देवी के तीन मन्दिरों का त्रिकोण जहां बीच में कभी नहीं पड़ता सूखा, दूर होते हैं रोग
बैसवारा के त्रिकोण में बने तीन माता मंदिरों में आस्था का मेला लगता है। तीनों मन्दिरों के बीच 15 किलोमीटर की निश्चित दूरी है।
शारदीय नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो गए। इन दिनों में बैसवारा क्षेत्र की महत्ता और बढ़ जाती है। यह संयोग है और बैसवारा क्षेत्र की खूबी भी। क्षेत्र के तीन देवी माता मंदिर यहां त्रिकोण में स्थित हैं। तीनों शक्तिपीठों की दूरी आपस में 15-15 किमी के आसपास है। प्रचानी मंदिरों का महत्व नवरात्रि में और बढ़ जाता है। यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।
शारदीय नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो गए। बैसवारा क्षेत्र आदिकाल से आध्यात्मिक और शूरवीरों की धरती रहा है। मां गंगा इस इलाके को और समृद्ध करती हैं। इस क्षेत्र के माता के तीन शक्ति पीठ हैं। तीन शक्तिपीठों का त्रिकोण इसकी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। इस त्रिकोण की अनुकंपा ही इस क्षेत्र की कलम और तलवार को मजबूत बनाए हुए है। महर्षि गर्ग की धरती गेंगासो में शक्तिपीठ माता संकटा देवी का मंदिर है। इस शक्तिपीठ की अपनी अलग महत्ता है। यहां हमेशा भक्तों की भीड़ रहती है। दूर-दराज से लोग यहां पर पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। नवरात्रि में इस मंदिर में आम दिनों की अपेक्षा अधिक भीड़ हो जाती है।
तालाब में स्नान करने से दूर होते हैं चर्म रोग
संकटा देवी मंदिर से 15 किमी दूरी पर मुरारमऊ में मां अंबिका देवी का है। यह मंदिर सरेनी-भगवंत नगर मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना की बाबत तो कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। लेकिन मंदिर के पुरोहित बताते हैं कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार तत्कालीन राजा मुरारमऊ भगवती बक्श सिंह ने कराया था। जीर्णोद्धार के समय से भी लगभग एक शताब्दी पूर्व यहां मंदिर स्थापना की बात बताई जाती है। मान्यता है कि अंबिका देवी मंदिर के उत्तर में स्थित तालाब के पानी में स्नान करने वालों के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इस मंदिर परिसर में प्राचीनकाल से मेला भी लगता आ रहा है। नवरात्रि के दिनों में यहां हजारों की तादाद में लोग आकर पूजा अर्चना कर मनौतिया मानते हैं। लोग अपने बच्चों का मुंडन व छेदन कराते हैं।
क्षेत्र में कभी अकाल पड़ने का जिक्र नहीं
अंबिका देवी मंदिर से करीब 15 किमी की दूरी पर उन्नाव के बक्सर में मां चंद्रिका देवी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर की भी खूब महिमा है। यहां रोजाना श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं। यहां हर दिन मेले जैसा माहौल रहता है। किंवदंती है कि इस त्रिकोण से ही इस क्षेत्र में कभी अकाल पड़ने का जिक्र नहीं मिलता है। लोगों की आस्था का विश्वास है कि यह तीनों शक्तिपीठ इस क्षेत्र में बसे लोगों की पूरी तरह सुरक्षा करती हैं।
पर्यटन स्थल के रूप में विकसति करने की मांग
श्रद्धालुओं की आस्था इतनी है कि इन शक्तिपीठों में हाजिरी लगाकर वह अपने धन्य मानते हैं। भोजपुर निवासी अनिल कुमार शुक्ला (लल्ले), पुतानी साहू आदि बताते हैं कि तीनों मंदिरों का बड़ा महत्व है। इन मंदिरों और आकर्षक बनाने की जरूरत है। इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
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