बोले प्रयागराज : कचरे से हांफ रहा शहर का फेफड़ा
Prayagraj News - प्रयागराज का शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क, जिसे शहर का फेफड़ा माना जाता है, अब अपनी खूबसूरती खो रहा है। अतिक्रमण और निर्माण कार्यों के चलते पार्क का आकार सिकुड़ रहा है। पार्क की सफाई और देखभाल में कमी आई...

प्रयागराज, प्रमुख संवाददाता। शहर की सांस को निरापद रखने वाला शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क हर किसी को आकर्षित करता है। 155 साल के हो चुके इस पार्क को शहर का फेफड़ा भी कहते हैं। माना जाता है कि पार्क की हरियाली शहर का पर्यावरणीय संतुलन बनाने में बहुत मददगार रही है। लेकिन सजावटी निर्माण की कोशिश में इसकी खूबसूरती के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
पार्क में अतिक्रमण हो रहा है। इसका आकार सिकुड़ रहा है। जिस चबूतरे पर इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया की मूर्ति लगी थी, वहां की हवा लोगों को सुकून देती थी। अब वो शीतल हवा भी कमजोर हो गई है। कभी न्यायालय ने पार्क की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए इसमें वाहनों के जाने पर रोक लगा दी। कभी यह भी चर्चा होती थी कि पार्क का पुराना स्वरूप वापस लाने के लिए मदन मोहन मालवीय स्टेडियम को कहीं और शिफ्ट किया जाए। अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं।
पार्क को स्टेडियम जैसे अतिक्रमण से मुक्त करने की बात तो दूर, इसमें नए-नए निर्माण हो रहे हैं। पार्क के बड़े हिस्से में लाइट एंड साउंड शो शुरू हो गया है। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम के पास दशकों पुराने जिमखाना क्लब का आकार कई गुना बढ़ गया। कुम्भ-19 में तो हैरान करने वाला एक फैसला लिया गया। पन्नालाल रोड को चौड़ा करने के लिए पार्क की चौहद्दी छोटी कर दी गई। पार्क में प्रवेश करने वालों से पांच रुपये शुल्क सिर्फ इसलिए लिया जा रहा है ताकि इसकी देखभाल ठीक से हो सके। शुल्क लगने के बाद तो मानो पार्क की अनदेखी होने लगी। पार्क में सुबह-शाम टहलने वाले शहरियों ने आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान को बताया कि एक समय था, जब परिसर की सुबह 6:00 बजे तक सफाई हो जाती थी। अब दोपहर 12:00 तक डस्टबिन कूड़े से पटे रहते हैं। पार्क में जगह-जगह पानी की बोतल बिखरी पड़ी रहती है।
लोगों के मुताबिक विक्टोरिया मेमोरियल के स्तंभों पर अनगिनत दाग नजर आते हैं। मेमोरियल के चारों ओर लगाई गई लाइट कहां गायब हुई, कोई नहीं जानता। टॉयलेट की सफाई नहीं होती। पेड़ों से गिरने वाली सूखी पत्तियां पूरे पार्क में बिखरी हैं। लोगों को सेहतमंद बनाने के लिए एक दशक पहले पार्क में बना सिंथेटिक ट्रैक कुछ साल में ही खराब हो गया। फिर से सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण हो रहा है। ढाई तीन दशक पहले से मॉर्निंग वॉक करने वाले शहरी बताते हैं कि अब वह खूबसूरती नहीं रही। आजाद पार्क एक सामान्य पार्क बनकर रह गया है। अब यह नाम का ही शहर का फेफड़ा है। यह खुद हांफ रहा है। इसमें कुछ भी दुरुस्त नहीं है इसका सीधा सा कारण है देखभाल में लापरवाही। इसी तरह अनदेखी होती रही तो इस पार्क की खूबसूरती गायब होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
एक दशक से संवर नहीं पाई झील
