधिक है।

-बाल श्रम कराने के मामले में अभी तक विशेष कार्रवाई नहीं हुई है। खाना पूर्ति तक सीमित है।

-श्रम विभाग की योजनाओं का पर्याप्त प्रचार प्रसार नहीं है। इसलिए लाभ नहीं मिलता है।

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सुझाव

-बाल श्रम कराने वालों के लिए सख्त से सख्त कार्रवाई हो। ताकि उनमें डर हो और वह बच्चों से काम न करा सकें।

-जो मजबूरी में बाल श्रम कर रहे हैं, उनके लिए सुविधाएं होनी चाहिए। ताकि उनको मुख्यधारा में लाया जा सके।

-बाल श्रम को रोकने के पर्याप्त इंतजाम किए जाए, जिससे इस पर अंकुश लगाया जा सके।

-बाल श्रम कराने के मामले में संस्थान बंद होने जैसी कार्रवाई की जाए। तभी कुछ हो सकता है।

-श्रम विभाग की योजनाओं का पर्याप्त प्रचार प्रसार किया जाए। ताकि इसका लाभ उन लोगों को मिले।

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किसी भी प्रतिष्ठान व दुकान पर अगर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से काम करवाया जा रहा है तो उनके विरुद्ध बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत कार्रवाई की जाएगी। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कार्य पर नहीं रखा जाए, अगर कोई ऐसा करता है तो यह दंडनीय अपराध है।

आरएल स्वर्णकार, सहायक श्रमायुक्त

बाल श्रम पर बोले लोग

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बाल श्रमिकों समस्या का सबसे बड़ा कारण गरीबी है। गरीब परिवारों के बच्चों को प्राय: अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहारा देने के लिए कार्य करना पड़ता है।

विजय सिंह

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गरीब परिवार के बच्चों को अच्छे स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता है। जब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक नहीं मिलती है, तो उनके स्कूल जाने की बजाय कार्य करने की संभावना अधिक हो जाती है।

वीएन गुप्ता

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मजदूर और छोटे कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन बहुत कम होता है। कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटना के कारण परिवार के बच्चों को बालश्रम करने को मजबूर होना पड़ता है।

रजनीश कपूर

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अधिकतर गरीब मां-बाप अपने बच्चों के काम करने के कारण होने वाली को नहीं जानते। इसलिए अपने बच्चों से वह मजदूरी कराते हैं। इससे बच्चों को शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक दिक्कतें होती हैं।

आरके सोनी

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सामाजिक भेदभाव से बाल श्रम को बढ़ावा मिलता है। जब बच्चों के साथ भेदभाव किया जाता है, तो वह बाल श्रम की ओर मुड़ जाते हैं। इसलिए इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

गोविंद खन्ना

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बच्चों को हानिकारक परिस्थितियों में शारीरिक, मानसिक शोषण के साथ लंबे समय तक श्रम करना पड़ता है, जिसके कारण उन्हें चोटें भी लगती हैं इसके साथ बीमारियां और अन्य समस्याएं भी हो जाती हैं।

पपिंदर सरदार

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बच्चों को प्राय: शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है। जिससे बुनियादी साक्षरता के साथ ही उनके भविष्य के अवसर भी सीमित हो जाते हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

राजीव भार्गव

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बच्चों की खेलने की उम्र में उनसे काम लेना अपराध है। इस बात को सबको समझना होगा। वह चाहे परिवार हो या समाज सभी की यह जिम्मेदारी है कि उनका बचपन खराब न हो।

परमजीत कौर

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बाल श्रम बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इससे उन्हें शिक्षा, सुरक्षा और सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण के अधिकार से वंचित होना पड़ता है। इसकी रोकथाम होनी चाहिए। इस पर प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए।

संगीता सेठ

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इन बच्चों के परिवारों को गरीबी के कारण कमाई करनी पड़ती है। क्योंकि बच्चों की कमाई से घरेलू व्यवस्था चलती है और लंबे समय तक काम करने के कारण उनकी पढ़ाई बाधित होती है और यह बाल मजदूरी की चपेट में आ जाते हैं।

सचिन

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