रिक्शा ट्रॉली और बाइक से सवारी ढोने की होड़
Prayagraj News - महाशिवरात्रि के पहले शनिवार को भारी संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान के लिए पहुंचे। पार्किंग स्थल से साधनों की कमी के कारण श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा। बाइक सवार और ट्रॉली चालक...
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महाकुम्भ संवाददाता। महाशिवरात्रि पर्व के पहले शनिवार को भारी संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान को पहुंचे। बेला कछार पार्किंग स्थल से साधन उपलब्ध नहीं होने से स्नानार्थियों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। थके हारे श्रद्धालुओं ने ट्रॉली और बाइक सवारों का सहारा लिया। शनिवार को शहर के चौराहों पर बाइक सवार और ट्रॉली चालक सुबह से ही झुंड में दिखाई दिए। वह संगम आ जा रहे स्नानार्थियों और श्रद्धालुओं को बाइक से ढो रहे थे। सड़क पर वैकल्पिक साधन उपलब्ध न होने से ट्राली चालकों में भी सवारियां ढोने की होड़ मची थी। बालसन चौराहे से चुंगी तक एक-एक सवारी का सौ रुपये लिया जा रहा था। बातचीत में गऊ घाट के ट्रॉली चालक राजकुमार ने बताया कि वह 20 से 25 साल से माल ढोने का काम कर रहे थे। इस बार कुम्भ में भीड़ देखी तो सवारी ढोने निकल पड़े। बताया कि वह एक बार ट्रॉली में 4 से 5 लोगों को बैठाते हैं। एक सवारी का बालसन चौराहे से संगम पेट्रोल पंप तक सौ रुपये लिया जाता है। राजकुमार ने बताया कि दिनभर में 2 से 3 हजार रुपये कमाई हो जा रही है।
दूसरी ओर बाइक सवार राजकुमार संगम आ-जा रहे श्रद्धालुओं को बाइक पर बैठाकर छोड़ते दिखाई दिए। बताया कि जाम में कई घंटों तक जूझना पड़ रहा हैं, जिससे सवारियों से अधिक पैसे लिए जाते हैं। बताया कि ज्यादातर अभी बाइक सवार सवारियां ढोकर रोजाना 5 से 6 हजार रुपये तक की कमाई कर रहे हैं।
अपने ही नगर में बेगाने हुए शहरी
अपने निजी काम से बाहर आ जा रहे शहरवासियों को ऑटो और रिक्शा चालक बेगाने समझ रहे हैं। किराया पूछने पर भी वह बेरुखी से पांच से दस गुना अधिक बता रहे हैं। सवारी गाड़ियां चलाने वाले श्रद्धालुओं के अलावा किसी और को जल्दी बैठाने को तैयार नहीं हो रहे हैं। जिससे रेलवे स्टेशनों और बस अड्डे से घर तक पहुंचना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। म्योराबाद के दिनेश ने बताया कि प्रयागराज जंक्शन से म्योराबाद के लिए ई-रिक्शा चालक 1500 रुपये की मांग किया। बहुत बातचीत के बाद ई-रिक्शा वाले ने नौ सौ रुपये में चलने को तैयार हुआ।
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