आजाद पार्क की झील कभी लबालब रहती थी। झील के पानी से ही पार्क के अंदर सिंचाई होती थी। दशकों पहले झील सूख गयी। डेढ़ दशक पहले झील के जीर्णोद्धार की योजना बनी। तब से झील में काम ही हो रहा है। प्रयागराज विकास प्राधिकरण को झील के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसका काम कब पूरा होगा, कोई नहीं जानता। आश्वासन दिया जाता है कि झील में पानी भरेगा और इसमें नाव भी चलेगी।
कभी पुराने शहर के पानी से होती थी पार्क में सिंचाई
शहीद आजाद पार्क में कभी बारिश के पानी से सिंचाई होती थी। पुराने शहर और सिविल लाइंस के नालों को पार्क की झील से जोड़ा गया था। बारिश के समय नालों के जरिए पानी झील में आता था। इससे पूरे साल झील लबालब रहती थी। शहर में विकास होने लगा तो एक-एक कर झील से जुड़े शहर के नाले बंद किए जाने लगे। प्रयागराज के पूर्व मंडलायुक्त बादल चटर्जी ने झील से जुड़े नालों को खोलने की कोशिश की थी। योजना पर मंडलायुक्त आगे काम करते, इससे पहले उनका तबादला हो गया।
अमिताभ को आज भी याद आता है पार्क
बालीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आज भी कंपनी बाग को नहीं भूल पाए। देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर अमिताभ बच्चन ने कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम में कंपनी बाग में बिताए बचपन को याद किया था। अमिताभ ने कहा था कि मां के साथ पार्क में जाता था। पार्क में ही खेलकर बड़े हुए। अमिताभ के अनुसार उनकी मां पार्क में गुलाब के फूल उगाती थीं। खेल में विजयी होने पर मां अपने उगाए फूल ही देती थीं। इसी शो में अमिताभ ने कहा था कि तब पार्क का नाम एलफ्रेर्ड पार्क थी, जिसे अब शहीद आजाद पार्क कर दिया गया है।
शिकायत
पार्क की सफाई नहीं होती।
पार्क से सूखी पत्तियां नहीं हटाई जातीं।
पार्क में आवारा कुत्ते बढ़ रहे हैं।
योग करने के लिए जमीन समतल नहीं।
टॉयलेट अक्सर बंद रहता है।
सुझाव
पार्क की सुबह सफाई हो।
पतझड़ के समय सूखी पत्तियां हटाएं।
डिस्पोजेबल सामान लाने पर रोक लगे।
पार्क में सिंचाई की सुविधा और बेहतर हो।
सफाई के लिए सब जिम्मेदार बनें।
हमारी भी सुनें
18 साल से पार्क में आ रहा हूं। जगह-जगह पेड़ों के पत्ते व कचरे का ढेर लगा हुआ है। साफ-सफाई के प्रति विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यहां पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को भी पार्क का चक्कर लगाना चाहिए। -पीपी राय
पार्क में कई साल से योग की शिक्षा दे रहा हूं। अक्सर देखता हूं पार्क में साफ-सफाई बहुत कम होती है। यहां पर रखे लोहे का फ्लावर शो स्टैंड से भी बहुत परेशानियां होती हैं। इसे हटवा देना चाहिए। -अनूप कुमार कुश्वाहा, योग प्रशिक्षक
पार्क में बनाई गई नक्षत्र वाटिका में लगे चीड़ के पेड़ का विकास नहीं हो पा रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। समय-समय पर गुड़ाई सिचाई के साथ मिट्टी में खाद भी डलवाना चाहिए। -संतोष कुमार ओझा
10 वर्ष से लगातार आ रहा हूं। पहले से काफी कुछ बदलाव आ गया है। पार्क में आवारा कुत्ते बहुत आ रहे हैं। बाहर गेट पर दुकान अधिक होने के कारण पार्किंग की बहुत असुविधा होती है। -जय अग्रहरि
पार्क में आने वाले हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। यहां आकर बैठने वाले लोग भी कचरा व गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते हैं। इससे यहां की सुंदरता खराब हो रही है। -दीपक अग्रवाल
पार्क परिसर में नियमित रूप से सफाई होनी चाहिए। यहां खाने-पीने के बाद लोगों को डिस्पोजेबल आदि सामान नहीं फेंकना चाहिए। गंदगी करने से पार्क की सुंदरता पर बड़ा असर पड़ता है। -पूनम अग्रवाल
