यूएन से अनुरोध, बांग्लादेश मामले में आगे आए: स्वामी अवधेशानंद गिरि
Prayagraj News - प्रयागराज के स्वामी अवधेशानंद गिरि ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ से अपील की है। उन्होंने मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि जब अन्य...
प्रयागराज संजोग मिश्र सनातन परंपरा के 13 अखाड़ों में से सबसे बड़े श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने संयुक्त राष्ट्र संघ से आग्रह किया है कि बांग्लादेश में हो रहे हिन्दुओं पर अत्याचार के मामले में आगे आए। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' से मंगलवार को खास बातचीत में स्वामी अवधेशानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की उन्होंने भर्त्सना की। इस मामले में उन्होंने सवाल किया कि भारत के और भारत से बाहर के मानवाधिकार संगठन कहां गए?
स्वामी अवधेशानंद ने कहा-अन्य समुदायों पर जब प्रहार और अत्याचार होता है तो पूरी धरती के मानवाधिकार संगठन खड़े हो जाते हैं लेकिन आज जब हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है तो सारे संसार के मानवाधिकार संगठन और एनजीओ कहां हैं। मैं तो मानवाधिकार के लिए जो सर्वोच्च संस्था है संयुक्त राष्ट्र संघ (युनाइटेड नेशंस या यूएन) से भी यह प्रार्थना कर रहा हूं कि वो आगे आए। जिस तरह से वहां (बांग्लादेश) में भयानक अत्याचार हिंदुओं पर हुए, वहां की बहू-बेटियों पर, हमारे मंदिरों पर आज भी हो रहे हैं, पुजारियों को जेल में डाला जा रहा है, संतों पर भयानक क्रूरता के साथ अत्याचार हो रहे हैं।
यूएन को आगे आना चाहिए, संसार को एक स्वर देना चाहिए। इस मामले में भारत सरकार की नीति संरक्षात्मक और स्वागत योग्य है। मंदिरों के अधिग्रहण से संबंधित सवाल पर आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा कि हिंदू मंदिरों का पैसा हिंदुओं के लिए जाना चाहिए यानि हिंदू मनी फॉर हिंदू कॉज (हिंदू के लिए हिंदुओं का धन)। मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण पर पूछे सवाल के जवाब में कहा कि अगर सरकार हमारा पैसा लेकर ट्रेजरी (कोषागार) में जमा कर रही है, उससे वाहन खरीद रही है, अपने कर्मचारी को तनख्वाह दे रही है तो हमारे साथ अन्याय है।
हिंदू ने दान दिया है भगवान के लिए, इसलिए वह धन या तो भक्तों पर अथवा मंदिर के कार्य में लगे। हमारी स्वाभाविक मांग है कि हिंदू मंदिरों का जहां-जहां अधिग्रहण हुआ है उसे उन सम्प्रदायों को वापस किया जाना चाहिए जिन सम्प्रदायों या मत-पंथ के हैं।
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