धर्मग्रंथों में लिखे विज्ञान का प्रचार करें संत: स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अलोपीबाग आश्रम में चतुर्मास अनुष्ठान के समापन पर धर्मग्रंथों में विज्ञान के प्रचार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संतों के प्रयासों से भारत को विश्वगुरु बनाया...
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने बुधवार को अलोपीबाग आश्रम में ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती के कक्ष में चतुर्मास अनुष्ठान के समापन का आह्वान किया। उन्होंने धर्मग्रंथों में लिए विज्ञान के विश्व स्तर पर प्रचार प्रसार के लिए संतों का आह्वान किया। उन्होंने कहा, संतों के प्रचार से ही भारत विश्वगुरु बन सकेगा। स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि सृष्टि, सूर्य, चंद्रमा, कालगति, वायुयान आदि का ज्ञान लेकर धर्मग्रंथ तैयार किए हैं। वर्तमान पीढ़ी को इसे संभाल कर संरक्षित रखना होगा। इस दौरान ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य संस्कृत विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य शिवार्चन उपाध्याय, दंडी स्वामी विनोदानंद सरस्वती, आचार्य विपिन मिश्र, आचार्य अभिषेक, आचार्य मनीष मिश्रा सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालु ने कार्यक्रम में शिरकत की।
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