हिंदी को भारत की लोकभाषा बनाने का प्रयास होना चाहिए : राज्यपाल
Prayagraj News - इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग, भारतीय हिंदी परिषद और हिन्दुस्तानी एकेडेमी द्वारा गुरुवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया। मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप...
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग, भारतीय हिंदी परिषद व हिन्दुस्तानी एकेडेमी की ओर से गुरुवार को विश्वविद्यालय के तिलक भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। ‘हिंदी के विकास में संतों, भक्तों, मठों एवं सामाजिक संस्थाओं की भूमिका विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल थे। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की समृद्धि के लिए सभी भारतीय, प्रांतीय भाषाओं की लिपि भी देवनागरी बनाने का सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए। साथ ही विषय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने कहा कि मठ को जागृत करने का कार्य आचार्य ही करते हैं। विशिष्ट अतिथि आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण ने कहा कि भाषा प्रयोगशालाओं में नहीं बल्कि भाषा जीवन से निर्मित होती है। हिंदी के विकास और संतों के साहित्य में भाव की भूमिका होती है। अध्यक्षता करते हुए परिषद के सभापति प्रो. पवन अग्रवाल ने परिषद के 83वें अधिवेशन की बधाई दी। संगोष्ठी का दूसरा सत्र हिंदी विभाग के धीरेंद्र वर्मा सभागार में आयोजित किया गया। जिसमें प्रो. नरेश मिश्र व प्रो. मुन्ना तिवारी ने संबंधित विषय पर अपनी बातें रखी। संगोष्ठी के दौरान अतिथियों ने परिषद की पत्रिका ‘हिंदी अनुशीलन व प्रो. उदय प्रताप सिंह की पुस्तक ‘राजनीति को नई दिशा देता एक योगी का लोकार्पण किया। प्रस्तावक प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह ने अतिथियों का परिचय देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। विभाग की अध्यक्ष प्रो. लालसा यादव ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन प्रो. त्रिभुवन नाथ शुक्ल और डॉ. विनम्र सेन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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