आयोग का दावा: छात्रहित सर्वोच्च प्राथमिकता, पारदर्शी होगा मानकीकरण
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रतियोगी छात्रों के हितों को सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया है। आयोग ने मानकीकरण प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने की बात कही है। इसके साथ ही, पीसीएस परीक्षा में...
प्रयागराज मुख्य संवाददाता। छात्र आंदोलन पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को सफाई दी है। आयोग के सचिव अशोक कुमार का कहना है कि यह पहला आयोग है जहां प्रतियोगी छात्रों का हित सुनिश्चित किया जाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। उनकी अपेक्षाओं, आशाओं और आवश्यकताओं का पूरा सम्मान किया जाता रहा है।
मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) की पूरी व्यवस्था में न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप सुनिश्चित किया जा रहा है। सबकुछ कंप्यूटर से होना है। तकनीक का उपयोग कर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। मूल्यांकन में रोल नंबर को फेक नंबर में परिवर्तित कर मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) की प्रक्रिया की जाएगी, जिससे किसी अभ्यर्थी का रोल नंबर मालूम नहीं चलेगा एवं मूल्यांकन प्रक्रिया पूर्ण रुप से पारदर्शी होगी।
अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते दौर की आवश्यकता को देखते हुए पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया। प्रतियोगी छात्रों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि स्केलिंग की वजह से मानविकी विषयों और हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के नंबर कम हो जाते हैं और विज्ञान विषय एवं अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाते हैं। स्केलिंग प्रणाली को छात्रों के आग्रह पर समाप्त किया गया है।
पूर्व में पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष 13 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाता था। जिसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है। पीसीएस इंटरव्यू में एक पद के सापेक्ष दो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया जाता था। अब तीन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाया जा रहा है।
निष्पक्ष एवं पारदर्शी है साक्षात्कार प्रक्रिया
-साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित है, जिसमें अभ्यर्थियों के नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या, अनुक्रमांक, श्रेणी को ढक दिया जाता है। इस प्रकार अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत विवरण साक्षात्कार परिषद के समक्ष नहीं रखे जाते।
-हर अभ्यर्थी का एक यूनीक कोड होता है। साथ ही विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार हुए विशेष अव्यवस्थित कोड से अभ्यर्थी को अंतिम समय तक यह नहीं पता लग पाता है कि उसे किस पैनल के सामने उपस्थित होना है।
-साक्षात्कार के माध्यम से चयन के लिए साक्षात्कार परिषद द्विसदस्यीय होती है। प्रथम और द्वितीय सत्र में अलग-अलग इंटरव्यू बोर्ड होते हैं।
-साक्षात्कार में लब्ध प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है। विशेषज्ञों को साक्षात्कार परिषद में प्रत्येक सत्र के बाद अदला-बदली की जाती है।
-अभ्यर्थियों को साक्षात्कार परिषद के समक्ष किए गए परफार्मेंस के आधार पर ग्रेडिंग अंकित की जाती है एवं औसत सिद्धांत के आधार पर अंक प्रदान किए जाते है।
-साक्षात्कार के बाद मार्कशीट पर विशेषज्ञों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते है और उनके समक्ष ही मार्कशीट का लिफाफा सील किया जाता है। विशेषज्ञों की पहचान अत्यंत गोपनीय रखी जाती है।
2024 में 44 विशेषज्ञों को डिबार किया
आयोग ने गलत प्रश्न उत्तर का निर्माण करने पर 186 विशेषज्ञों को सभी गोपनीय कार्यों से सदैव के लिए डिबार किया है। इसके अतिरिक्त गोपनीय कार्य सही ढंग से सम्पन्न न करने के कारण वर्ष 2024 में 44 विशेषज्ञों को डिबार किया गया और इस संबंध में उनसे संबंधित संस्थाओं को सूचित करने के साथ ही साथ अन्य आयोगों को भी उनकी सूची भेजी है। आयोग ने गोपनीय / अन्य कार्यों के लिए लब्ध प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की सूची तैयार की है एवं अनवरत अपडेट की जा रही है और साथ ही साथ गोपनीय कार्यों के संबंध में उनकी जवाबदेही भी तय की गयी है।
साढ़े छह साल में 46675 अभ्यर्थियों का किया चयन
आयोग का कहना है कि अप्रैल 2017 से नवंबर 2024 तक आयोग ने शुचितापूर्ण एवं गुणवक्तापूर्ण तरीके से 67934 पदों की चयन प्रक्रिया पूरी है। इसमें 46675 अभ्यर्थी चयनित हुए। चयनित अभ्यर्थियों में महिलाओं की संख्या 17454 (37.40%) और ओबीसी कि संख्या 17929 (38.41%) है। वर्ष 2022-23 में विज्ञापित 13353 पदों के सापेक्ष 12244 (91.70%) पदों पर 31 मार्च 2023 तक चयन प्रकिया पूर्ण की गयी( वर्ष 2023-24 में विज्ञापित 5763 पदों के सापेक्ष 5686 (98.66%) पदों पर 31 मार्च 2024 तक चयन प्रकिया पूर्ण की गयी। वर्तमान वर्ष 2024-25 में विज्ञापित 6891 पदों के सापेक्ष अब तक 2792 (40.57%) पदों की चयन प्रकिया पूर्ण की गयी। वर्तमान कलैंडर वर्ष में कुल 15 परीक्षाएं निर्धारित है जिसमें से अब तक 12 परिक्षाएं आयोजित की जा चुकी है और दिसम्बर तक 14 परीक्षाएं आयोजित हो जाएंगी, जो कलैंडर वर्ष में निर्धारित परीक्षाओं का 93.34 प्रतिशत है।
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