अभ्यास का कोई विकल्प नहीं, जमकर करें रिवीजन
Prayagraj News - यूपी बोर्ड की परीक्षाओं की समय सारिणी जारी होने के साथ छात्रों और अभिभावकों में तनाव बढ़ गया है। हेल्पडेस्क और मनोवैज्ञानिक सहायता से कई विद्यार्थी समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं। विशेषज्ञों के...
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक और सैद्धांतिक परीक्षाओं की समय सारिणी जारी होने के साथ छात्रों एवं उनके अभिभावकों में तनाव और चिंता बढ़ गई है। बोर्ड मुख्यालय में स्थापित हेल्पडेस्क और मनोविज्ञानशाला की ओर से जारी हेल्पलाइन नंबर पर कई विद्यार्थी और अभिभावक विषय के साथ ही मनोवैज्ञानिक समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क कर रहे हैं। यूपी बोर्ड के उप सचिव और मनोवैज्ञानिक डॉ. आनंद कुमार त्रिपाठी के अनुसार कई बार बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव अथवा तुलना किए जाने के भय से छात्र अपना दैनिक समायोजन खो देते हैं, जिससे मानसिक समस्याओं जैसे तनाव, कुंठा, अनिद्रा, भय और चिड़चिड़ापन जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है। इन सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक तरीके हैं जिनको अपनाकर परीक्षा के डर को समाप्त करके सफलता प्राप्त की जा सकती है ।
सकारात्मक विचारों से भय को मात दें: यह बिल्कुल नहीं महसूस करें कि यह कोई अनोखी या अलग परीक्षा है, यह भी हर साल होने वाली परीक्षा की तरह ही आपको पढ़ाए गए पाठ्यक्रम पर आधारित होगी। जब बार-बार आप मन में इस बात को दोहराएंगे तो सहज हो जाएंगे और बेहतर परिणाम प्राप्त करेंगे।
बेहतर समय प्रबंधन: परीक्षा के ठीक पहले के दबाव से बचने के लिए जरूरी है समय का सही प्रबंधन अभी से कर लें। एक समय सारिणी बनाए और सभी विषय को जरूरत के अनुसार समय दें, पाठ्यक्रम को दोहराने का भी अवसर बना कर रखें।
दबावमुक्त होकर रुचि अनुसार पढ़ाई करें: जब आप अपने आंतरिक इच्छा से पढ़ते हैं तो पढ़ी हुई बातें दिमाग में संरक्षित हो जाती है और परीक्षा कक्ष में आपको आसानी से याद आ जाती है। कोशिश करें कि पढ़ने के लिए खुद को प्रेरित करते रहें। प्रेशर में किया गया अध्ययन बहुत जल्दी विस्मृत हो जाता है।
उन विषय क्षेत्रों को चिन्हित करे जिनमें आप कमतर महसूस करते हैं: कोई व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रवीण नहीं होता इसलिए अगर कही आप कमजोर हैं तो अपनी कमियों की समय रहते पहचान करके उसपर अपने शिक्षकों से बात करके बेहतर कर सकते हैं ।समूह चर्चा से भी चीजें आसान होंगी।
अभ्यास का कोई विकल्प नहीं होता: हर विषय क्षेत्र को उचित अभ्यास का समय प्रदान करें। सभी के मॉक टेस्ट जरूर दें। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा और अपनी परफोर्मेंस भी ज्ञात कर पाएंगे। यह फीडबैक आपको बेहतर करने हेतु प्रेरित करेगा।
हर विषय को पर्याप्त महत्व दें: सभी विषयों का अंकपत्र में समान महत्व होता है, इसलिए किसी विषय को बाद के लिए न छोड़ें। सभी पर अपनी आवश्यकता अनुसार समय दें।
रटने के बजाय समझ कर उत्तर लिखने का अभ्यास करें: इससे भूलने का भय खत्म हो जाएगा और जब आप स्वयं लिखते हैं तो उत्तर ज्यादा वास्तविक लगता है।
अध्ययन में अंतराल जरूर दें: जब हम किसी विषय को याद करते या समझते हैं तो मस्तिष्क में उससे संबंधित स्मृति चिह्न निर्मित होते हैं इसमें समय लगता है इसलिए पढ़ने में अंतराल आवश्यक होता है। हर 45 से 60 मिनट के बाद 15 मिनट अंतराल दें, लेकिन उस अंतराल में दूसरा कोई कार्य या मोबाइल न चलाए। आंखे बंद करके रिलैक्स करें।
लिखकर, चित्र बनाकर या किसी रोचक बात से जोड़कर गंभीर प्रश्नों को याद करें: ऐसा करने से चीजें मस्तिष्क में अंकित हो जाएंगी और आसानी से याद आ जाएंगी।
अभिभावक अपनी उम्मीदों का बोझ बच्चों पर ना डालें: बच्चे समाज में बेइज्जती या दूसरे से प्रतिस्पर्धा के दबाव में अपना स्वाभाविक प्रदर्शन नहीं कर पाते। बच्चों की पढ़ाई का उद्देश्य दूसरे के सामने साबित करना नहीं अपितु ज्ञान प्राप्त करना है। तुलना या सामाजिक भय उसे कमजोर करेगा। हर व्यक्ति एक समान नहीं होता, सबकी क्षमताएं भी भिन्न होती हैं। अभिभावक बच्चों से भावनात्मक रूप से जुड़े और बच्चों को सपोर्ट करें।
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