सात वर्ष से आ रही हूं, बहुत अच्छा लगता है। प्रतिदिन पार्क में आने पर उत्साह बढ़ता है। मिट्टी समतल नहीं होने से योगा चटाई बिछाने के बाद बैठने में परेशानी होती है। सफाई हो जाती तो अच्छा रहता। -सविता गुप्ता
योग करने वाले स्थल पर कई ग्रुप प्रतिदिन योग करने आते हैं। इस फील्ड को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। यहां पर भी अमेरिकन घास का प्रत्यारोपण हो जाए तो बहुत बढ़िया रहेगा। -पुनीत पटारिया
पार्क में आना दस वर्ष से निरंतर जारी है। समय बीतने के साथ ही इसकी देखरेख व संरक्षण से जिम्मेदारों का ध्यान हटता जा रहा है। साफ-सफाई के साथ ही आकर्षक पेड़ पौधे भी लगाने चाहिए। -रविन्द्र कुमार श्रीवास्तव
पतझड़ के मौसम में लगातार पत्ते गिरने से यहां कचरा हर दिन बढ़ रहा है। इसकी साफ-सफाई होनी चाहिए। शहरवासियों के बैठने, घूमने व टहलने के लिए पार्क अहम होता है। यहां समय बिताने वाले गंदगी फैलाते हैं। -कंचन केसरवानी
पार्क की नियमित सफाई की जाए। यहां पर कुछ लोग छोटी बड़ी मीटिंग करने के लिए आते है, गंदगी न फैले इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पेड़ पौधे ज्यादा से ज्यादा लगा कर देखभाल करने की जरूरत है। -सचिन गोयल
पार्क में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं होने पाए। जहां पर कचरा पसरा होता है, वहां पर कम लोग बैठना पसंद करते हैं। इसलिए निरंतर साफ-सफाई करवानी चाहिए। नए पेड़ भी लगवाए जाएं। -अशोक कुमार केसरवानी
25 साल से पार्क में योगा करने आ रहा हूं। यहां से अतिक्रमण हटवाना चाहिए। प्रबंधन दुरुस्त हो जाए बहुत अच्छा रहेगा। पार्क में लोग आकर गंदगी ना फैलाएं। -एसके अग्रवाल
पेड़, पौधों में पानी नहीं डाला जाता है। कुम्भ के बाद सफाई पर बिलकुल ध्यान नहीं है। स्टेडियम में रखी साइकिल पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उसकी मरम्मत करवाने की आवश्यकता होती है। -रघुकुल तिलक राय
पैदल चलने के लिए ट्रैक का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया। पार्क में किनारे पर रखा उसका मलवा भी हटाया जाना चाहिए। लगातार साफ-सफाई होने लगे तो पार्क का माहौल और भी अच्छा हो जाएगा। -सुनील जायसवाल
गेट नं. 2 के बगल का शौचालय बंद होने से बहुत परेशानी होती है। बाकी सफाई के साथ पार्क में सूख रहे पौधों की देखभाल करने की बहुत जरूरत है। रखरखाव पर धयान देने की जरूरत है। -राम प्रसाद गुप्ता
पार्क सुंदर और आकर्षक दिखाई दे इसके लिए सफाई होनी चाहिए। पार्क में बैठने वाले लोगों को भी कचरा बाहर न फेककर कूड़ेदान में डालना चाहिए। सफाई को लेकर पार्क प्रबंधन भी गंभीर हो। -दिनेश केसरवानी
पार्क को सुंदर बनाने के लिए तरह-तरह के आकर्षक पौधे लगाने चाहिए। साथ ही समय-समय पर पौधे की देखभाल भी करनी चाहिए। सफाई के साथ योग करने वाली जगह को समतल करवानी चाहिए। -किशोर वार्ष्णेय
जिम्मेदार बोले
शहीद आजाद पार्क में सुबह सफाई करने से मॉर्निंग वॉकर को परेशानी होती है। सुबह 9:00 से दोपहर तक सफाई की जाती है। इस समय पतझड़ का मौसम है। हवा भी तेज चल रही है। इस वजह से सूखी पत्तियां अधिक गिर रही हैं। कुछ दिन बाद यह ठीक हो जाएगा। पार्क की लाइटिंग व अन्य व्यवस्था में सुधार करेंगे।
उमेश चंद्र उत्तम, जिला उद्यान अधीक्षक- प्रयागराज
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।