परम धर्म संसद में हिंदू शब्द पर हुई चर्चा
Prayagraj News - महाकुम्भनगर में चल रही परम धर्मसंसद के चौथे दिन हिंदू आचार संहिता पर चर्चा हुई। शंकराचार्य ने बताया कि हिंदू शब्द प्राचीन है और वेदों से व्युत्पन्न हुआ है। इस प्रस्ताव का समर्थन किया गया और ध्वनिमत से...
महाकुम्भनगर, संवाददाता। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की मौजूदगी में शिविर में चल रही परम धर्मसंसद के चौथे दिन हिंदू आचार संहिता के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। धर्म संसद का शुभारंभ जयघोष से हुआ। शंकराचार्य ने कहा कि हिंदू शब्द प्रााचीन ही नहीं, वेदों को भी मान्य है। वेदों के बाद स्मृतियों, पुराणों व तंत्र साहित्य में भी वह परिलक्षित व परिभाषित हुआ है। उन्होंने कहा कि सभी सनातन वैदिक हिंदू आर्य परमधर्म के मानने वालों के लिए यह धर्मादेश जारी किया जाता है कि हिंदू शब्द वैदिक है और वेदों से ही व्युत्पन्न हुआ है। इसलिए हिंदू आचार संहिता का पालन करने के प्रस्ताव का समर्थन कर उसे ध्वनिमत से पारित कराया।
चर्चा के दौरान हिंदू शब्द को लेकर कमलेश कमल, कमलाकांत त्रिपाठी, गोपाल मणि, दयाशंकर, आशु पांडे, संजय जैन आदि ने अपनी बातें रखी। साथ ही उसे परिभाषित करने के पीछे का कारण भ्रांति निर्मूलन बताया। कहा गया कि भारत के विभाजन के समय हिंदू शब्द के दुष्प्रचार से कई लोगों ने अपने को हिंदू न गिनवाकर आर्य आदि गिनवाया, जिसकी वजह से हिंदुओं की संख्या कम होने पर पंजाब का वह प्रांत जो हिंदुस्तान में रहना चाहिए था, पाकिस्तान में चला गया। हरिमोहन दास ने शंकराचार्य को गौमाता की मूर्ति भेंट की। हरिमोहन दास ने शंकराचार्य को गौमाता मूर्ति भेंट की।
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