देश को सिर्फ भारत नाम से जाना जाए
Prayagraj News - प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान 'इंडिया' को केवल 'भारत' नाम से जानने का संकल्प लिया गया। संगोष्ठी में डॉ. अतुल कोठारी और संत एम गुरु ने भारत नाम की आवश्यकता पर जोर दिया। 'मेड इन इंडिया' के बजाय 'मेड...
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इंडिया को सिर्फ भारत नाम से जानने और पहचाने जाने को लेकर महाकुम्भ में संकल्प पारित किया गया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, जनता की आवाज़ फाउंडेशन और वैश्विक हिंदी सम्मेलन की ओर से आयोजित संगोष्ठी में यह संकल्प लिया गया कि इंडिया को सिर्फ भारत नाम से जाना जाए इसके लिए अभियान को गति दी जाएगी। मेला क्षेत्र में इसे लेकर अनेक बैनर लगाए गए हैं जिन पर लिखा है भारत नाम अपनाएं, इडिया नाम हटाएं।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने संगोष्ठी में कहा कि जब राष्ट्र एक है तो नाम भी एक ही होना चाहिए। नाम का कभी अनुवाद नहीं होता तो भारत का अंग्रेजी में इंडिया क्यों होना चाहिए? मुख्य अतिथि दक्षिण भारत के संत एम गुरु ने कहा कि हमारे देश का नाम केवल भारत होना चाहिए इसमें किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए और उसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए। विशिष्ट अतिथियों में स्वामी आनंद स्वरूप सरस्वती ने भी भारत नाम की पैरवी की। ट्रिपलआईटी प्रयागराज के निदेशक प्रो. मुकुल सुतावने ने कहा कि उनका संस्थान भी इस संबंध में एक प्रयास करेगा कि सभी प्रौद्योगिकी संस्थानों में इंडिया के बजाय भारत का ही प्रयोग किया जाए।
डॉ. मोतीलाल गुप्ता 'आदित्य', निदेशक वैश्विक हिंदी सम्मेलन ने भारत नाम के इतिहास का विवरण दिया। जनता की आवाज फाउंडेशन के अध्यक्ष सुंदरलाल बोथरा ने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि सभी औद्योगिक और व्यावसायिक संगठन 'मेड इन इंडिया के बजाय मेड इन भारत का प्रयोग करें। द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि तथा उद्योगपति तथा जैन इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष घेवरचंद बोहरा ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि जिओ के सदस्य राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निर्यात किए जाने वाले सामान पर अंग्रेजी में भी भारत नाम का ही प्रयोग करें। कार्यक्रम में भारत नाम प्रतिष्ठित करने के संबंध में संकल्प पत्र प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन भारतीय भाषा अभियान काशी प्रांत के संयोजक अजय कुमार मिश्रा ने किया। संगोष्ठी में साध्वी समदर्शी गिरि, कानबिहारी अग्रवाल, राजू ठक्कर तथा रितेश पोरवाल ने भी अपने विचार रखे।
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