बीपी, कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण से बच सकती है किडनी
प्रयागराज में एएमए द्वारा आयोजित एक वैज्ञानिक संगोष्ठी में किडनी की स्वास्थ्य पर चर्चा की गई। डॉ. केएन सिंह ने बताया कि किडनी शरीर के अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को छानती है। डॉ. गौरव कुमार ने जन्मजात...
प्रयागराज, संवाददाता। एएमए की ओर से शनिवार को एएमए सभागार में वैज्ञानिक संगोष्ठी हुई। इस मौके पर अपोलो हॉस्पिटल नई दिल्ली के डॉ. केएन सिंह ने कहा कि किडनी शरीर में एक फिल्टर की तरह होती है। किडनी शरीर के अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ और अतिरिक्त पानी को छानकर बाहर निकालती है। किडनी रोग के प्रारंभिक लक्षण पता नहीं चलते लेकिन बीपी को नियंत्रित करके, आहार में बदलाव करके, कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करके इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
अपोलो के वरिष्ठ परामर्शदााता डॉ. गौरव कुमार ने कहा कि टेट्रालॉजी ऑफ फैलोट एक सियोनोटिक जन्मजात हृदय रोग है। यह रोग आम तौर पर हजार जीवित जन्मों में 0.34 है। इसके लिए आजीवन विशेष चिकित्सा देखभाल की जरूरत होती है। अपोलो के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. गौरव त्यागी ने कहा कि जाइरोस्कोपिक रेडियोसर्जरी सिस्टम एक महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचार है। इसमें चिकित्सा परिणाम, सुरक्षा और दक्षता का आंकड़ा विश्लेषण किया जा सकता है। यह मस्तिष्क और गर्दन के ट्यूमर, घाव और तंत्रिका संबंधी बीमारियों के उपचार में कारगर है।
इस मौके पर डॉ. सौरभ गुजराती, डॉ. सत्यदेव पांडेय, डॉ. रजनीश राय को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। अध्यक्षता उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति भूषण ने किया। संचालन वैज्ञानिक सचिव डॉ. अनुभा श्रीवास्तव, आभार ज्ञापन सचिव डॉ. आशुतोष गुप्ता ने किया। डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. शार्दूल सिंह, डॉ. अशोक कुमार मिश्र, डॉ. सुबोध जैन, डॉ.आरकेएस चौहान, डॉ. युगांतर पांडेय, डॉ. राजेश मौर्या, डॉ. अनूप चौहान, डॉ. अभिनव अग्रवाल, डॉ. सपन श्रीवास्तव, डॉ. उत्सव सिंह मौजूद रहे।
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