UPPSC: सीबीआई को चार भर्तियों में मिले गड़बड़ी के प्रमाण
लोक सेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच कर रही सीबीआई को सपा शासनकाल के दौरान हुई चार और भर्तियों में अनियमितता के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। सीबीआई ने इन भर्तियों की जांच प्रक्रिया...
लोक सेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच कर रही सीबीआई को सपा शासनकाल के दौरान हुई चार और भर्तियों में अनियमितता के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। सीबीआई ने इन भर्तियों की जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए इसकी गहन छानबीन के लिए चारों भर्तियों में पीई यानी प्रिलिमनरी इंक्वायरी दर्ज किया है।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक किसी मामले की जांच में पीई तब दर्ज की जाती है, जब उसमें गड़बड़ी का कोई साक्ष्य मिलता है। जांच अधिकारी की आख्या पर पीई सीबीआई के वरिष्ठ अफसर के निर्देश पर दर्ज की जाती है। अब इन भर्तियों की जांच का जिम्मा सीबीआई के अलग-अलग डिप्टी एसपी को सौंपा जाएगा, जो सीबीआई इंस्पेक्टरों की अपनी टीम की मदद से खास तौर से इन भर्तियों में मिली अनियमितता की शिकायतों की ही जांच करेंगे।
पीसीएस जे 2013, आरओ-एआरओ 2013 और लोअर सबआर्डिनेट 2013 के साथ ही मेडिकल अफसर की एक सीधी भर्ती में सीबीआई टीम को अनियमितता मिली है। इससे पूर्व पीसीएस 2015 और एपीएस 2010 में अनियमितता मिलने के बाद पीई दर्ज हो चुकी है। जिसकी सीबीआई टीम गहनता से जांच कर रही है। पीसीएस 2015 में गड़बड़ी के मामले में सीबीआई एफआईआर भी दर्ज करवा चुकी है, अज्ञात लोगों के खिलाफ यह एफआईआर मॉडरेशन और स्केलिंग में गड़बड़ी मिलने के बाद मई 2018 में दर्ज कराई गई थी।
इन चार भर्तियों में दर्ज की गई है पीई
लोअर सबआर्डिनेट 2013
लोअर सबआर्डिनेट 2013 में 1547 पदों पर चयन हुआ था। इसकी प्रारंभिक परीक्षा छह अप्रैल 2014 तथा मुख्य परीक्षा दिसंबर 2014 में हुई थी। नवंबर 2015 से फरवरी 2016 तक इंटरव्यू के बाद अंतिम परिणाम घोषित किया गया था। कई अभ्यर्थियों ने मुख्य परीक्षा में जीएस की ओएमआर सीट बदलने की शिकायत सीबीआई से की थी।
पीसीएस जे 2013
इस भर्ती में सिविल जज जूनियर डिविजन के 125 पदों पर चयन हुआ था। इस भर्ती में 15 प्रश्नों का विवाद सामने आया था। विशेषज्ञों की जांच के बाद अभ्यर्थियों की आपत्ति सही पाई गई थी तो आयोग को पीसीएस जे प्री का परिणाम संशोधित करना पड़ा था।
आरओ-एआरओ 2013
आरओ-एआरओ 2013 में 505 पदों पर चयन हुआ था। इसका अंतिम परिणाम अगस्त 2015 में घोषित किया गया था। यह भर्ती भी गलत प्रश्नों के कारण विवादित हुई थी। इस भर्ती में गलत प्रश्नों का मामला इतना तूल पकड़ा था की नाराज हाईकोर्ट ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष को न्यायालय में तलब कर लिया था, हालांकि उपस्थिति के मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी। इस भर्ती के अंतिम परिणाम में सफल अभ्यर्थियों के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था।
मेडिकल अफसर सीधी भर्ती
मेडिकल अफसर की जिस सीधी भर्ती में पीई दर्ज की गई है, उसके बारे में कहा जा रहा है कि अपने लोगों को चयनित करने के लिए मेरिट को काफी गिराकर इंटरव्यू में बुलाया गया था। इस भर्ती को लेकर एक और शिकायत यह भी है कि इसमें कुछ ऐसे लोगों को चयनित किया गया है, जिन्होंने गैर मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज की डिग्री लगाई थी।
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