अब बाढ़ पीड़ितों के सामने गंदगी का 'पहाड़'
गंगा का जलस्तर घटने के बाद कछारी क्षेत्र के लोग अपने घरों में लौटने लगे हैं। हालांकि, उन्हें जलकुम्भी और गंदगी की सफाई सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सफाईकर्मियों ने जलकुम्भी हटाने का काम...
गंगा का जलस्तर घटने के बाद कछारी क्षेत्र के लोग राहत महसूस कर रहे हैं। शिविर, रिश्तेदार और परिचितों के घरों में शरण लेने वाले अपने-अपने घरों में लौटने लगे हैं। अब उनके सामने कई तरह की चुनौती है। बाढ़ पीड़ितों को घर ही नहीं आसपास भी सफाई करनी होगी। पीड़ितों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बाढ़ के साथ आई जलकुम्भी है। बाढ़ का पानी घट गया, लेकिन जलकुम्भी वहीं रह गई। जहां जलकुम्भी नहीं है, वहां बाढ़ के साथ आई गंदगी का अंबार है। मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। अशोकनगर, राजापुर, गंगानगर, नेवादा, बेली गांव, बेली कॉलोनी, दारागंज, म्योराबाद में घरों को लौटने वाले बाढ़ पीड़ित एक जैसी मुश्किलों से जूझ रहे हैं। अशोकनगर, राजापुर, गंगानगर, नेवादा, बेली गांव, बेली कॉलोनी गुरुवार को सफाई करने पहुंचे सफाईकर्मियों ने पहले घरों के आसपास जलकुम्भी हटाई। दारागंज के निचले इलाके से पानी हटने के बाद सफाई कराई गई।
गंगानगर के पार्षद भोला तिवारी ने बताया कि घरों और सड़कों से बाढ़ का पानी हटा है। नाले और खाली प्लॉटों में पानी भरा है। सामाजिक कार्यकत्री अनुराधा के अनुसार, बाढ़ प्रभावित मोहल्लों में सफाई के साथ तुरंत कीटनाशक छिड़काव की आवश्यकता है। छिड़काव और फ़ॉगिंग नहीं होने पर गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अभिषेक सिंह ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए सफाई, कीटनाशक छिड़काव, फॉगिंग की विशेष योजना बनाई गई है। योजना पर गुरुवार से काम शुरू कर दिया गया है।
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