कतार लगाकर शटल बसों पर चढ़े, फिर भी 10 किलोमीटर पैदल चले
Prayagraj News - स्नान पर्व के दौरान यात्रियों को शहर के बाहर ही रोका गया। शटल बसें मुफ्त में चलाई गईं, लेकिन श्रद्धालुओं को 10-20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। कानपुर, लखनऊ, और मध्य प्रदेश से आने वाली गाड़ियों को पार्किंग...
ट्रेन, बस या निजी वाहनों से स्नान पर्व पर आने वाले यात्रियों को शहर के बाहर ही रोक दिया गया। उनकी सुविधा के लिए शटल बसें चलाई गईं और किराया भी नहीं लिया गया। करीब एक लाख से अधिक यात्रियों ने मुफ्त में यात्रा की लेकिन इसके बाद भी श्रद्धालुओं को 10 से 20 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी। इसके बाद उन्हें संगम में डुबकी लगाने का मौका मिला। कानपुर रूट से आने वाली गाड़ियों को नेहरू पार्क के पास रोक दिया जा रहा था। बाहर की गाड़ियां पार्किंग में खड़ी कराई गईं। यात्रियों की सुविधा के लिए नेहरू पार्क से शटल बसें चल रही थीं। लेकिन ये बसें हिंदू हॉस्टल तक ही आईं। यहां से श्रद्धालु संगम नोज तक पैदल गए। इसी तरह लखनऊ, रायबरेली और अयोध्या रूट से आने वाली बसों को बेली कछार में रोका गया। यहां से शटल बसें यात्रियों को लेकर भारत स्काउट एवं गाइड कॉलेज तक आईं। यहां से यात्री संगम तक पैदल निकले। इसी तरह गंगापार में झूंसी के अस्थाई बस अड्डे से हबूसा मोड़ तक ही बसें आई। शास्त्री पुल तक भी बसों को नहीं आने दिया गया। वहीं, यमुनापार से भी शटल बसों की शहर में इंट्री नहीं हुई। मिर्जापुर और मध्य प्रदेश से आने वाले यात्रियों को शटल बसों से टेंट सिटी के पास छोड़ गया। इसके बाद भी यात्रियों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि शटल बसों पर चढ़ने के लिए उन्हें कतार में खड़ा कराया गया। संगम से लौटने वाले यात्रियों को 20 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने पहुंची। प्रयागराज एक्सप्रेस पकड़ने जा रहे यात्री रमेश ने बताया कि शटल बसें भी नहीं मिली। पूरे परिवार के साथ वह पैदल चलकर सूबेदारगंज स्टेशन आए हैं।
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