बढ़े मुआवजे की भरपाई आवंटियों से करने का अधिकार नहीं: हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलगोटिया विश्वविद्यालय और जेपी ग्रुप सहित दर्जनों हाउसिंग व एजूकेशनल सोसाइटीज को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि के एवज में अतिरिक्त प्रीमियम...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलगोटिया विश्वविद्यालय और जेपी ग्रुप सहित दर्जनों हाउसिंग व एजूकेशनल सोसाइटीज को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि के एवज में अतिरिक्त प्रीमियम वसूलने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि भूस्वामियों को बढ़ा हुआ मुआवजा देकर उसकी भरपाई आवंटियों से करने का अधिकार अथॉरिटी को नहीं है। कोर्ट ने इसके लिए अथॉरिटी को अधिकृत करने के 29 अगस्त 2014 के शासनादेश को भी मनमाना व अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल एवं न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े गजराज केस में किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने के आदेश को देखते हुए समानता के आधार पर एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत भूमि का भी बढ़ा हुआ मुआवजा देने का निर्णय लिया है। सरकार की यह नीति सही नहीं है। साथ ही ऐसा करने का कोई कारण नहीं है।
शकुंतला एजूकेशनल सोसाइटी (गलगोटिया विश्वविद्यालय) व जेपी ग्रुप सहित दर्जनों हाउसिंग व एजूकेशनल सोसाइटीज ने याचिका दाखिल कर यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी से 15 दिसंबर 2014 को जारी डिमांड नोटिस और 29 अगस्त 2014 के शासनादेश को चुनौती दी थी।
मामले के तथ्यों के अनुसार यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी के लिए जिन किसानों की भूमि अधिग्रहीत की गई थी, वे नोएडा के किसानों की तरह अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए तत्कालीन राज्य सरकार ने मंत्री राजेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट ने गजराज केस में नोएडा के किसानों को 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश दिया था। अकारण मुकदमेबाजी रोकने के लिए एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत भूमि का भी इसी दर से बढ़ा हुआ मुआवजा किसानों को दिया जाना चाहिए। सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और एक्सप्रेस वे अथॉरिटी को बढ़े हुए मुआवजे का भुगतान अपने स्रोतों से करने का आदेश दिया। साथ ही अथॉरिटी को आवंटियों से अतिरिक्त प्रीमियम की वसूली की छूट दे दी।
खंडपीठ ने कहा कि गजराज केस का फैसला यहां लागू नहीं होगा क्योंकि अधिग्रहण की कार्यवाही कोर्ट का फैसला आने से पहले की है और यहां अधिग्रहण को कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी गई है। सरकार का आदेश भूमि अधिग्रहण अधिनियम का उल्लंघन है और यह क्षेत्राधिकार से बाहर है।
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