पुरुषोत्तम मास और नवरात्र से फूल उगाने वालों को बंधी उम्मीद
कोरोना काल में पुरुषोत्तम मास और नवरात्र एक साथ पड़ जाने से फूलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छे मुनाफे की उम्मीद बंध गई है। मार्च-अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान शादी विवाह व अन्य सामूहिक आयोजनों पर...
कोरोना काल में पुरुषोत्तम मास और नवरात्र एक साथ पड़ जाने से फूलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छे मुनाफे की उम्मीद बंध गई है। मार्च-अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान शादी विवाह व अन्य सामूहिक आयोजनों पर रोक लग जाने से फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ था। फूलों की बिक्री न होने के कारण हजारों बीघा फूल खेतों में ही सूख गए थे। किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई थी। इससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ था।
फूलों की खेती करने वाले चाका ब्लाक के किसान रामसेवक पटेल और सोरांव के राजकुमार मौर्य गेंदा की खेती पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं, होलागढ़ के सोनू माली ने गेंदा और गुलाब की खेती की है, नैनी के केशव कुमार गुलाब की खेती कर रहे हैं। इन सभी किसानों ने बताया कि पहली बार नवरात्र और पुरुषोत्तम मास एक साथ पड़ रहा है। ऐसे मैं फूलों की डिमांड अधिक होगी, जिस को ध्यान में रखकर तैयारियां तेज कर दी गई हैं। जिला उद्यान अधिकारी प्रतिभा पांडे ने बताया कि जिले में 1200 हेक्टेयर से अधिक में फूलों की खेती किसान कर रहे हैं। सबसे ज्यादा गेंदा और गुलाब की खेती की जाती है। किसानों में फूलों की खेती करने के प्रति रुझान बढ़े, इसके लिए उद्यान विभाग की ओर से अनुदान भी दिया जा रहा है जिसका लाभ हर वर्ष किसान उठा रहे हैं।
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किसानों में 2007 से बढ़ा फूलों की खेती के प्रति रुझान
जिला उद्यान अधिकारी प्रतिभा पांडे ने बताया कि पहले चंद किसान ही जिले में फूलों की खेती करते थे, लेकिन 2007 में संपन्न हुए कुंभ के दौरान से बड़ी संख्या में किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। बताया कि 13 वर्ष पहले दो सौ हेक्टेयर में फूल लगते थे लेकिन अब 1200 हेक्टेयर से अधिक में फूलों की खेती हो रही है।
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