'इंडिया नहीं भारत नाम से हो देश की पहचान'
Prayagraj News - ----फोटो है---- -हिन्दी साहित्य भारती के ज्ञान महिन्दी साहित्य भारती की ओर से अरैल स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में तीन दिनी ज्ञान महाकुम्भ का समापन रव
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महाकुम्भ नगर, मुख्य संवाददाता हिन्दी साहित्य भारती की ओर से अरैल स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में तीन दिनी ज्ञान महाकुम्भ का समापन रविवार को हुआ। प्रस्ताव पास हुआ कि भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में भारत की जिन 22 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है उसमें अंग्रेजी भाषा का उल्लेख नहीं है। संविधान में अंग्रेजी को भारतीय भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है। अब 75 वर्ष बीत जाने के बाद हमें संकल्पबद्ध होना होगा कि भारत के लिए अंग्रेजी में प्रचलित, पर्यायवाची अथवा अनुवादित नाम इंडिया का प्रचलन बंद करें।
यह नाम आक्रमणकारी अंग्रेजों ने हम पर थोपा है अतः हमें स्वीकार नहीं है। हज़ारों वर्षों के पौराणिक काल से हमारे देश का नाम भारत है। वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत एवं प्राचीन ग्रंथों से लेकर सभी भारतीय भाषाओं में हमारे देश का नाम भारत ही है। भारत शब्द से अपने गौरव और गरिमा की अनुभूति होती हैं। प्रस्ताव पास किया गया कि संविधान के अंग्रेजी प्रारूप में जहां-जहां देश का नाम आता है वहां भारत ही लिखा जाए। महाकुम्भ में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि, आरएसएस के डॉ. कृष्ण गोपाल समेत अन्य विशिष्टजन उपस्थित रहे।
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