देवी रूपी कन्याओं को चुनरी देकर दूर से प्रणाम

कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच मंगलवार को मां आदिशक्ति के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना की गई। साथ ही महाअष्टमी पर घरों में कन्या पूजन किया...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजWed, 21 April 2021 03:32 AM
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प्रयागराज। निज संवाददाता

कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच मंगलवार को मां आदिशक्ति के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना की गई। साथ ही महाअष्टमी पर घरों में कन्या पूजन किया गया। कुछ व्रतीजन राम नवमी को भी कन्या पूजन करेंगे। 22 अप्रैल को नवरात्र व्रत का पारण किया जाएगा। कोरोना महामारी ने इस बार कन्या भोज और पूजन का तरीका ही बदल दिया क्योंकि धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं के बीच कोरोना वायरस की अनदेखी करना भी ठीक नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर छोटे बड़े हर आयु वर्ग की अपनी गिरफ्त में रहा है। इसलिए महाअष्टमी पर कन्या पूजन घरों में भी बहुत सीमित रहा।

दक्षिणा और चुनरी देकर किया दूर से प्रणाम

महाअष्टमी पर घरों में कन्या पूजन के लिए महिलाओं ने केवल घर की कन्याओं का पूजन किया। दूसरे घरों से कन्याओं को नहीं बुलाया। कन्या पूजन से पूर्व सबको मास्क पहनाया और चुनरी, दक्षिणा भेंटकर देवी स्वरूप कन्याओं को दूर से प्रणाम किया। तिलक लगाने से भी परहेज किया। दारागंज की सावित्री ने कन्याओं के निमित्त हलुआ, चना का भोग निकालकर गाय को खिलाया।

कन्याओं का भोज गो माता के निमित्त

नवरात्र में घर पर कन्या पूजन के निमित्त व्रती लोगों ने संकल्प को पूरा करने किए कई विकल्प भी तय किए हैं। झूंसी की रश्मि प्रियंवदा ने बताया कि रामनवमी को नौ कन्याओं के निमित्त भोग निकालकर गाय को खिला देंगी और दक्षिणा कन्याओं के माता पिता को दे देंगी। रंजना गुलाटी ने बताया अपार्टमेंट में घर की एक-दो कन्या का पूजन कर परंपरा निभाई गई।

मंदिरों में महागौरी स्वरूप का शृंगार, पूजन

चैत्र नवरात्र की महाअष्टमी को मां महागौरी का मन्दिरों में शृंगार, पूजन किया गया। शक्तिपीठ अलोपशंकरी देवी, कल्याणी देवी और ललिता देवी मन्दिर में विधिविधान से पूजन-अर्चन और मनोहारी शृंगार किया गया। नवरात्र में महागौरी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है। मन शांत और शुद्ध होता है। नकारात्मक विचारों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। महागौरी की चार भुजाएं हैं और ये वृषभ की सवारी करती हैं। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल विराजमान है।

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गायन और चित्रकला में नेहा ने बनाई पहचान

अलोपीबाग की नेहा सक्सेना की चित्रकला और संगीत में गहरी रुचि है। शास्त्रीय और लोकगीत को प्रस्तुत कर विभिन्न प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार हासिल किए हैं। चित्रकला में नेहा इतनी निपुण हैं कि किसी भी खिलाड़ी, अभिनेता व चर्चित शख्स का चित्र हूबहू बना देती हैं। प्रयागराज संगीत समिति की ओर से आयोजित गायन प्रतियोगिता में नेहा ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। लॉकडाउन के दौरान नेहा के गाए गीत यूट्यूब पर चर्चित रहे। नेहा के पिता संजय सक्सेना एजी ऑफिस में कार्यरत हैं और मां रचना सक्सेना लेखिका हैं।

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