शातिर और चालाक है ‘पम्पिंग बाघ’, रेकी कर करता था इंसान का शिकार; अब चिड़ियाघर का मेहमान
- ‘पम्पिंग बाघ’ पीलीभीत जंगल के बाहर आकर ऐसी जगह की रेकी करता था, जहां पर किसान पम्पिंग सेट चलाकर खेतों की सिंचाई कर रहे हों। वह छिपकर पम्पिंग सेट बंद होनेे का इंतजार करता था। जब किसान पम्पिंग सेट बंद करने आते थे तो उन पर हमला कर शिकार कर लेता था।
Pumping Tiger: गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान में पीलीभीत से करीब एक माह पहले रेस्क्यू कर लाया गया बाघ बेहद चालक और शातिर है। यही वजह है कि उसका मानव से जबरदस्त संघर्ष हुआ। उसके शातिर होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इंसान के शिकार से पहले वह पम्पिंग सेट चलने वाली जगहों की रेकी करता था। जब किसान पम्पिंग सेट बंद करने आते, तो उन पर टूट पड़ता था। यही कारण है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन ने उसका नाम ‘पम्पिंग बाघ’ रख दिया था।
पीलीभीत के बाघ कद काठी में देश भर के बाघों से मजबूत माने जाते हैं। बंगाल टाइगर की तुलना में इनका वजन भी ज्यादा होता है। ये ज्यादा खतरनाक भी होते हैं। पीलीभीत से चिड़ियाघर में लाया गया बाघ भी कुछ ऐसा ही है। यह पीलीभीत जंगल के बाहर आकर ऐसी जगह की रेकी करता था, जहां पर किसान पम्पिंग सेट चलाकर खेतों की सिंचाई कर रहे हों। इस दौरान वह छिपकर पम्पिंग सेट बंद होनेे का इंतजार करता था। जब किसान पम्पिंग सेट बंद करने आते थे तो उन पर हमला कर शिकार कर लेता था।
बताया जा रहा है कि इस तरह से उसने पांच वारदातों को अंजाम देते हुए कई किसानों को अपना शिकार बनाया था। यही वजह है कि टाइगर रिजर्व के लोगों ने उसका नाम ‘पम्पिंग बाघ’ रख दिया था। शिकार करने के बाद वह फिर से जंगल चला जाता था। इस बाघ को कई बार पकड़ने के लिए टाइगर रिजर्व और वन विभाग ने कई बार जाल फैलाया लेकिन सफलता नहीं मिली। जब हालात बेकाबू हो गए और लोगों के बीच उसका खौफ ज्यादा हुआ तब किसी तरह बेहोश कर उसका रेस्क्यू किया गया। एक माह से अधिक समय से उसे गोरखपुर के चिड़ियाघर में क्वारंटीन किया गया है।
जंगल में छोड़ने के चांस बेहद कम : बाघ के शातिरपने और उसके स्वभाव को देखते हुए उसे जंगल में छोड़ने के चांस बेहद कम है। हालांकि, इसके लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो उसके स्वभाव नजर रखे हुए हैं। बताया जा रहा है कि कमेटी भी असमंजस में है कि उसे छोड़ा जाए या चिड़ियाघर में ही रखा जाए।
चिड़ियाघर के बाघ से ज्यादा ताकतवर
चिड़ियाघर में बाघ अमर और सफेद बाघिन गीता है। पीलीभीत से लाए गए बाघ की कद-काठी उनसे ज्यादा है। उसका वजन भी बाघ अमर और गीता के वजन से 90 किलो ज्यादा है। जानकार बताते हैं कि प्रदेश में दूसरा कोई बाघ पीलीभीत से लाए गए बाघ जैसा नहीं है। यह पूरी तरह से जंगली है और शिकार करना बखूबी जानता है।
क्या बोले पशु चिकित्साधिकारी
गोखपुर चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि पीलीभीत से लाए गए बाघ के स्वभाव का अध्ययन किया जा रहा है। उसे जंगल में छोड़ना है या नहीं, इस पर कमेटी फैसला करेगी। फिलहाल उसे क्वारंटीन सेल में रखा गया है। वह पूरी तरह से स्वस्थ है।